December 31, 2025

नए साल में पटना में फिर बढ़ेगा ऑटो और ई-रिक्शा का किराया: 15 की जगह देने होंगे 20 रुपये, 1 जनवरी से होगा लागू

पटना। नए साल की शुरुआत पटना के यात्रियों के लिए महंगी साबित होने वाली है। राजधानी में ऑटो और ई-रिक्शा के किराये में एक बार फिर बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया गया है। गांधी मैदान से पटना जंक्शन मल्टीलेवल पार्किंग तक का सफर अब यात्रियों को पहले से ज्यादा महंगा पड़ेगा। जहां अब तक इस रूट पर 15 रुपये किराया लिया जा रहा था, वहीं 1 जनवरी से यात्रियों को 20 रुपये चुकाने होंगे। यह फैसला ऑटो मेंस यूनियन ने एकतरफा रूप से लिया है, जिससे यात्रियों और प्रशासन दोनों में नाराजगी देखी जा रही है।
ऑटो मेंस यूनियन का एकतरफा फैसला
गांधी मैदान में आयोजित ऑटो मेंस यूनियन की बैठक में किराया बढ़ाने का निर्णय लिया गया। यूनियन के महासचिव अजय कुमार पटेल ने बताया कि यह फैसला मजबूरी में लिया गया है। उनका कहना है कि परिवहन विभाग को कई बार किराया संशोधन को लेकर पत्र दिया गया, लेकिन विभाग की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की गई। ऐसे में बढ़ती लागत और बदली हुई यातायात व्यवस्था के बीच ऑटो चालकों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया था, जिस कारण किराया बढ़ाने का निर्णय लेना पड़ा।
रूट बदलने से बढ़ी दूरी और लागत
ऑटो चालकों का तर्क है कि मेट्रो निर्माण कार्य के कारण उनके लिए पुराना रूट बंद कर दिया गया है। फ्रेजर रोड और आकाशवाणी इलाके में मेट्रो का काम चल रहा है, जिसके चलते उस रास्ते से ऑटो का परिचालन रोक दिया गया है। अब गांधी मैदान से पटना जंक्शन जाने वाले ऑटो को एसपी वर्मा रोड, डाकबंगला चौराहा और कोतवाली टी होते हुए मल्टीलेवल पार्किंग तक जाना पड़ रहा है। इससे करीब एक से डेढ़ किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है, जिससे ईंधन खर्च और समय दोनों बढ़ गए हैं। यूनियन का कहना है कि इसी वजह से पांच रुपये की बढ़ोतरी जरूरी हो गई थी।
यात्रियों पर बढ़ता आर्थिक बोझ
किराया बढ़ने का सबसे ज्यादा असर उन यात्रियों पर पड़ेगा जो रोजाना इस रूट पर सफर करते हैं। गांधी मैदान से पटना जंक्शन का रास्ता छात्रों, नौकरीपेशा लोगों और ट्रेन पकड़ने वाले यात्रियों के लिए बेहद अहम है। रोजाना आने-जाने वालों का कहना है कि पहले ही ठंड और घने कोहरे के कारण सफर मुश्किल हो गया है। ऐसे में किराये में बढ़ोतरी ने उनकी परेशानी और बढ़ा दी है। कई यात्रियों ने इसे ऑटो चालकों की मनमानी करार देते हुए कहा कि बिना सरकारी अनुमति इस तरह किराया बढ़ाना अनुचित है।
प्रशासन ने जताई नाराजगी
जिला प्रशासन ने ऑटो मेंस यूनियन के इस फैसले पर कड़ा रुख अपनाया है। जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने स्पष्ट किया है कि बिना प्रशासनिक अनुमति के किराया बढ़ाना नियमों के खिलाफ है। उन्होंने बताया कि गांधी मैदान से पटना जंक्शन तक किराया बढ़ाने की शिकायतें मिली हैं और इस पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। डीएम ने साफ शब्दों में कहा कि कोई भी यूनियन या चालक अपने मन से किराया तय नहीं कर सकता। किराये में किसी भी तरह का बदलाव परिवहन विभाग की अनुमति से ही किया जा सकता है।
परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस की भूमिका
प्रशासन का कहना है कि इस किराया बढ़ोतरी की जानकारी न तो परिवहन विभाग को दी गई है और न ही ट्रैफिक पुलिस को। ऐसे में यह फैसला पूरी तरह मनमाना माना जा रहा है। यदि जांच में यह साबित होता है कि किराया अवैध रूप से बढ़ाया गया है, तो ऑटो चालकों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। ट्रैफिक पुलिस को भी निर्देश दिए जा सकते हैं कि बढ़ा हुआ किराया वसूलने वाले चालकों पर नजर रखें।
पहले भी हो चुकी है किराया बढ़ोतरी
यह पहली बार नहीं है जब पटना में ऑटो चालकों ने एकतरफा किराया बढ़ाया हो। इससे पहले पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि का हवाला देकर भी किराया बढ़ाया गया था। हर बार प्रशासन और यूनियन के बीच इस मुद्दे को लेकर टकराव देखने को मिलता है। लेकिन अंत में सबसे ज्यादा नुकसान आम यात्रियों को ही उठाना पड़ता है। किराया बढ़ने से खासकर गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता है।
आगे क्या होगा, इस पर टिकी नजरें
अब सभी की नजर जिला प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हुई है। यदि प्रशासन सख्ती दिखाता है, तो संभव है कि बढ़ा हुआ किराया वापस लिया जाए। वहीं, यदि रूट में बदलाव को स्थायी माना गया, तो भविष्य में किराया संशोधन को लेकर औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो सकती है। फिलहाल स्थिति यह है कि 1 जनवरी से गांधी मैदान से पटना जंक्शन तक सफर करने वाले यात्रियों को 20 रुपये किराया देना पड़ेगा।
केवल किराया नहीं, व्यवस्था पर भी सवाल
पटना में ऑटो किराये की यह बढ़ोतरी सिर्फ पांच रुपये की नहीं है, बल्कि यह शहर की यातायात व्यवस्था, मेट्रो निर्माण और प्रशासनिक नियंत्रण पर भी सवाल खड़े करती है। मेट्रो निर्माण के कारण रूट बदलना जरूरी हो सकता है, लेकिन इसके असर की भरपाई का बोझ सीधे यात्रियों पर डालना कितना उचित है, यह एक बड़ा सवाल है। नए साल की शुरुआत में यह मुद्दा राजधानी की परिवहन व्यवस्था में सुधार और संतुलन की जरूरत को फिर से सामने लाता है।

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