December 10, 2025

अखिलेश यादव ने बीजेपी को दी चुनौती, 2027 में जीत कर दिखा देना, धांधली नहीं होने देंगे

नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग, उपचुनावों की प्रक्रिया और भाजपा सरकार पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की असली ताकत चुनाव होते हैं, लेकिन जब चुनाव प्रक्रिया ही संदेह के घेरे में आने लगे तो लोगों का भरोसा डगमगाने लगता है। अखिलेश यादव ने हाल के उपचुनावों, खासकर उत्तर प्रदेश के रामपुर और फर्रुखाबाद के चुनावों का उदाहरण देते हुए चुनाव में धांधली के आरोप दोहराए।
उपचुनावों पर गंभीर आरोप
अखिलेश यादव का आरोप है कि रामपुर उपचुनाव में मतदान के दिन पुलिस और प्रशासन ने खुलकर पक्षपात किया। उनके मुताबिक पुलिस कर्मियों ने घर-घर जाकर लोगों को मतदान केंद्र जाने से रोका। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र में अभूतपूर्व घटना थी और इसी कारण पहली बार भाजपा को रामपुर में जीत मिली। अखिलेश ने बताया कि समाजवादी पार्टी ने इस पूरे मामले में लगातार चुनाव आयोग से शिकायत की, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई।
चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल
अपने भाषण में अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी गंभीर प्रश्न उठाए। उन्होंने कहा कि जब इतनी सारी शिकायतों के बावजूद आयोग कोई कदम नहीं उठाता, तो यह स्थिति लोकतंत्र के लिए बेहद चिंताजनक है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अनेक सीटों पर मतदाताओं के अधिकार छीन लिए गए और निष्पक्ष मतदान की मूल भावना का हनन हुआ।
भाजपा को खुली चुनौती
अखिलेश यादव ने भाजपा को चुनौती दी कि 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में वे उन उपचुनाव सीटों में से एक भी सीट बिना धांधली के जीतकर दिखाएं। उनके अनुसार जो उपचुनाव भाजपा जीत रही है, उनमें प्रशासनिक मशीनरी का दुरुपयोग स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि अगर पारदर्शी माहौल में चुनाव हों तो भाजपा एक भी सीट नहीं बचा पाएगी।
बैलेट पेपर पर वापस लौटने की मांग
अखिलेश यादव ने अपने संबोधन में बैलेट पेपर की वापसी की जोरदार वकालत की। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर देश के कई हिस्सों में संदेह व्यक्त किया गया है। उन्होंने जर्मनी का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां ईवीएम को मान्यता नहीं दी जाती, इसलिए भारत को भी लोकतंत्र की मजबूती के लिए बैलेट पेपर पर लौटना चाहिए। उनका कहना है कि जब तक मशीनों को लेकर संदेह बना रहेगा, तब तक चुनाव प्रक्रिया पर भरोसा नहीं बन सकेगा।
फर्रुखाबाद उपचुनाव का मुद्दा
सपा अध्यक्ष ने फर्रुखाबाद का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां तो नतीजे बदल दिए जाने तक की घटनाएं सामने आईं। कई उम्मीदवारों ने औपचारिक रूप से चुनाव आयोग को शिकायत दी कि उनकी जीत को हार में और विरोधियों की हार को जीत में बदल दिया गया। अखिलेश यादव के अनुसार यह सीधे-सीधे लोकतांत्रिक अधिकारों की चोरी है।
पैसे भेजे जाने का आरोप
अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि कई राज्यों में चुनावों के दौरान महिलाओं के खातों में सीधे पैसे भेजे गए, जिससे मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रथाएं चुनाव को भ्रष्ट और असमान बनाती हैं। उनका तर्क है कि जब तक सभी राजनीतिक दलों को समान मंच और समान अवसर नहीं मिलेंगे, तब तक चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी नहीं कहा जा सकता।
कांग्रेस के सुझाव का समर्थन
इस चर्चा के दौरान अखिलेश यादव ने कांग्रेस के उस सुझाव का भी समर्थन किया जिसमें चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया को बदलने की बात कही गई थी। उन्होंने कहा कि वर्तमान व्यवस्था में सरकार का प्रभाव अधिक रहता है, इसलिए एक निष्पक्ष और स्वतंत्र तंत्र की आवश्यकता है। उन्होंने मांग की कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में विपक्ष और न्यायपालिका को भी शामिल किया जाना चाहिए, ताकि आयोग की स्वायत्तता मजबूत हो सके।
लोकतंत्र पर पड़ता असर
अखिलेश यादव के भाषण से यह साफ था कि वे चुनाव प्रक्रिया को लेकर बेहद चिंतित हैं। उनके अनुसार लोकतंत्र तभी सुरक्षित रह सकता है जब जनता यह महसूस करे कि उनकी वोट की अहमियत है और चुनाव स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से हो रहे हैं। यदि जनता को यह भरोसा ही न रहे कि उनका वोट सही तरीके से गिना जा रहा है, तो लोकतंत्र का आधार कमजोर होने लगेगा। सपा अध्यक्ष के इन बयानों ने राजनीतिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है। भाजपा इन आरोपों को खारिज कर चुकी है, जबकि विपक्ष इसे लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा बता रहा है। कुल मिलाकर अखिलेश यादव ने स्पष्ट कर दिया है कि वे 2027 चुनाव में भाजपा को कड़ी चुनौती देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि चुनाव प्रक्रिया में सुधार और पारदर्शिता की बहस आने वाले समय में राजनीतिक विमर्श का बड़ा मुद्दा बनने वाली है।

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