December 10, 2025

बिहार में छठी से 12वीं कक्षा में एआई की होगी पढ़ाई, अगले सत्र से लागू होगा नया नियम

पटना। बिहार शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा और ऐतिहासिक बदलाव होने जा रहा है। राज्य सरकार ने घोषणा की है कि शैक्षणिक सत्र 2026–27 से कक्षा 6 से 12 तक के विद्यार्थियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अर्थात एआई की नियमित और व्यवस्थित शिक्षा दी जाएगी। यह निर्णय सिर्फ पाठ्यक्रम में एक नए विषय को शामिल करने भर का नहीं है, बल्कि यह शिक्षा के भविष्य को नई दिशा देने वाला कदम है। इस योजना के तहत करीब एक करोड़ विद्यार्थियों को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि वे डिजिटल युग की मांगों को बेहतर ढंग से समझ सकें और उसके अनुरूप अपने कौशल विकसित कर सकें।
एआई शिक्षा की शुरुआत का उद्देश्य
आज की दुनिया तेजी से डिजिटल होती जा रही है। ऐसे में विद्यार्थियों के लिए केवल पारंपरिक पढ़ाई पर्याप्त नहीं रह गई है। आधुनिक तकनीक, विशेषकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और डेटा विश्लेषण जैसे विषयों का ज्ञान अब हर क्षेत्र में उपयोगी हो गया है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को भविष्य की नौकरियों के लिए तैयार करना है, जहां तकनीकी दक्षता का महत्व लगातार बढ़ रहा है। सरकार का लक्ष्य है कि सरकारी स्कूलों के बच्चे भी निजी या अंतरराष्ट्रीय स्कूलों के विद्यार्थियों की तरह आधुनिक ज्ञान और कौशल से लैस हों।
एडोब के साथ एमओयू और प्रारंभिक तैयारी
बिहार सरकार ने तीन महीने पहले एडोब कंपनी के साथ एक समझौता किया था जिसके तहत डिजिटल एजुकेशन प्रोग्राम शुरू किया गया। इस एमओयू के बाद राज्य में कुछ चुनिंदा स्कूलों में एआई शिक्षा की शुरुआती प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। इस कार्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थियों को इंटरैक्टिव लर्निंग का अनुभव मिलेगा, जहां कठिन विषयों को विजुअल, ऑडियो और स्मार्ट एनालिटिक्स की मदद से सरल और रोचक बनाया जाएगा।
एआई के अंतर्गत पढ़ाए जाने वाले विषय
नए पाठ्यक्रम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ-साथ मशीन लर्निंग, डेटा एनालिसिस और नैचरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग जैसे विषय शामिल होंगे। ये विषय आज विश्व स्तर पर सबसे ज्यादा उपयोग किए जाने वाले तकनीकी क्षेत्रों में आते हैं। इनका अध्ययन बच्चों में विश्लेषणात्मक सोच, समस्या-समाधान क्षमता और रचनात्मकता को मजबूत करेगा। इससे विद्यार्थियों की एक नई पीढ़ी तैयार होगी जो न सिर्फ तकनीक को समझने में सक्षम होगी, बल्कि उसे बेहतर भविष्य निर्माण में भी उपयोग कर सकेगी।
शिक्षकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था
किसी भी नई शिक्षा पद्धति को सफल बनाने के लिए प्रशिक्षित शिक्षकों की भूमिका सबसे अहम होती है। इस उद्देश्य से सरकार ने प्रत्येक स्कूल में एक-एक शिक्षक को एआई संबंधी विशेष प्रशिक्षण देने की योजना बनाई है। इन शिक्षकों को बेसिक से लेकर उन्नत स्तर तक प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे विद्यार्थियों को प्रभावी ढंग से पढ़ा सकें। एजेंसी स्कूलों को आवश्यक उपकरण भी उपलब्ध कराएगी, जिससे पढ़ाई में किसी प्रकार की बाधा न आए।
नए विषय से शिक्षा में आने वाला परिवर्तन
एआई आधारित शिक्षा से बच्चों को पढ़ाई का अनुभव पूरी तरह बदल जाएगा। गणित, विज्ञान और अंग्रेजी जैसे विषय जिन्हें कई विद्यार्थी कठिन मानते हैं, अब अधिक समझने योग्य और रोचक बन सकेंगे। उदाहरण के लिए, गणित में कठिन समस्याओं को एआई विजुअलाइजेशन की मदद से प्रदर्शित किया जा सकेगा, विज्ञान को 3D मॉडल और सिमुलेशन के जरिए समझा जाएगा, और भाषा सीखने में एआई आधारित टूल बच्चों की उच्चारण और व्याकरण में मदद करेंगे।
नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप पहल
यह कदम नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है, जिसमें डिजिटल ज्ञान, रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच और समस्या-समाधान को शिक्षा का मूल आधार माना गया है। एआई को पाठ्यक्रम में शामिल करने से विद्यार्थियों को न केवल ज्ञान मिलेगा बल्कि उनमें वह क्षमता भी विकसित होगी जिससे वे किसी भी क्षेत्र में नवाचार कर सकें। यह कदम शिक्षा के लोकतांत्रिकरण की दिशा में भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे सरकारी स्कूलों और निजी स्कूलों के बीच तकनीकी असमानता काफी हद तक कम हो जाएगी।
बिहार के लिए इस पहल का महत्व
बिहार लंबे समय से शिक्षा सुधारों की राह पर है। ऐसे में एआई शिक्षा की पहल राज्य को नए युग की ओर ले जाने का अवसर प्रदान करती है। यह निर्णय ग्रामीण विद्यार्थियों को भी तकनीकी दुनिया से जोड़ देगा, जिससे वे भविष्य में किसी भी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में अपनी प्रतिभा प्रदर्शित कर सकेंगे। यह न केवल उनकी रोजगार क्षमता को बढ़ाएगा बल्कि राज्य के समग्र विकास में भी योगदान देगा।
भविष्य की संभावनाएँ
विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल बिहार के बच्चों को डिजिटल सशक्तिकरण की मजबूत नींव देगी। तकनीकी ज्ञान से लैस विद्यार्थी न केवल उच्च शिक्षा में बेहतर प्रदर्शन करेंगे, बल्कि डिजिटल इंडस्ट्री, रिसर्च, रोबोटिक्स और डेटा साइंस जैसे क्षेत्रों में नए अवसर तलाश सकेंगे। आने वाले वर्षों में यह कदम बिहार की शिक्षा व्यवस्था को एक नई पहचान देगा और इसे तकनीकी क्रांति की दिशा में अग्रसर करेगा।

You may have missed