December 10, 2025

कथावाचक अनिरुद्धाचार्य की मुश्किलें बढ़ी, लड़कियों पर टिप्पणी मामले में चलेगा मुकदमा, एक जनवरी को सुनवाई

मथुरा। कथावाचक अनिरुद्धाचार्य, जो अपने धार्मिक प्रवचनों और कथाओं के लिए जाने जाते हैं, एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। लड़कियों के चरित्र को लेकर की गई उनकी एक टिप्पणी ने सामाजिक और कानूनी दोनों स्तरों पर गहरा असर छोड़ा है। अब मथुरा की सीजेएम कोर्ट द्वारा उनके खिलाफ परिवाद दर्ज किए जाने के बाद उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं। यह मामला न केवल उनके बयान पर उठे सवालों का परिणाम है, बल्कि महिलाओं की गरिमा के मुद्दे पर समाज में फैल रही संवेदनशीलता का भी प्रतीक है।
विवाद की शुरुआत
कुछ महीने पहले सोशल मीडिया पर अनिरुद्धाचार्य का एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ था। इस वीडियो में कथावाचक ने बेटियों को लेकर एक ऐसी टिप्पणी की थी, जिसे समाज के बड़े वर्ग ने आपत्तिजनक माना। वीडियो में वह कहते नजर आए कि आजकल बेटियों की शादी 25 साल की उम्र में होती है और तब तक वे कई जगह “मुंह मार चुकी होती हैं।” इस टिप्पणी को न केवल अभद्र माना गया, बल्कि महिलाओं की गरिमा का अपमान भी समझा गया। वीडियो के सामने आते ही विभिन्न समुदायों, संगठनों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने अनिरुद्धाचार्य की तीखी आलोचना की।
याचिका और कानूनी प्रक्रिया की शुरुआत
इस अभद्र टिप्पणी के खिलाफ ‘अखिल भारत हिंदू महासभा’ आगरा की जिला अध्यक्ष मीरा राठौर ने मथुरा की सीजेएम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की। अक्टूबर महीने में दायर की गई इस याचिका में मांग की गई थी कि अनिरुद्धाचार्य पर महिलाओं का अपमान करने और सामाजिक सौहार्द को प्रभावित करने का मामला दर्ज किया जाए। उन्होंने अपने आवेदन में कहा कि यह बयान समाज में नकारात्मक संदेश देता है और युवतियों की गरिमा को ठेस पहुंचाता है।
कोर्ट का रुख और परिवाद दर्ज
सीजेएम उत्सव राज गौरव ने याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे स्वीकार कर लिया और अनिरुद्धाचार्य के विरुद्ध परिवाद दर्ज करने का आदेश जारी किया। अदालत के इस निर्णय ने मामले को औपचारिक रूप से कानूनी रास्ते पर डाल दिया है। अब यह स्पष्ट है कि अनिरुद्धाचार्य के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया आगे बढ़ेगी और उन्हें अदालत में अपना पक्ष रखना होगा। परिवाद दर्ज होने के बाद अब यह मामला मुकदमे के रूप में चलेगा।
अगली सुनवाई की तिथि
कोर्ट ने अगले वर्ष 1 जनवरी को इस मामले की अगली सुनवाई तय की है। इस सुनवाई में याचिकाकर्ता मीरा राठौर के बयान दर्ज किए जाएंगे। उनके बयान ही आगे की कानूनी प्रक्रिया को दिशा देंगे। बयान दर्ज होने के बाद अदालत यह तय करेगी कि मामले को कैसे आगे बढ़ाया जाए, किन धाराओं के तहत कार्रवाई हो, और किन-किन लोगों को गवाह के रूप में शामिल किया जाए।
अनिरुद्धाचार्य की सफाई
जब वीडियो वायरल हुआ था और आलोचना का दौर शुरू हुआ था, तब अनिरुद्धाचार्य ने सफाई देते हुए कहा था कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। उन्होंने दावा किया कि वह हमेशा महिलाओं का सम्मान करते हैं और किसी को भी अपमानित करने का कोई इरादा नहीं था। हालांकि समाज के कई वर्ग उनकी इस सफाई से संतुष्ट नहीं दिखाई दिए और मामला कानूनी स्तर तक पहुंच गया।
समाज में प्रतिक्रिया
इस विवाद ने महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और गरिमा से जुड़े मुद्दों पर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। कई सामाजिक संगठनों का मानना है कि धार्मिक और सामाजिक प्रभाव रखने वाले व्यक्तियों को अपने शब्दों के प्रति अधिक जिम्मेदार होना चाहिए। ऐसे लोगों की कोई भी टिप्पणी समाज में दूरगामी प्रभाव छोड़ती है, इसलिए उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे मर्यादित और संवेदनशील भाषा का इस्तेमाल करें।
कानून की नजर में मामला
कानूनी रूप से देखें तो किसी भी व्यक्ति द्वारा महिलाओं के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराएं लागू हो सकती हैं। अदालत में यह भी देखा जाएगा कि क्या अनिरुद्धाचार्य की टिप्पणी केवल निजी विचार थी या इससे सामाजिक माहौल और शांति भंग होने की आशंका बनी। यदि अदालत यह मानती है कि टिप्पणी से महिलाओं की गरिमा का अपमान हुआ है, तो सजा का भी प्रावधान है।
मुकदमे से अनिरुद्धाचार्य के लिए बढ़ी परेशानी
परिवाद दर्ज होने के बाद यह मामला अब व्यक्तिगत विवाद नहीं रह गया है, बल्कि एक सार्वजनिक मुद्दा बन चुका है। अनिरुद्धाचार्य को अब न केवल अपने बयान की व्याख्या करनी होगी, बल्कि यह भी साबित करना होगा कि उनका इरादा किसी को अपमानित करने का नहीं था। यदि अदालत आरोपों को गंभीर मानती है, तो आगे की प्रक्रिया उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है। यह मामला उन सीमाओं की याद दिलाता है, जिन्हें पार करने पर समाज और कानून दोनों सवाल खड़े कर देते हैं। महिलाओं के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता आज के समय की अनिवार्य आवश्यकता है। अनिरुद्धाचार्य का मामला सिर्फ एक बयान का मसला नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा संदेश भी देता है कि सार्वजनिक जीवन से जुड़े लोगों को अपने शब्दों का चयन सोच-समझकर करना चाहिए। अगली सुनवाई में क्या मोड़ आएगा, यह देखने वाली बात होगी, लेकिन इतना तय है कि उनके लिए यह मुकदमा आने वाले समय में बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।

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