BIHAR : कृषि अर्थव्यवस्था की मजबूती में नए आयाम रचेगी विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा

सीड द्वारा डीआरई आधारित समग्र विकास के सफल प्रयोगों और कृषि की बेहतरी पर केंद्रित रिपोर्ट का विमोचन


मुजफ्फरपुर (बिहार)। सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) ने बिहार के आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्र में विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा द्वारा निभाई जा रही सकारात्मक भूमिका पर केंद्रित दो रिपोर्ट “डीसेंट्रलाइज्ड रिन्यूएबल एनर्जी : ट्रांसफोर्मिंग एग्रीकल्चर इन बिहार’ और “एम्पॉवरिंग लाइव्स : डीआरई सक्सेस स्टोरी फ्रॉम बिहार’ का विमोचन किया। राज्य की अर्थव्यवस्था खासकर कृषि, स्वास्थ्य एवं सामाजिक विकास के क्षेत्र में विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा (डीसेंट्रलाइज्ड रिन्यूएबल एनर्जी- डीआरई) की संभावनाओं, निवेश और नए रोज़गार सृजन के बारे में विस्तृत अध्ययन और इनसे जुडी सफल प्रयोगों पर आधारित इन रिपोर्ट्स को बिहार में स्वच्छ ऊर्जा के राज्यव्यापी विस्तार के लिए डेवलपमेंट रोडमैप माना जा सकता है।


सीड द्वारा तैयार पहली रिपोर्ट “डीसेंट्रलाइज्ड रिन्यूएबल एनर्जी : ट्रांसफोर्मिंग एग्रीकल्चर इन बिहार’ में राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था में व्याप्त ऊर्जा की कमी को चिन्हित करते हुए इसे बेहतर करने के लिए अक्षय ऊर्जा आधारित ‘एग्रीकल्चर सोलराइजेशन’ पर जोर दिया गया है। यह स्टडी रिपोर्ट बताती है कि कृषि अर्थव्यवस्था में डीआरई की 523 मेगावाट की संभावना है और यह एग्रीकल्चर वैल्यू चेन में स्थानीय स्तर पर 12,072 नए रोजगार के अवसर पैदा कर सकती है। इसके अलावा अध्ययन का आकलन है कि राज्य के कृषि क्षेत्र में डीआरई से 2930 करोड़ रुपये की निवेश संभावना है। जलवायु परिवर्तन के संकटपूर्ण समय में डीआरई सोल्यूशंस पर्यावरणीय संबंधी लाभों के अलावा करीब 8,15,708 टन कार्बन उत्सर्जन बचाने में योगदान दे सकता है। वहीं, दूसरी रिपोर्ट “एम्पॉवरिंग लाइव्स : डीआरई सक्सेस स्टोरी फ्रॉम बिहार’ दरअसल राज्य के विभिन्न इलाकों में कृषि, सिंचाई, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, स्थानीय उद्यमिता आदि सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों में बदलाव का वाहक बन रही और आम लोगों के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन ला रही उन सफल कहानियों का जिक्र है, जो विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा पर आधारित है और विकास के नए आयाम रच रही हैं।
इस मौके पर अश्विनी अशोक, हेड-रिन्यूएबल एनर्जी, सीड ने कहा कि “हमारे अध्ययन-रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा बिहार के विकास का मुख्य आधार बन सकती है, जो कृषि, सिंचाई, स्थानीय उद्यम एवं व्यापार को बेहतर करने में सार्थक योगदान दे रही है। कोविड महामारी के कारण आर्थिक रफ़्तार में आयी कमी को दूर करते हुए राज्य में स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन करने और उद्यम गतिविधियों को बढ़ावा देने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। सीड का मानना है कि कृषि एवं सहायक गतिविधियों में अक्षय ऊर्जा के व्यापक विस्तार हेतु अधिकाधिक निवेश आकर्षित करने, सभी स्टेकहोल्डर्स को समान अवसर देने और एक समर्थनकारी नीतिगत माहौल बनाने के लिए राज्य सरकार को एक विजनरी रोडमैप तैयार करना चाहिए और इसे अविलंब लागू करना चाहिए।
इस मौके पर ‘किसान चाची’ राजकुमारी देवी ने कहा कि बिहार में कुल कृषि श्रम बल में महिला किसानों की संख्या आधी है, जो एग्रो वैल्यू चैन के विविध चरणों, फसल उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, रूरल मार्केट आदि से जुड़े कई उद्यमों जैसे मत्स्य पालन, मखाना उत्पादन, मशरूम एवं दुग्ध उत्पादन, बागवानी और सब्जियों से जुड़े ढेरों लघु एवं कुटीर उद्योग में बेहद सक्रिय हैं। एग्रो वैल्यू चैन में सोलर ड्रायर एवं चिलर, कोल्ड स्टोरेज, सोलर पावर लूम आदि ढेरों सोल्यूशंस के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार किया जा सकता है। राज्य सरकार से आग्रह करते हैं कि राज्य में सोलर एग्रीकल्चर फीडर, सोलर पंप से सिंचाई और एग्रो वैल्यू चैन में अधिकाधिक सोलर सोल्यूशंस अपनाने के लिए ठोस पहल ली जाए। महिला किसानों को खास तौर पर सोलर सोल्यूशंस से लैस करने के लिए जरूरी वित्त-पोषण और विशेष आर्थिक मदद उपलब्ध कराई जाए, ताकि उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से स्वावलंबी, सशक्त और समृद्ध बनाया जा सके।”
स्वास्थ्य एवं सामाजिक विकास के क्षेत्र में विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा की संभावनाओं पर जोर देते हुए श्री राकेश कुमार सिंह, जन निर्माण केंद्र (मुजफ्फरपुर) ने कहा कि बिहार के दूरदराज के इलाकों में अक्षय ऊर्जा के मॉडल्स विकास की नयी परिभाषा गढ़ रहे हैं। राज्य सरकार का दायित्व है कि वह इन सक्सेस स्टोरी का संज्ञान लेते हुए राज्य की अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक विकास से संबंधित नीतियों के केंद्र में सौर ऊर्जा को प्राथमिक स्थान दे। क्लाइमेट चेंज के दुष्प्रभावों और कोविड महामारी के संकट से कमजोर हो चुकी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए ऐसा करना जरूरी है, ताकि बिहार को एक सततशील और समृद्ध राज्य बनाया जा सके।
कांफ्रेंस में राज्य के प्रतिष्ठित सिविल सोसाइटी संगठनों, किसान उत्पादक संघों, महिला किसान समूहों और शहर के गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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