December 8, 2025

वृद्धि योग में 22 जून से गुप्त नवरात्र, अश्व पर होगा माता का आगमन

पटना। आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा 22 जून (सोमवार) को आर्द्रा नक्षत्र एवं वृद्धि योग में ग्रीष्म कालीन गुप्त नवरात्र आरंभ होगी। पंचमी व षष्टी तिथि एक ही दिन होने से नवरात्र में आठ दिनों की ही पूजा की जायेगी। श्रद्धालु निराहार या फलाहार रहकर माता की आराधना करेंगे। घरों एवं मंदिरों में कलश की स्थापना तथा शक्ति की पूजन होंगी। गुप्त नवरात्र में तंत्र साधना की प्रधानता होती है। इस नवरात्र में मां कामाख्या की पूजन-अर्चना विशेष तौर पर की जाती है।
कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने शिव पुराण एवं मत्स्य पुराण के हवाला देते हुए बताया कि आषाढ़ मास के देवता इंद्र और महाकाली हैं। यह मास प्रकृति को अपने गोद में लिये हुए है, इसीलिये इस मास में बारिश की प्रधानता रहती है। ऋतु संधि में अनेक प्रकार की बीमारियों का प्रकोप बढ़ने के कारण इनसे बचाव हेतु आषाढ़ मास में शक्ति पूजन की प्राचीन परंपरा है।
गुप्त नवरात्र का आरंभ वृद्धि योग में
पंडित झा के कहा कि गुप्त नवरात्र का आरंभ वृद्धि योग एवं समापन पर रवि योग बन रहे हैं। इस नवरात्र में पूजा की शुरूआत आर्द्रा नक्षत्र में होने से योग और उत्तम हो गया है। इस महायोग में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना अत्यंत कल्याणकारी होगा। नवरात्र में दुर्गा सप्तशती, देवी के विशिष्ट मंत्र का जाप, दुर्गा कवच, दुर्गा शतनाम का पाठ प्रतिदिन करने से रोग-शोक आदि का नाश होता है।
दस महाविद्याओं की होगी साधना
ज्योतिषी झा के अनुसार इस गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। विशषेत: तांत्रिक क्रियाओं, शक्ति साधनाओं और महाकाल से जुड़े साधकों के लिये यह नवरात्र विशेष महत्व रखता है। इस दौरान देवी के साधक कड़े विधि-विधान के साथ व्रत और साधना करते हैं। देवी के सोलह शक्तियों की प्राप्ति के लिये यह पूजन करते हैं।
देवी पूजन से मिलेगा कष्टकारी ग्रहों से मुक्ति
पंडित झा के कहा कि देवी मां की पूजन, हवन, वेद पाठ के उच्चारण से कष्टकारी ग्रह शनि, राहु और केतु से पीड़ित श्रद्धालुओं को लाभ होता है। दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति के लिये साधक महाकाली, तारा, भुवनेश्वरी, त्रिपुरसुंदरी, छिन्नमस्तिका, भैरवी, बगलामुखी, माता कमला, मातंगी देवी की साधना करते हैं।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11:22 बजे से 12:19 बजे तक
गुली मुहूर्त : दोपहर 01:34 बजे से शाम 03:34 बजे तक

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