November 12, 2025

सम्राट चौधरी को अयोग्य ठहरने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज, अदालत बोली- ऐसे मामले लाकर कोर्ट का समय बर्बाद ना करें

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के खिलाफ दायर अयोग्यता संबंधी याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका हैदराबाद के एक निवासी द्वारा दायर की गई थी, जिसमें सम्राट चौधरी पर चुनावी हलफनामों में उम्र और जन्मतिथि को लेकर गलत जानकारी देने का आरोप लगाया गया था। अदालत ने सुनवाई के दौरान कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे मामलों से अदालत का समय व्यर्थ नहीं किया जाना चाहिए।
अदालत ने जताई नाराजगी, कहा- कोर्ट का समय कीमती है
सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता की दलीलों को पूरी तरह निराधार बताया। न्यायमूर्ति ने कहा, “ऐसी याचिकाएं केवल अदालत का समय बर्बाद करती हैं। न्यायालय का समय देश के महत्वपूर्ण मामलों के लिए है, न कि राजनीतिक लाभ के लिए दाखिल याचिकाओं के लिए।” अदालत ने याचिका को तुरंत खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता को अपनी अर्जी वापस लेने की अनुमति दी। अदालत की इस टिप्पणी ने स्पष्ट कर दिया कि यह मामला राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित था, जिसका मकसद केवल विवाद खड़ा करना था।
याचिका में लगाए गए थे गंभीर आरोप
हैदराबाद निवासी याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि सम्राट चौधरी ने अपने चुनावी हलफनामों में उम्र को लेकर भिन्न-भिन्न जानकारियां दीं। याचिका के अनुसार, 1995 में सम्राट चौधरी ने आपराधिक मामले में 15 वर्ष के नाबालिग होने का दावा किया था, जबकि 1999 में चुनाव के दौरान उन्होंने अपनी उम्र 25 वर्ष से अधिक बताई थी। इसके अलावा 2020 और 2025 के चुनावों में दिए गए हलफनामों में भी उम्र में असंगति बताई गई थी। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से यह मांग की थी कि सम्राट चौधरी का नामांकन रद्द किया जाए, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए और चुनाव आयोग को जांच का निर्देश दिया जाए। हालांकि, अदालत ने इन सभी मांगों को अस्वीकार करते हुए कहा कि इस तरह के आरोपों में कोई ठोस आधार नहीं है।
भाजपा ने कहा- सत्य और न्याय की जीत हुई
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भाजपा नेताओं ने इसे सत्य की जीत बताया। पार्टी प्रवक्ता नीरज कुमार ने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट करते हुए कहा कि यह निर्णय सत्य और न्याय की जीत है। उन्होंने लिखा कि “राजनीतिक विरोधियों द्वारा झूठे आरोपों के सहारे नेताओं की छवि धूमिल करने की कोशिश असफल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट संदेश दिया है कि न्यायपालिका को राजनीतिक हथियार नहीं बनाया जा सकता।” भाजपा नेताओं ने कहा कि विपक्ष बिहार में एनडीए सरकार की बढ़ती लोकप्रियता से घबराया हुआ है, इसीलिए वह ऐसे झूठे मामलों के सहारे भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहा है।
सम्राट चौधरी का पलटवार, कहा- जनता तय करेगी कौन कहां बैठेगा
फैसले के बाद उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने भी विपक्ष पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि बिहार लोकतंत्र की जननी है, यहां जनता ही तय करती है कि कौन सत्ता में रहेगा। उन्होंने कहा, “यह गांधी परिवार की सत्ता नहीं है कि जो चाहे वह सत्ता में बैठ जाए। बिहार की जनता हर बार सच और ईमानदारी के पक्ष में निर्णय लेती है। कांग्रेस ने 55 साल तक देश को लूटा है, पिछड़ों और दलितों के अधिकारों का हनन किया है। अब जनता हिसाब ले रही है।” सम्राट चौधरी ने यह भी स्पष्ट किया कि वे भाजपा के एक समर्पित कार्यकर्ता हैं और एनडीए में किसी तरह की वैकेंसी नहीं है। उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार आज मुख्यमंत्री हैं और आगे भी रहेंगे। हम सब मिलकर बिहार को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं।”
जदयू ने भी फैसले का किया स्वागत
जदयू ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। पार्टी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि “सत्य परेशान हो सकता है, पर पराजित नहीं।” पार्टी के पोस्ट में लिखा गया, “एनडीए सरकार मजबूत है और बिहार के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। विपक्ष केवल अफवाह फैलाने और झूठ के सहारे राजनीति कर रहा है।” पटना में जदयू कार्यकर्ताओं ने इस फैसले का जश्न भी मनाया। शहर के कई इलाकों में पोस्टर लगाए गए, जिन पर लिखा था “25 से 30, फिर से नीतीश” — यह संदेश इस बात का प्रतीक था कि जनता एक बार फिर नीतीश कुमार और एनडीए के साथ है।
राजनीतिक लाभ के लिए दायर की गई थी याचिका
भाजपा सूत्रों के अनुसार, यह याचिका पूरी तरह राजनीतिक लाभ उठाने की मंशा से दायर की गई थी। विपक्ष चाहता था कि चुनाव से पहले एनडीए के नेतृत्व में भ्रम की स्थिति बनाई जाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने सख्त रुख से यह साफ कर दिया कि न्यायपालिका को इस तरह के राजनीतिक हथकंडों में घसीटा नहीं जा सकता। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के मामलों में यदि कोई ठोस सबूत न हो, तो अदालतों का समय व्यर्थ होता है और इससे न्यायिक प्रक्रिया की गंभीरता पर भी सवाल उठता है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय ने न केवल सम्राट चौधरी को बड़ी राहत दी है, बल्कि एक बार फिर यह संदेश भी दिया है कि अदालत को राजनीति के मंच में बदलने की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अदालत की कड़ी टिप्पणी “ऐसे मामले लाकर कोर्ट का समय बर्बाद न करें” इस बात का प्रतीक है कि न्यायपालिका केवल तथ्यों और प्रमाणों पर निर्णय देती है, न कि राजनीतिक दावों पर। सम्राट चौधरी के खिलाफ झूठे आरोपों का अंत होने के बाद भाजपा और जदयू में नया उत्साह देखा जा रहा है। बिहार की राजनीति में यह फैसला एनडीए की एक बड़ी नैतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है, जिसने विरोधियों को करारा जवाब दिया है।

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