सिद्धिदायी योग में 2 फरवरी से शुरू होगा गुप्त नवरात्र, दस महाविद्याओं की होगी साधना

पटना। माघ शुक्ल प्रतिपदा कल 2 फरवरी बुधवार को धनिष्ठा नक्षत्र व वरीयान योग में शिशिर नवरात्र या गुप्त नवरात्र शुरू हो रहा है। यह नवरात्र 2 फरवरी को कलश स्थापना से शुरू होकर 11 फरवरी को विजयादशमी से साथ संपन्न होगा। ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि शिशिर नवरात्र में ग्रह-गोचरों का अति पुण्यकारी संयोग बन रहा है, जो श्रद्धालुओं के मनोकामना पूर्ति करने वाला होगा। इस नवरात्र में तीन सर्वार्थ सिद्धि योग, चार सिद्धि योग, एक जयद् योग व पांच रवियोग का बना दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस गुप्त नवरात्र का आरंभ व समापन दोनों ही सिद्धि योग में होगा। यह मास प्रकृति को अपने गोद में लिये हुए है, इसीलिये इस मास में सर्दी तथा शीतलहर की प्रधानता रहती है। ऋतू संधि में अनेक प्रकार की बीमारियों का प्रकोप बढ़ने के कारण इनसे बचाव हेतु माघ मास में शक्ति पूजन की प्राचीन परम्परा है। उन्होंने कहा कि इस नवरात्र में माता का आगमन नाव पर हो रहा है। माता के इस आगमन से श्रद्धालु के सभी कार्य सिद्ध होंगे, वहीं माता का गमन हाथी पर होगा।
दुर्गा पाठ से रोग-शोक से मुक्ति
पंडित झा के कहा कि गुप्त नवरात्र का आरंभ एवं समापन पर सिद्धि योग बन रहे हैं। इस सिद्धिदायी योग में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना अत्यंत कल्याणकारी होगा क नवरात्र में दुर्गा सप्तशती, देवी के विशिष्ट मंत्र का जाप, दुर्गा कवच, दुर्गा शतनाम का पाठ प्रतिदिन करने से रोग-शोक आदि का नाश होता है क व्यवसाय में वृद्धि, रोजगार, रोग निवारण आदि मनोकामनाओं के लिए इस नवरात्र में देवी की आराधना की जाती है।
प्रत्यक्ष फल देते हैं गुप्त नवरात्र
आयुर्वेद के मुताबिक इस बदलाव से जहां शरीर में वात, पित्त, कफ में दोष पैदा होते हैं, वहीं बाहरी वातावरण में रोगाणु जो अनेक बीमारियों का कारण बनते हैं सुखी-स्वस्थ जीवन के लिये इनसे बचाव बहुत जरूरी है। नवरात्र के विशेष काल में देवी उपासना के माध्यम से खान-पान, रहन-सहन और देव स्मरण में अपनाने गए संयम और अनुशासन तन व मन को शक्ति और ऊर्जा देते हैं जिससे इंसान निरोगी होकर लंबी आयु और सुख प्राप्त करता है।
दस महाविद्याओं की होगी साधना
इससे आने वाले समय में देश में अति वृष्टि के आसार होंगे। पं. झा के अनुसार इस गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। विशेष तौर पर तंत्रोक्त क्रियाओ, शक्ति साधनाओं, और महाकाल से जुड़े साधकों के लिये यह नवरात्र विशेष महत्व रखता है। इस दौरान देवी के साधक कड़े विधि-विधान के साथ व्रत और साधना करते हैं। देवी के सोलह शक्तियों की प्राप्ति के लिये यह पूजन करते हैं।
देवी पूजन से मिलेगा कष्टकारी ग्रहों से मुक्ति
पंडित झा के कहा कि देवी माँ की पूजन, हवन,वेद पाठ के उच्चारण से कष्टकारी ग्रह शनि, राहु और केतु से पीड़ित श्रद्धालूओं को लाभ होता है क दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति के लिये साधक महाकाली, तारा, भुवनेश्वरी, त्रिपुरसुंदरी, छिन्मस्तिका, भैरवी, बगलामुखी, माता कमला, मातंगी देवी और धूमावती की साधना करते है।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
चर मुहूर्त: सुबह 06:28 बजे से 07:52 बजे तक
गुली व लाभ मुहूर्त: प्रात: 07:52 बजे से 09:16 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:42 बजे से 12:26 बजे तक
अमृत मुहूर्त: सुबह 09:16 बजे से 10:40 बजे तक
शुभ मुहूर्त: दोपहर 12:04 बजे से 01:28 बजे तक
