बिहार में एसआईआर ने खेल किया, हम इसे यूपी और बंगाल में नहीं होने देंगे: अखिलेश यादव
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के रुझानों ने राज्य की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। एनडीए गठबंधन को प्रचंड बहुमत मिलता दिख रहा है और वह 190 से अधिक सीटों पर आगे चल रहा है। इसके विपरीत महागठबंधन, जिसने चुनाव से पहले बड़े-बड़े दावे किए थे, शुरुआती रुझानों में काफी पीछे नजर आ रहा है। इस पृष्ठभूमि में विपक्षी दलों से लगातार प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। इसी क्रम में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी बिहार के चुनाव परिणामों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
अखिलेश यादव का आरोप
अखिलेश यादव ने कहा कि बिहार में इस चुनाव के दौरान एसआईआर यानी विशेष मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया के जरिए खेल किया गया। उनके अनुसार इस प्रक्रिया की आड़ में मतदाता सूची से कई नाम हटाए गए या बदलाव किए गए, जिससे चुनाव की पारदर्शिता प्रभावित हुई है। उन्होंने इसे एक प्रकार की चुनावी साजिश बताया और कहा कि अब यह साजिश खुलकर सामने आ चुकी है। उनका कहना है कि बिहार में जो हुआ, वह आगामी चुनावों में दोहराया नहीं जाएगा।
आगामी चुनावों के लिए चेतावनी
अखिलेश ने पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि अब इन राज्यों में इस तरह का खेल नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि विपक्ष अब पूरी तरह सतर्क है और चुनावी गड़बड़ियों को रोकने के लिए मजबूत तैयारी कर रहा है। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ लोकतंत्र की जड़ें कमजोर करती है और इसे लेकर वे और उनकी पार्टी किसी भी हाल में समझौता नहीं करेंगे।
पीपीटीवी की अवधारणा
अखिलेश यादव ने अपने बयान में ‘पीपीटीवी’ की अवधारणा का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि पीपीटीवी यानी पीडीए प्रहरी, समाजवादी पार्टी की ओर से चुनाव के दौरान सतर्क निगरानी रखने वाली टीम होगी। उनका कहना है कि जैसे चुनाव आयोग सीसीटीवी के जरिए हर गतिविधि पर निगरानी रखता है, वैसे ही उनकी पार्टी का पीडीए प्रहरी भी बूथों और चुनावी प्रक्रियाओं पर पैनी नजर रखेगा। इसके माध्यम से वे भाजपा के “मंसूबों” को नाकाम करने का प्रयास करेंगे।
भाजपा पर निशाना
अखिलेश ने भाजपा पर तीखे शब्दों में हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा कोई दल नहीं बल्कि छल है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा चुनाव जीतने के लिए हर प्रकार के तरीकों का इस्तेमाल करती है, और बिहार का चुनाव इसके ताजा उदाहरणों में से एक है। उनके अनुसार बिहार में जो नतीजे आ रहे हैं, वे सत्ता के दुरुपयोग और मतदाता सूची से छेड़छाड़ का परिणाम हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा की इस रणनीति का अब मुकाबला किया जाएगा और विपक्ष एकजुट होकर उसे चुनौती देगा।
महागठबंधन के प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया
महागठबंधन के प्रदर्शन पर अखिलेश ने अप्रत्यक्ष रूप से कहा कि जिस प्रकार से बिहार में महागठबंधन पिछड़ता नजर आ रहा है, उसमें केवल राजनीतिक गलती नहीं बल्कि चुनावी प्रक्रिया की खामियां भी शामिल हैं। विपक्ष पहले ही इस मुद्दे पर लगातार सवाल उठाता रहा है कि मतदाता सूची में पर्याप्त पारदर्शिता नहीं बरती गई। अखिलेश का बयान महागठबंधन के नेताओं की उन आशंकाओं को और बल देता है।
बिहार का चुनावी परिदृश्य
बिहार में दो चरणों में हुआ चुनाव इस बार रिकॉर्ड मतदान लेकर सामने आया। इसके बावजूद विपक्ष का प्रदर्शन कमजोर रहा, और इससे चुनावी समीकरणों पर काफी बहस छिड़ गई है। एनडीए का बढ़त बनाना यह दिखाता है कि जनता ने उसके विकास और स्थिरता के मुद्दों पर भरोसा जताया। दूसरी ओर, महागठबंधन चुनावी रणनीति और संगठन दोनों स्तरों पर कमजोर नजर आया, जिसका प्रभाव रुझानों में स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
भविष्य की राजनीति की दिशा
अखिलेश यादव के बयान से यह संकेत मिलता है कि आने वाले समय में विपक्ष चुनावी प्रक्रियाओं की निगरानी और पारदर्शिता को लेकर अधिक सक्रिय होगा। विशेष रूप से मतदाता सूची, बूथ प्रबंधन और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की निगरानी पर वह और अधिक जोर देगा। उनका कहना है कि लोकतंत्र तभी मजबूत रह सकता है जब चुनावी प्रक्रिया पर सवाल न उठें और हर मतदाता को उसका अधिकार मिले। बिहार चुनाव के रुझानों के बीच अखिलेश यादव का बयान विपक्षी राजनीति को एक नए मोड़ पर ले जाता है। उन्होंने चुनाव प्रक्रिया में खामियों की ओर संकेत करते हुए आगामी चुनावों में सत्ताधारी दल को चुनौती देने की रणनीति भी स्पष्ट कर दी है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि विपक्ष इस दिशा में कितना प्रभावी कदम उठा पाता है और क्या भविष्य के चुनावों में ऐसे आरोपों की पुनरावृत्ति होती है या नहीं।


