जदयू के दो बड़े मंत्रियों के आवास पहुंचे सीएम, अशोक चौधरी और विजय चौधरी से नीतीश ने की मुलाकात

पटना। बिहार की राजनीति में गुरुवार की सुबह हलचल भरी रही जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अचानक एक्शन मोड में नजर आए। उन्होंने जदयू के दो बड़े नेताओं और अपने प्रधान सचिव से मुलाकात कर राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना दिया।
अशोक चौधरी और विजय चौधरी के आवास पहुंचे नीतीश
सीएम नीतीश सबसे पहले बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी के आवास पर पहुंचे। उसके बाद वे शिक्षा मंत्री विजय चौधरी के घर पहुंचे। इन दोनों मंत्रियों से उनकी मुलाकात को बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और जदयू रणनीति बनाने में जुटी है। प्रधान सचिव दीपक कुमार से भी की मुलाकात
मंत्रियों से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने प्रधान सचिव दीपक कुमार के आवास भी पहुंचे। वहां उन्होंने बंद कमरे में बातचीत की। यह बैठक चुनावी तैयारियों, प्रशासनिक समीक्षाओं और हालिया राजनीतिक स्थितियों को लेकर हो सकती है, हालांकि अधिकारिक तौर पर कुछ भी सामने नहीं आया है।
वक्फ संशोधन बिल को लेकर बढ़ी सियासी उथल-पुथल
इन मुलाकातों की टाइमिंग इसलिए भी खास मानी जा रही है क्योंकि जदयू द्वारा लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल को समर्थन दिए जाने के बाद पार्टी के भीतर असंतोष का माहौल है। खासकर मुस्लिम नेताओं में नाराजगी देखी जा रही है और कुछ नेताओं ने पार्टी तक छोड़ दी है।
अल्पसंख्यक वोट बैंक को लेकर रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब अल्पसंख्यक समुदाय को साधने की रणनीति में जुटे हैं। उन्हें यह आशंका है कि विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोट बैंक खिसक सकता है। इसलिए उन्होंने अपने भरोसेमंद सहयोगियों से बातचीत कर नई रणनीति तैयार करने की कोशिश की है।
विपक्ष का हमला और सुप्रीम कोर्ट की दखल
विपक्ष इस मुद्दे को लेकर लगातार हमलावर है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बयान दिया है कि अगर उनकी सरकार बनती है तो वे वक्फ संशोधन कानून को रद्द कर देंगे। इतना ही नहीं, राजद ने इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की है। कोर्ट ने इस पर सुनवाई की अनुमति दे दी है, जिससे मामला और भी पेचीदा हो गया है।
चुनावी गर्मी के बीच नीतीश की सक्रियता
इन घटनाक्रमों से यह स्पष्ट हो रहा है कि नीतीश कुमार आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं। वे एक ओर संगठन को संभालने में लगे हैं तो दूसरी ओर जनसंख्यागत समीकरणों को साधने के लिए रणनीति बना रहे हैं। आने वाले दिनों में उनके और भी बड़े राजनीतिक कदम देखने को मिल सकते हैं।

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