दिल्ली में प्रदूषण की गंभीर स्थिति पर लोकसभा में हल्ला बोल, विपक्षी सांसदों ने संसद परिसर में किया प्रदर्शन
नई दिल्ली। दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण की खतरनाक स्थिति लगातार चिंता का विषय बनी हुई है। इसी मुद्दे को लेकर गुरुवार सुबह संसद परिसर में विपक्षी सांसदों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। सांसदों ने प्रदूषण के लिए सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए और इस पर तत्काल चर्चा और ठोस कार्रवाई की मांग की। प्रदूषण का स्तर कई बार खतरनाक श्रेणी में पहुंच चुका है, जिससे बच्चों, बुजुर्गों और आम नागरिकों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
संसद परिसर में विपक्ष का विरोध प्रदर्शन
गुरुवार सुबह विपक्षी सांसद ‘मकर द्वार’ पर इकट्ठा हुए और दिल्ली के खराब होते वायु गुणवत्ता स्तर के खिलाफ प्रदर्शन किया। कई सांसद मॉस्क पहनकर आए थे और हाथों में प्रदूषण से संबंधित नारे लिखी तख्तियां तथा बैनर लिए हुए थे। विपक्षी दलों के इस प्रदर्शन का नेतृत्व कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने किया। एक बैनर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगी थी, जिस पर लिखा था—“मौसम का मज़ा लीजिए।” विपक्ष ने इसे पीएम मोदी की उस टिप्पणी से जोड़कर तंज कसा, जिसमें उन्होंने शीतकालीन सत्र के पहले दिन कहा था, “आप लोग भी मौसम का मज़ा लीजिए।”
‘प्रदूषण पर चर्चा करो’—विपक्ष की मांग
प्रदर्शन के दौरान विपक्षी सांसदों ने ‘प्रदूषण पर चर्चा करो’ के नारे भी लगाए। विपक्ष का आरोप है कि सरकार इस गंभीर मुद्दे को हल्के में ले रही है और संसद में इस पर गंभीर चर्चा से बच रही है। सांसदों का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर के लोग जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं, ऐसे में संसद का कर्तव्य है कि वह इस मुद्दे को प्राथमिकता से उठाए।
सोनिया गांधी ने सरकार पर साधा निशाना
सोनिया गांधी ने प्रदूषण पर सरकार की चुप्पी पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा, “सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह कुछ करे। छोटे-छोटे बच्चे दमा से पीड़ित हैं और सांस नहीं ले पा रहे। बुजुर्गों के लिए भी स्थिति बेहद कठिन है।” उन्होंने संसद में वायु प्रदूषण पर विस्तार से चर्चा कराने की मांग की। सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि हर साल हवा की स्थिति और खराब होती जा रही है, लेकिन सरकार की ओर से कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया है। उनका मानना है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए दीर्घकालिक और वैज्ञानिक समाधान की आवश्यकता है।
प्रियंका गांधी ने भी पीएम मोदी पर कसा व्यंग्य
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने भी इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यंग्य साधा। उन्होंने कहा, “किस मौसम का मज़ा लें? बाहर हवा में ज़रा भी साफ़ सांस लेना मुश्किल है।” प्रियंका गांधी ने दावा किया कि हर साल यह समस्या बढ़ती जा रही है, लेकिन ठोस नीति या मजबूत कार्ययोजना कहीं नजर नहीं आती। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली-एनसीआर के लोग लगातार प्रदूषण बढ़ने की सजा भुगत रहे हैं और यह अब केवल दिल्ली का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय संकट बन चुका है।
विपक्ष की दूसरी मांगें—संयुक्त कार्ययोजना की जरूरत
प्रदर्शन कर रहे कई सांसदों ने कहा कि वायु प्रदूषण की समस्या राज्यों की साझा समस्या है और इसके लिए मिलकर योजना बनाने की जरूरत है। रोहतक से सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा, “हम जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। प्रधानमंत्री को इस पर जवाब देना चाहिए।” उन्होंने मांग की कि हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों का एक संयुक्त समूह बनाया जाए और इसके लिए बजट और विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जाए। हुड्डा ने यह भी कहा कि जब तक राज्यों के बीच तालमेल नहीं बनेगा, तब तक प्रदूषण की समस्या का स्थायी समाधान संभव नहीं है।
संसद में भी उठा मुद्दा
बुधवार को भी कई विपक्षी सांसद चेहरे पर मॉस्क लगाकर संसद पहुंचे थे और सरकार से प्रदूषण पर जवाबदेही की मांग की थी। विपक्ष का कहना है कि संसद में बार-बार इस मुद्दे को उठाने के बावजूद सरकार इससे बचती रही है।
दिल्ली और एनसीआर में लगातार बिगड़ती हवा
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार ‘गंभीर’ श्रेणी में बना हुआ है। स्मॉग की चादर, सड़कों पर धुंध, बढ़ते वाहन उत्सर्जन, पराली जलाने और औद्योगिक धुएं के कारण स्थिति बेहद चिंताजनक हो चुकी है। विशेषज्ञ साफ चेतावनी दे रहे हैं कि यदि जल्द ही नियंत्रण नहीं किया गया तो आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य संकट और गहरा सकता है। संसद परिसर में विपक्ष के इस विरोध ने वायु प्रदूषण को राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया है। सांसदों का कहना है कि यह केवल राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और जनजीवन से जुड़ी गंभीर चुनौती है। सरकार और विपक्ष दोनों को मिलकर दीर्घकालिक समाधान तैयार करना होगा, ताकि दिल्ली और एनसीआर को जहरीली हवा से राहत मिल सके।


