कनाडा में वीजा के नए नियमों में बदलाव की तैयारी, प्रवासी भारतीयों को निकलेंगे बाहर, अस्थायी वीजा होगा कैंसिल
नई दिल्ली। कनाडा में इमिग्रेशन नीति को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। कनाडा की संसद में एक ऐसा विधेयक पेश किया गया है जिसने प्रवासी भारतीयों, खासकर छात्रों और अस्थायी वीजा धारकों के बीच चिंता बढ़ा दी है। इस प्रस्ताव के अनुसार, कनाडाई प्रशासन को यह अधिकार दिया जाएगा कि वे किसी भी समय अस्थायी वीजा को रद्द कर सकें या फिर जारी करने से इनकार कर दें। इसका सीधा असर उन भारतीय प्रवासियों पर पड़ सकता है जो काम, पढ़ाई या शॉर्ट-टर्म वीजा पर कनाडा में रह रहे हैं।
नया विधेयक और उसका उद्देश्य
कनाडा के इमिग्रेशन मंत्री लेना दियाब द्वारा प्रस्तुत इस बिल का उद्देश्य, आधिकारिक रूप से “महामारी या युद्ध जैसी आपात स्थितियों में आव्रजन नियंत्रण” बताया गया है। बिल में यह कहा गया है कि संकट की स्थिति में कनाडाई अथॉरिटीज को यह पावर होगी कि वे बड़े पैमाने पर अस्थायी वीजा धारकों को देश से बाहर निकाल सकें। यह कानून विशेष परिस्थितियों में लागू किया जाएगा, लेकिन इसका दायरा इतना व्यापक है कि इसे सामान्य परिस्थितियों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। विधेयक के अनुसार, कनाडा के इमिग्रेशन, रिफ्यूजी एंड सिटिजनशिप डिपार्टमेंट (IRCC), कनाडा बॉर्डर सर्विसेज एजेंसी (CBSA) और अमेरिकी इमिग्रेशन प्राधिकरण मिलकर इस प्रक्रिया में सहयोग करेंगे। इससे कनाडाई सरकार को एक नई शक्तिशाली व्यवस्था मिलेगी जिससे वे किसी भी देश के प्रवासियों को अस्थायी वीजा पर रोक लगा सकती हैं।
भारतीय प्रवासियों में बढ़ी चिंता
इस विधेयक का सबसे बड़ा प्रभाव भारतीय प्रवासियों पर देखा जा सकता है। हाल ही में कनाडा ने भारतीय छात्रों के करीब 74 फीसदी वीजा आवेदन खारिज कर दिए थे। ऐसे में अब इस नए प्रस्ताव को भारत विरोधी रुख के रूप में देखा जा रहा है। भारत और कनाडा के बीच पिछले कुछ वर्षों में रिश्तों में तनाव बढ़ा है, खासकर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल के दौरान, जब कई बार खालिस्तान समर्थक गतिविधियों को लेकर विवाद खड़ा हुआ। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह विधेयक बांग्लादेश और भारत के नागरिकों को विशेष रूप से प्रभावित कर सकता है। कनाडा में बसे प्रवासी भारतीयों और छात्र संगठनों ने इसे लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। उनका कहना है कि यह कानून सरकार को इतना अधिकार देगा कि वह किसी भी बहाने से लोगों को देश से निकाल सकती है, जिससे हजारों भारतीय परिवारों का भविष्य अस्थिर हो जाएगा।
सरकारी पक्ष और सफाई
इमिग्रेशन मंत्री लेना दियाब ने कहा कि इस विधेयक का मकसद किसी देश विशेष को निशाना बनाना नहीं है। उनका कहना है कि महामारी या युद्ध जैसी स्थितियों में प्रशासन को त्वरित निर्णय लेने का अधिकार मिलना चाहिए ताकि देश की सुरक्षा और स्थिरता बनी रहे। उन्होंने कहा कि यह बिल मानवीय दृष्टिकोण से तैयार किया गया है और इसका गलत इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। हालांकि, विपक्षी दलों और मानवाधिकार समूहों का कहना है कि यह कानून नागरिक अधिकारों का हनन करेगा। 300 से अधिक सिविल सोसाइटी समूहों ने संसद में विरोध दर्ज कराया है। उनका तर्क है कि इस तरह की शक्तियां सरकार को प्रवासियों पर अत्यधिक नियंत्रण की अनुमति देंगी और इससे लोगों के बीच भय का माहौल पैदा होगा।
भारतीय वीजा आवेदनों में बढ़ोतरी
कनाडा प्रशासन का कहना है कि हाल के महीनों में भारत से आने वाले वीजा आवेदनों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। मई 2023 में जहां केवल 500 आवेदन प्राप्त हुए थे, वहीं जुलाई 2024 तक यह संख्या बढ़कर 2000 तक पहुंच गई। इतनी बड़ी संख्या में आवेदन आने के कारण वीजा प्रोसेसिंग समय बढ़ गया है और प्रशासन पर अतिरिक्त दबाव बन गया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, वीजा नियमों को सख्त करने की तैयारी इसी कारण से की जा रही है ताकि लंबित आवेदनों को नियंत्रित किया जा सके और अवैध प्रवास की संभावना पर रोक लगाई जा सके।
प्रवासी समुदाय की प्रतिक्रिया
कनाडा में बसे भारतीय समुदाय ने इस विधेयक का तीखा विरोध किया है। टोरंटो, वैंकूवर और ओंटारियो जैसे शहरों में भारतीय संगठनों ने प्रदर्शन किए हैं। उनका कहना है कि यह प्रस्ताव देश के बहुसांस्कृतिक समाज की भावना के विपरीत है। भारतीय छात्रों ने चिंता जताई है कि अगर यह बिल कानून बन गया तो उनकी शिक्षा और रोजगार दोनों पर खतरा मंडराएगा। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला न केवल कनाडा की अर्थव्यवस्था पर असर डालेगा बल्कि उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि को भी धक्का पहुंचा सकता है, क्योंकि भारतीय छात्र और पेशेवर कनाडा की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देते हैं।
भारत-कनाडा संबंधों पर असर
भारत और कनाडा के बीच पिछले कुछ वर्षों में कूटनीतिक संबंधों में तनाव बना हुआ है। ट्रूडो सरकार के दौरान कई बार भारत विरोधी बयानबाजी और खालिस्तानी तत्वों के प्रति सहानुभूति ने दोनों देशों के रिश्तों को कमजोर किया। अब इस विधेयक को उसी तनाव की अगली कड़ी के रूप में देखा जा रहा है। भारत सरकार ने इस स्थिति पर बारीकी से नजर रखी है, हालांकि अभी तक कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया है। कनाडा में पेश किया गया यह नया विधेयक प्रवासी नीति में एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है। इससे अस्थायी वीजा पर रहने वाले लाखों लोगों की स्थिति अस्थिर हो जाएगी। सरकार का तर्क है कि यह कदम सुरक्षा और आपातकालीन परिस्थितियों के मद्देनज़र उठाया जा रहा है, लेकिन प्रवासी भारतीय इसे भेदभावपूर्ण नीति के रूप में देख रहे हैं। यदि यह कानून पारित होता है, तो इसका असर न केवल भारतीय छात्रों और पेशेवरों पर पड़ेगा बल्कि भारत-कनाडा संबंधों में और अधिक तनाव भी पैदा कर सकता है। फिलहाल कनाडा में चल रहे विरोध प्रदर्शनों से यह स्पष्ट है कि प्रवासी समुदाय इस विधेयक को लेकर बेहद चिंतित है और आने वाले हफ्तों में इस पर राजनीतिक बहस और तेज़ हो सकती है।


