October 28, 2025

मनेर विधानसभा फिर चर्चा में, राजद के किले को ललकारेंगे लोजपा(रा) के जितेंद्र यादव

बिहटा, (मोनु कुमार मिश्रा)। पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली मनेर विधानसभा सीट एक बार फिर चुनावी सुर्खियों में है। बीते 15 वर्षों से यह सीट राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के कब्जे में रही है। तीन बार के विधायक भाई वीरेंद्र यादव यहां के निर्विवाद नेता माने जाते हैं। उन्होंने 2010, 2015 और 2020 — तीनों विधानसभा चुनावों में भारी अंतर से जीत दर्ज कर अपनी पकड़ को मजबूत किया है। 2020 के चुनाव में भाई वीरेंद्र ने भाजपा प्रत्याशी निखिल आनंद को करीब 32,917 वोटों के बड़े अंतर से हराया था।
लोजपा (रामविलास) ने उतारा बाहरी उम्मीदवार
इस बार मुकाबले को दिलचस्प बनाते हुए लोजपा (रामविलास) ने अपने प्रदेश प्रवक्ता जितेंद्र यादव को मैदान में उतारा है। हालांकि वे बख्तियारपुर के निवासी हैं और मनेर की स्थानीय राजनीति में उनका खास आधार नहीं रहा है। ऐसे में उनकी स्थानीय पहचान और स्वीकार्यता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय मतदाता भी ‘बाहरी प्रत्याशी’ को लेकर असमंजस में हैं। 2020 में मनेर के ही निवासी रहे निखिल आनंद को भी पहचान की कमी का नुकसान उठाना पड़ा था। अब देखना होगा कि जितेंद्र यादव को स्थानीय समर्थन कितना मिल पाता है।
एनडीए में मचा सियासी घमासान
इस सीट को लेकर पहले भाजपा और जदयू दोनों अपने-अपने दावे ठोक रही थीं। स्थानीय कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि किसी अनुभवी स्थानीय चेहरे जैसे श्रीकांत निराला — को टिकट मिल सकता है। मगर चिराग पासवान ने अपने कोटे से यह सीट लेते हुए जितेंद्र यादव को उम्मीदवार घोषित कर दिया। इससे एनडीए खेमे में हलचल और असंतोष दोनों देखने को मिल रहा है। भाजपा समर्थकों का मानना है कि यदि मनेर या बिहटा क्षेत्र से किसी स्थानीय उम्मीदवार को उतारा जाता, तो राजद को कड़ी टक्कर दी जा सकती थी। सोशल मीडिया से लेकर कार्यकर्ताओं के बीच यह नाराजगी साफ झलक रही है।
जातीय समीकरण राजद के पक्ष में
मनेर का जातीय समीकरण भी राजद के पक्ष में झुका दिखता है। यहां लगभग 26% यादव, 17% राजपूत और 6% मुस्लिम वोटर हैं। यादव वोट परंपरागत रूप से राजद का मजबूत आधार रहा है, वहीं अति पिछड़ा वर्ग का भी बड़ा हिस्सा पार्टी के साथ जुड़ा माना जाता है। ऐसे में बाहरी उम्मीदवार और कमजोर संगठन वाली लोजपा (रामविलास) के लिए यह चुनावी मैदान कठिन चुनौती साबित हो सकता है।
‘वीरेंद्र फैक्टर’ बनाम ‘बाहरी पासा’
जितेंद्र यादव सोशल मीडिया पर खुद को एनडीए समर्थित उम्मीदवार बताते हुए विकास के नए वादे कर रहे हैं। वहीं, भाई वीरेंद्र का एक दशक से अधिक पुराना जनाधार, मजबूत संगठनात्मक नेटवर्क और व्यक्तिगत लोकप्रियता अब भी इस सीट की सबसे बड़ी ताकत है। अब देखना दिलचस्प होगा कि लोजपा का यह बाहरी पासा मनेर में कोई नया करिश्मा दिखा पाता है या फिर एक बार फिर राजद का भाई वीरेंद्र फैक्टर भारी पड़ता है।

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