बिहार के विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक सत्रों को समय पर करने की कवायत शुरू, आठ सदस्यीय कमेटी का हुआ गठन

  • 15 जनवरी के बाद विलंबित शैक्षणिक सत्र की परीक्षाएं और परीक्षाफल देने का काम शुरू, यूजीसी का निर्देश जारी

पटना। बिहार के विश्वविद्यालयों के लडखड़ाए शैक्षणिक सत्र को पटरी पर लाने के लिए सरकार के स्तर से तैयारी तेज कर दी गई है। शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की गाइडलाइन का पालन करने के प्रति कुलपतियों को आगाह किया है और शैक्षणिक सत्र को नियमित करने के लिए आठ सदस्यीय कमेटी बनाई है, जो इसी माह कुलपतियों को सुझाव भी देगी। हाल ही में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने जुलाई 2023 तक सभी संस्थानों को अपनी दाखिले की प्रक्रिया को पूरा करने और एक अगस्त से पढ़ाई शुरू कराने का निर्देश दिया है। इसमें जो विश्वविद्यालय कोताही बरतेंगे, उन संस्थानों को यूजीसी अनुदान मिलने में मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इसे ध्यान में रखते हुए राज्यपाल सचिवालय ने सभी कुलपतियों को साफ तौर से कहा है कि 15 जनवरी के बाद विलंबित शैक्षणिक सत्र की परीक्षाएं और परीक्षाफल देने का एक कैलेंडर तैयार कर उपलब्ध कराएं। शैक्षणिक सत्र के ससमय संचालन की बात हो या परीक्षा लेकर रिजल्ट प्रकाशित करने का मसला, दोनों मामलों में बिहार के विश्वविद्यालय खरे नहीं उतर रहे हैं। ऐसे विश्वविद्यालयों में पांच साल में भी विद्यार्थियों को डिग्रियां नहीं मिल रही हैं। वही तीन से चार साल पीछे चल रहे शैक्षणिक को पटरी पर लाने में राज्यपाल सचिवालय भी हल्कान है, क्योंकि कुलाधिपति व राज्यपाल की ओर से बीते साल-डेढ़ साल से कुलपतियों को सत्र नियमित करने की बार-बार हिदायतें दी जा रही हैं, लेकिन आदेश बेअसर साबित हो रहे हैं। हालांकि, पटना विश्वविद्यालय और पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक सत्र को नियमित करने में कुछ हद तक स्थिति में सुधार किया है।
शैक्षणिक सत्रों के कारण नपेंगे कुलपति, कुलसचिव व परीक्षा नियंत्रक
राज्यपाल सचिवालय ने मगध विश्वविद्यालय में स्थायी कुलपति की नियुक्ति नहीं की है। लेकिन, इस विश्वविद्यालय में बेपटरी हो चुके शैक्षणिक सत्र और परीक्षा संचालन को नियमित करने हेतु दो बार प्रभारी कुलपति बदला जा चुका है। परीक्षा नियंत्रक भी हटाये जा चुके हैं और नये परीक्षा नियंत्रक दिए गए हैं। इससे यह संदेश देने का काम राज्यपाल सचिवालय ने किया है जो कुलपति, परीक्षा निंयत्रक और कुलसचिव सत्र को नियमित नहीं कर पायेंगे उन्हें हटाया भी जा सकता है।

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