January 1, 2026

अमेरिकी एजेंसियों का बड़ा दावा, कहा- 2026 में भारत और पाकिस्तान में फिर होगा युद्ध

नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं। वर्ष 2025 के मई महीने में दोनों देशों के बीच एक बार फिर सैन्य टकराव देखने को मिला था। हालांकि यह संघर्ष कुछ ही दिनों में सीजफायर के साथ थम गया, लेकिन इसके पीछे की वजहें और हालात भविष्य को लेकर आशंकाएं पैदा करने वाली रहीं। पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद भारत द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर ने दोनों देशों के बीच अविश्वास और तनाव को और गहरा कर दिया। अब अमेरिकी थिंक टैंक काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस की एक रिपोर्ट ने इस मुद्दे को फिर से अंतरराष्ट्रीय चर्चा के केंद्र में ला दिया है।
अमेरिकी थिंक टैंक की चेतावनी
अमेरिका के प्रतिष्ठित थिंक टैंक काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस ने अपनी ताजा रिपोर्ट ‘कॉन्फ्लिक्ट्स टू वॉच इन 2026’ में बड़ा दावा किया है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2026 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर युद्ध की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। संस्था का कहना है कि कश्मीर में बढ़ती आतंकी गतिविधियां दोनों परमाणु संपन्न देशों को सीधे टकराव की ओर धकेल सकती हैं। यह चेतावनी इसलिए भी गंभीर मानी जा रही है क्योंकि यह रिपोर्ट अमेरिकी विदेश नीति से जुड़े विशेषज्ञों के सर्वे पर आधारित है।
रिपोर्ट का आधार और विशेषज्ञों की राय
सीएफआर की यह रिपोर्ट किसी एक व्यक्ति की राय नहीं है, बल्कि इसमें पूर्व राजनयिकों, सैन्य अधिकारियों, प्रोफेसरों और नीति विशेषज्ञों के विचार शामिल हैं। इन विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-पाकिस्तान के बीच अब तक जितने भी बड़े संघर्ष हुए हैं, उनकी जड़ में आतंकवादी घटनाएं रही हैं। कश्मीर क्षेत्र में आतंकवाद की मौजूदगी और सीमा पार से होने वाली गतिविधियां दोनों देशों के बीच तनाव को लगातार बढ़ाती रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि हालात ऐसे ही बने रहे, तो 2026 में स्थिति फिर से युद्ध जैसी हो सकती है।
कश्मीर में आतंकी गतिविधियों का प्रभाव
रिपोर्ट में विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर का जिक्र किया गया है। हाल के इनपुट्स के अनुसार इस क्षेत्र में 30 से अधिक आतंकी छिपे होने की आशंका जताई गई है। इससे पहले पहलगाम में पर्यटकों को निशाना बनाकर किया गया आतंकी हमला भी इसी अस्थिरता का उदाहरण था। ऐसे हमले न केवल क्षेत्रीय शांति को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से मौजूद तनाव को और भड़काते हैं। सीएफआर का मानना है कि कश्मीर में बढ़ती हिंसा दोनों देशों को सैन्य कार्रवाई के लिए मजबूर कर सकती है।
ऑपरेशन सिंदूर और 2025 का संघर्ष
पहलगाम हमले के बाद भारत ने आतंकियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की थी। इस सैन्य अभियान का उद्देश्य आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना और भविष्य में ऐसे हमलों को रोकना था। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सीमित लेकिन तीव्र संघर्ष देखने को मिला। हालांकि अंतरराष्ट्रीय दबाव और हालात को देखते हुए कुछ दिनों में ही सीजफायर की घोषणा कर दी गई, लेकिन यह संघर्ष यह संकेत दे गया कि दोनों देशों के बीच स्थिति कितनी नाजुक है।
अमेरिका पर संभावित असर
सीएफआर की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध होता है, तो उसका असर केवल दक्षिण एशिया तक सीमित नहीं रहेगा। इसका सीधा प्रभाव अमेरिका और उसके रणनीतिक हितों पर भी पड़ सकता है। अमेरिका दोनों देशों के साथ अलग-अलग स्तर पर संबंध रखता है और क्षेत्रीय स्थिरता उसके लिए बेहद अहम है। परमाणु हथियारों से लैस दो देशों के बीच युद्ध की स्थिति वैश्विक सुरक्षा के लिए भी गंभीर चुनौती बन सकती है।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव
रिपोर्ट में एक और महत्वपूर्ण पहलू पर ध्यान दिलाया गया है। सीएफआर के अनुसार 2026 में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच भी सशस्त्र संघर्ष की संभावना बनी हुई है। हालांकि संस्था का मानना है कि इसका असर अमेरिकी हितों पर भारत-पाकिस्तान संघर्ष की तुलना में कम होगा। हाल के महीनों में अफगान तालिबान और अन्य आतंकवादी समूहों द्वारा पाकिस्तान की सीमा चौकियों पर हमले किए गए हैं। इन झड़पों में बड़ी संख्या में आतंकवादी मारे गए, जबकि कई पाकिस्तानी सैनिक भी शहीद हुए। इससे दोनों देशों के बीच अविश्वास और तनाव और बढ़ गया है।
भविष्य को लेकर बढ़ती चिंताएं
भारत और पाकिस्तान के बीच फिलहाल सीजफायर लागू है, लेकिन यह स्थायी शांति की गारंटी नहीं माना जा सकता। इतिहास गवाह है कि दोनों देशों के बीच शांति अक्सर नाजुक रही है और किसी भी बड़े आतंकी हमले के बाद हालात तेजी से बिगड़ जाते हैं। सीएफआर की रिपोर्ट इसी संदर्भ में चेतावनी देती है कि अगर समय रहते कूटनीतिक और सुरक्षा स्तर पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाला समय और अधिक अस्थिर हो सकता है।
कूटनीति और शांति की आवश्यकता
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध को रोकने का एकमात्र रास्ता संवाद, कूटनीति और आतंकवाद के खिलाफ ठोस अंतरराष्ट्रीय सहयोग है। केवल सैन्य ताकत के भरोसे स्थायी समाधान संभव नहीं है। कश्मीर में शांति, सीमा पार आतंकवाद पर रोक और आपसी विश्वास बहाली ही भविष्य में किसी बड़े संघर्ष को टाल सकती है। सीएफआर की रिपोर्ट एक चेतावनी के रूप में देखी जा रही है, जो दोनों देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को समय रहते गंभीरता से सोचने का संकेत देती है। अमेरिकी थिंक टैंक की यह रिपोर्ट भारत और पाकिस्तान के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ाने वाली है। 2026 में युद्ध की आशंका भले ही एक अनुमान हो, लेकिन इसके पीछे दिए गए तर्क और घटनाक्रमों की कड़ी इसे नजरअंदाज करने योग्य नहीं बनाती। दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए आने वाला समय बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

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