भोजपुर में 500 रुपए के विवाद में मारपीट, पिता पुत्र समेत चार जख्मी

- पाटीदारों से खेत पटवन को लेकर हुई कहासुनी….लाठी-डंडों से पीटकर किया घायल….जांच में जुटी पुलिस
आरा। बिहार के भोजपुर जिले में एक मामूली आर्थिक विवाद ने बड़ा रूप ले लिया। खेत पटवन के 500 रुपये के बकाए को लेकर हुए झगड़े में चार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना शनिवार को मोखालिसा गांव में हुई। मोखालिसा गांव के निवासी योगेंद्र यादव ने बताया कि उन्होंने करीब बीस दिन पहले डेढ़ बिगहा खेत पटाया था। इस खेत की सिंचाई में 1000 रुपये का खर्च आया, जिसमें से उन्होंने 500 रुपये अदा कर दिए थे। बाकी के 500 रुपये उन्होंने अपने पट्टीदारों को शाम तक देने का वादा किया था। लेकिन, उनके पट्टीदार बकाया रकम को तुरंत लेने की मांग पर अड़ गए। जब योगेंद्र यादव ने पैसा शाम तक देने की बात दोहराई, तो कहासुनी शुरू हो गई। यह विवाद इतना बढ़ गया कि उनके पट्टीदार पारस, राकेश, भोला और निरंजन ने लाठी-डंडों और लोहे के रॉड से हमला कर दिया। इस हमले में योगेंद्र यादव, उनके पिता हरी लाल यादव और भतीजा जय शिव शंकर सहित चार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना के बाद ग्रामीणों और अन्य परिजनों ने बीच-बचाव करते हुए स्थिति को संभालने की कोशिश की। जख्मी लोगों को तुरंत आरा सदर अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, सभी की हालत स्थिर है, लेकिन चोटें गंभीर हैं। यह घटना केवल एक पारिवारिक विवाद नहीं है; यह समाज में बढ़ती असहिष्णुता और आपसी संवाद की कमी को भी दर्शाती है। महज 500 रुपये के बकाए को लेकर हिंसा का यह मामला सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम अपने व्यक्तिगत संबंधों और सामाजिक ताने-बाने की कीमत पर छोटी-छोटी बातों को इतना महत्व दे रहे हैं। घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू कर दी है। योगेंद्र यादव ने गांव के चार लोगों – पारस, राकेश, भोला और निरंजन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है। पुलिस आरोपियों की तलाश कर रही है और घटना के पीछे के तथ्यों को समझने की कोशिश कर रही है। ग्रामीण इलाकों में भूमि, संपत्ति, और छोटे आर्थिक विवाद अक्सर हिंसक झगड़ों का कारण बनते हैं। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे मुद्दों को समय पर सुलझाना कितना आवश्यक है। कई बार आपसी संवाद की कमी और गुस्से पर नियंत्रण न रखने के कारण मामूली विवाद भी गंभीर घटनाओं में तब्दील हो जाते हैं। इस घटना से समाज को यह सीख लेनी चाहिए कि आपसी झगड़ों और छोटे विवादों को हिंसा से नहीं सुलझाया जा सकता। इसके बजाय, संवाद और सामूहिक निर्णय लेने की प्रक्रिया को अपनाना चाहिए। गांव के पंचायत स्तर पर ऐसे मामलों को प्राथमिकता से निपटाने के प्रयास किए जाने चाहिए। यह घटना गांव में भय और अस्थिरता का माहौल पैदा कर चुकी है। पीड़ित परिवार और आरोपी परिवार के बीच तनाव बढ़ गया है। अन्य ग्रामीण भी इस घटना को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि यह घटना एक बार फिर से ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती असुरक्षा को उजागर करती है। मोखालिसा गांव की यह घटना समाज को एक चेतावनी है कि छोटे विवादों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। हिंसा न केवल व्यक्तिगत संबंधों को खराब करती है, बल्कि समाज में अस्थिरता भी पैदा करती है। यह जरूरी है कि हम आपसी संवाद और समझदारी से ऐसे मुद्दों को हल करने की कोशिश करें। भोजपुर की इस घटना को केवल एक झगड़े के रूप में नहीं, बल्कि समाज में सुधार की दिशा में एक अवसर के रूप में देखना चाहिए।
