अहमदाबाद से जन्म से दिल में छेद की बीमारी का इलाज कराकर पटना पहुंचे 29 बच्चे

अहमदाबाद से इलाज कराने के बाद अभिभावक के साथ बच्चे

* बाल हृदय योजना के तहत सरकार ने आने-जाने समेत इलाज का खर्च किया वहन
* प्रशांति मेडिकल सर्विसेज एंड रिसर्च फाउंडेशन के सहयोग से हुआ इलाज


पटना। अहमदाबाद से जन्म से दिल में छेद की बीमारी का इलाज कराकर 29 बच्चे गुरुवार की देर रात को वायुयान से पटना लौटे। सभी बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं। सभी बच्चे को देर रात ही अपने अभिभावक के साथ उनके घर के लिए रवाना कर दिया गया। बता दें पिछले मई माह में इन बच्चों को इलाज के लिए अहमदाबाद भेजा गया था। प्रशांति मेडिकल सर्विसेज एंड रिसर्च फाउंडेशन के सहयोग से बच्चों का इलाज कराया गया। अहमदाबाद के श्री सत्य साईं ह्रदय अस्पताल में बच्चों का आपरेशन किया गया।
बाल हृदय योजना के तहत दी जा रही सुविधा
सुशासन के कार्यक्रम (2020-2025) के अंतर्गत आत्मनिर्भर बिहार के सात निश्चय-2 में शामिल ‘सबके लिए अतिरिक्त स्वास्थ्य सुविधा’ अंतर्गत हृदय में छेद के साथ जन्में बच्चों के नि:शुल्क उपचार की व्यवस्था हेतु स्वीकृत नई योजना बाल हृदय योजना कार्यक्रम के तहत यह सुविधा प्रदान की जा रही है।
अभी तक 300 से अधिक बच्चों का हो चुका है सफल आपरेशन
राज्य सरकार हृदय में छेद की समस्या से जूझ रहे बच्चों के इलाज के लिए फरवरी 2021 में बाल हृदय योजना की शुरूआत की थी। पहले बैच में 2 अप्रैल को 21 बच्चे को इलाज के लिए अहमदाबाद भेजा गया। अभी तक राज्य सरकार के खर्च पर 300 से अधिक बच्चों के ह्रदय की छेद का सफल आपरेशन किया जा चुका है।
6 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए विशेष प्रावधान
राज्य सरकार 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चे के साथ मां के अतिरिक्त एक और परिजन का खर्च भी वहन करती है। राज्य के बाहर के चिन्हित चैरिटेबल ट्रस्ट अस्पताल व निजी अस्पताल में चिकित्सा के लिए आने जाने के लिए परिवहन भाड़े के रूप में बाल हृदय रोगी के लिये 5,000 रुपए एवं अटेंडेंट के लिए अधिकतम धन राशि भी 5,000 हजार रुपए से बढ़ाकर 10,000 रुपए कर दी गई है, जिसका वहन राज्य सरकार करती है। उनके साथ एक समन्वयक भी रहेंगे, जो इलाज के बाद बच्चों के साथ वापस आएंगे। बच्चों का नि:शुल्क उपचार किया जाएगा।
1000 बच्चों में 9 बच्चे जन्मजात हृदय रोग से होते हैं ग्रसित
बच्चों में होने वाले जन्मजात रोगों में हृदय में छेद होना एक गंभीर बीमारी है। एक अध्ययन के अनुसार जन्म लेने वाले 1000 बच्चों में से 9 बच्चे जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित होते हैं, जिनमें से लगभग 25 प्रतिशत नवजात बच्चों को प्रथम वर्ष में शल्य क्रिया की आवश्यकता रहती है।

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