December 10, 2025

2026 के पंचायत चुनाव में पहली बार ईवीएम से होगी वोटिंग, राज्य चुनाव आयोग ने शुरू की तैयारी

पटना। बिहार में वर्ष 2026 में होने वाले पंचायत चुनाव इस बार कई बड़े बदलावों और नई व्यवस्थाओं के साथ आयोजित किए जाएंगे। विधानसभा चुनाव के बाद अब पूरा राजनीतिक माहौल पंचायत चुनाव की ओर मुड़ रहा है और राज्य चुनाव आयोग ने भी समय रहते तैयारी शुरू कर दी है। इस चुनाव की सबसे उल्लेखनीय विशेषता यह होगी कि पहली बार पंचायत चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम का उपयोग किया जाएगा। इससे न केवल मतदान प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और सुव्यवस्थित होगी, बल्कि परिणामों की घोषणा भी पहले की तुलना में काफी तेज़ी से हो सकेगी।
ईवीएम के उपयोग का नया प्रयोग
राज्य चुनाव आयोग की योजना है कि 2026 के पंचायत चुनाव में मल्टी पोस्ट ईवीएम का इस्तेमाल किया जाए। इन मशीनों की खासियत है कि एक कंट्रोल यूनिट के साथ छह बैलेट यूनिट जोड़ी जा सकती हैं। इसका अर्थ यह है कि मतदाता वार्ड सदस्य, मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, सरपंच, पंच और जिला परिषद सदस्य के लिए अलग-अलग यूनिट पर एक ही समय में वोट दर्ज कर सकेंगे। यह तकनीकी व्यवस्था अब तक केवल बड़े चुनावों में देखने को मिलती थी, लेकिन पंचायत स्तर के चुनावों में इसे लागू करना निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण कदम है। चुनाव आयोग का मानना है कि इससे मतगणना में लगने वाले समय में कमी आएगी, बूथों पर गड़बड़ी की संभावना घटेगी और मतदान प्रक्रिया बिल्कुल व्यवस्थित रूप से संचालित हो सकेगी।
नए आरक्षण रोस्टर का प्रभाव
पंचायती राज संस्थाओं में दो कार्यकाल पूरे होने के बाद आरक्षित सीटों को बदले जाने का प्रावधान है। इस बार 2026 के चुनाव से पहले यही प्रक्रिया लागू की जाएगी, जिसके कारण जिला परिषद सदस्य, मुखिया, पंचायत समिति, सरपंच, पंच और वार्ड सदस्य जैसी सभी सीटों में व्यापक बदलाव होंगे। नए रोस्टर के अनुसार किस सीट को किस वर्ग के लिए आरक्षित किया जाएगा, यह कई प्रतिनिधियों के राजनीतिक भविष्य और रणनीति को पूरी तरह बदल सकता है। कई ऐसी सीटें जो अभी अनारक्षित हैं, वे आरक्षित हो जाएंगी और जो आरक्षित हैं, वे दोबारा सामान्य वर्ग के लिए उपलब्ध होंगी। इसलिए ग्राम पंचायत से लेकर जिला परिषद तक के प्रतिनिधि अभी से संभावित बदलावों का अनुमान लगाने में लगे हुए हैं।
बांका जिले का उदाहरण
बांका जिले में जिला परिषद की 25 सीटें, मुखिया और सरपंच की 182 सीटें, पंचायत समिति की 246 सीटें और वार्ड सदस्य व पंच की 2417–2417 सीटें हैं। इनमें पहले से ही सभी वर्ग की महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण लागू है। जब नए रोस्टर की घोषणा होगी तो महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों में भी फेरबदल होगा, जिससे राजनीतिक समीकरण और ज्यादा जटिल हो सकते हैं। यही कारण है कि नए आरक्षण रोस्टर की मात्र सूचना भर से ही वर्तमान जनप्रतिनिधियों में हलचल तेज हो गई है और कई लोग संभावित विकल्पों पर विचार करने लगे हैं।
परिसीमन की प्रक्रिया
नए आरक्षण रोस्टर के साथ-साथ परिसीमन यानी निर्वाचन क्षेत्रों की पुनर्संरचना भी इस चुनाव की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया होगी। बढ़ती जनसंख्या, भौगोलिक स्थिति और प्रशासनिक आवश्यकताओं को देखते हुए कई पंचायत क्षेत्रों की सीमाएं बदली जा सकती हैं। परिसीमन के बाद कई पंचायतों में सीटों की संख्या भी बढ़ या घट सकती है। चुनाव आयोग मार्च के बाद इस प्रक्रिया को शुरू करने की संभावना जता रहा है। परिसीमन होने के बाद कई नेताओं का राजनीतिक आधारक्षेत्र बदल सकता है, जिससे चुनावी रणनीति पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।
पंचायती राज प्रणाली की संरचना
बिहार की पंचायत सरकार छह पदों के लिए चुनाव कराती है—जिला परिषद सदस्य, मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, सरपंच, पंच और वार्ड सदस्य। इनमें जिला परिषद सदस्य की सीट सबसे प्रभावशाली मानी जाती है, क्योंकि जिले के विकास संबंधी बड़ी योजनाएं इन्हीं के निर्णयों से संचालित होती हैं। मुखिया, पंचायत समिति सदस्य और वार्ड सदस्य ग्रामीण प्रशासन और विकास की रीढ़ माने जाते हैं। वहीं, ग्राम कचहरी में सरपंच और पंच स्थानीय स्तर पर न्यायिक जिम्मेदारियां निभाते हैं। इस तरह यह चुनाव केवल राजनीतिक प्रतिनिधि चुनने का माध्यम नहीं है, बल्कि ग्रामीण लोकतंत्र की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी भी है।
चुनाव आयोग की तैयारी
राज्य चुनाव आयोग ने पहले से ही स्पष्ट कर दिया है कि इस बार की चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह तकनीक आधारित और अधिक पारदर्शिता के साथ संचालित होगी। मल्टी पोस्ट ईवीएम का प्रयोग, नए परिसीमन की तैयारी और आरक्षण निर्धारण की प्रक्रिया की समयबद्ध घोषणा, यह सभी कदम दर्शाते हैं कि आयोग इस चुनाव को अत्यधिक सुव्यवस्थित तरीके से संपन्न कराना चाहता है। वर्तमान पंचायती संस्थाओं का कार्यकाल अक्टूबर–नवंबर 2026 में समाप्त होना है, इसलिए आयोग ने अभी से सभी प्रक्रियाओं की रूपरेखा पर काम शुरू कर दिया है।
आने वाले समय की राजनीति
2026 का पंचायत चुनाव बिहार में तकनीकी, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से एक नया अध्याय लिखने जा रहा है। ईवीएम का प्रयोग, नए आरक्षण रोस्टर और परिसीमन के कारण कई क्षेत्रों में राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं। यह बदलाव न केवल उम्मीदवारों को नई चुनौतियों के लिए तैयार करेगा, बल्कि मतदाताओं को भी अधिक सुव्यवस्थित और पारदर्शी चुनाव का अनुभव देगा।

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