द्वापर युग से हीं है इस मंदिर का देश में विशेष स्थान

बाढ़ (अखिलेश्वर सिंहा)। बाढ़ अनुमंडल मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर पूर्व दिशा में अवस्थित पुनारक का सूर्य मंदिर (पुण्य पुण्यार्क के सूर्य मंदिर) देश के लिए आस्था का धरोहर है। द्वापर युग से इस मंदिर का देश में विशेष स्थान है। पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान श्री कृष्ण के पुत्र सांब बड़ा ही सुंदर और रूपवान हुआ करता था लेकिन अपनी खूबसूरती में मदहोश एक दिन नारद मुनि का उपहास कर बैठा, जिससे नारद भगवान ने सांब को दंड दिलवाने की एक साजिश सोची और भगवान कृष्ण के महिषियों में से जामवंती से सांब के प्रेम करने की बात की शिकायत श्री कृष्ण से कर दी रायवत पर्वत श्री कृष्ण को ले जाकर सांब के करतूत को भी दिखा दिया, जिस समय गोपियां जल कीड़ा कर रही थी उस समय गोपियों के बीच सांब को देख कर श्री कृष्ण भड़क गए और अपने पुत्र सांब को कुष्ठ हो जाने का श्राप दे दिया। बाद में नारद मुनी नेे सांब को भगवान सूर्य की आराधना करने का सुझाव दिया और 12 वर्ष तक मैत्रीय वन में उपासना करने के बाद भगवान सूर्य प्रसन्न हुए और सांब के कुष्ठ रोग से शरीर को चंगा करते हुए श्री कृष्ण के श्राप  से मुक्त कर दिया। बाद में सांब ने पूरे धरती पर 12 सूर्य मंदिर का निर्माण किया। उसमें से एक मोनार्क जो कि अब पाकिस्तान में पड़ता है, दूसरा कोणार्क और तीसरा मंदिर पुण्यार्क में निर्माण करवाया। शास्त्रों के मुताबिक पंडारक के पुण्यार्क मंदिर में गर्भ गृह में यंत्र होने की बात कही जाती है साथ ही दक्षिण मॉडल की अति प्राचीन प्रतिमा भी उपलब्ध होने से यहां दूरदराज के लोग पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं और अपने मनोकामना को पूर्ण कर वापस लौटते हैं। लोगों की मान्यता है कि किसी भी व्याधि से ग्रसित लोग यहां यदि रविवार की रविवार 7 बार आकर बिना पूजा-अर्चना किए हुए यदि मंदिर की सेवा करता है तो उसके सारे पाप दूर हो जाते हैं और उन्हें हर प्रकार की फल की प्राप्ति होती है। जिसका कई उदाहरण यहां के लोग कहते नहीं थकते हैं। दूसरी तरफ ग्रामीणों का कहना है कि उत्तर वाहिनी गंगा तट पर पहला सूर्य मंदिर होने का भी गौरव प्राप्त है। जिसके चलते इस मंदिर को बेहद पवित्र और पावन माना जाता है। जिसके चलते हर छठ पर्व के मौके पर दूरदराज के लोग यहां दर्शन करने आते हैं और अपनी मांग पूरा होने पर विशेष पूजा में सम्मिलित होते हैं।

छठ पर्व को लेकर फलों की खरीदारी शुरू

महापर्व छठ को लेकर बाजार में फलों की खरीदारी तेज हो गई है। बाढ़ के स्टेशन बाजार में फल, गन्ना, नारियल और पूजा सामग्री खरीदने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लग गई है। आज अस्ताचलगामी सूर्य को वृत्तियों द्वारा अर्घ्य दिया जाएगा। इसके लिए घाटों की साफ-सफाई का काम पूरा कर लिया गया है। स्टेशन बाजार और सदर बाजार सहित ग्रामीण इलाकों में भी खरीदारों की संख्या बढ़ रही है।

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