Floor Test- बहुत बेचैन है सीएम नीतीश कुमार..लालू की खतरनाक खामोशी..जदयू में भीतरघात का भय

पटना।(बन बिहारी) विगत 28 जनवरी को बिहार में नीतीश कुमार ने नवीं बाद सीएम पद की शपथ ली है।कल 12 फरवरी को बिहार विधानसभा में बहुमत परीक्षण सिद्ध होना है। इस बार सीएम नीतीश कुमार के बहुमत परीक्षण को लेकर कोई बार बड़ा खेल होने के दावे किए जा रहे हैं।राजद ने जहां अपने विधायकों को पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के आवास में बंद कर रखा है। वहीं कांग्रेस के विधायक हैदराबाद में सुरक्षित ठहराए गए हैं।जदयू के तथा भाजपा के विधायक भी अपनी-अपनी पार्टियों के कड़े रडार में हैं। जीतन राम मांझी के पार्टी के चार विधायक भी अभी तक एनडीए की तरफ बने हुए हैं।वामपंथी दलों के विधायकों का समर्थन महागठबंधन को बरकरार है। बिहार विधानसभा में कल फ्लोर टेस्ट होना है।लेकिन सबसे बड़ी बात है कि इस बार नीतीश कुमार काफी बेचैन है। वहीं दूसरी तरफ राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की खामोशी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बेचैनी को काफी हद तक बढ़ा रखा है।एनडीए सरकार में अभी कल 128 विधायकों का समर्थन है। जिसमें भाजपा-जदयू के 123 विधायक, हिंदुस्तान आवाम मोर्चा सेकुलर के चार विधायक तथा एक निर्दलीय विधायक सुमित कुमार सिंह शामिल है। हम की ओर से जीतन मांझी के पुत्र संतोष कुमार सुमन मंत्रिमंडल के सदस्य हैं।वहीं निर्दलीय सुमित कुमार सिंह भी मंत्रिमंडल के सदस्य हैं।बताया जाता है कि इस बार सीएम नीतीश कुमार अपनी पार्टी के कुछ विधायकों के भीतरघात की आशंका से ग्रसित हैं। जानकार सूत्रों के मुताबिक जदयू के कुछ विधायक सीएम नीतीश कुमार के पाला बदलने के उपरांत भी राजद तथा कांग्रेस के संपर्क में थे।ज्ञात हो कि 2022 के अगस्त में सीएम नीतीश ने एनडीए से पलटी मारते हुए भाजपा को छोड़ रजत तथा कांग्रेस के साथ सरकार का गठन किया था। लेकिन 2024 के जनवरी में सीएम नीतीश कुमार ने फिर से राजद-कांग्रेस वाम दलों के महागठबंधन को छोड़कर भाजपा के साथ हाथ मिला लिया। लेकिन इस बार सीएम नीतीश कुमार के फैसले से जदयू के सभी 45 विधायक सहमत नहीं बताए जाते हैं। जहां तक हॉर्स ट्रेडिंग के आरोपों का सवाल है।सीएम नीतीश कुमार के करीबी एक मंत्री के क्रियाकलापों से डर कर कांग्रेस अपने सभी विधायकों को हैदराबाद लेकर चली गई।वहीं दूसरी ओर राजद को भी अपने सभी 79 विधायकों को तेजस्वी यादव के आवास में शिफ्ट करना पड़ा। उल्लेखनीय है कि 2017 में जब नीतीश कुमार ने महागठबंधन को पहली बार छोड़ एनडीए के साथ हाथ मिलाया था।उस समय भी जदयू तथा भाजपा विधायकों को मिलाकर बहुमत की कोई बड़ी संख्या नहीं थी।मगर शक्ति परीक्षण के मौके पर राजद तथा कांग्रेस के विधायकों को ना तो नजर बंद किया गया ना कहीं बिहार से बाहर शिफ्ट कराया गया। मगर इस बार 2017 वाला माहौल नहीं है।दरअसल जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक तरफ तो मुख्यमंत्री के पद पर नवीं दफा शपथ ग्रहण किया है। वहीं दूसरी ओर उन्होंने 2012 के बाद 2023 तक बिहार के राजनीति में सत्ता में बने रहने के लिए 9 बार अपने गठबंधन से अलट-पलट भी किया है। जिसे लेकर राजनीतिक जगत में सीएम नीतीश कुमार को समालोचकों के द्वारा पलटू राम की संज्ञा भी दी गई है। दरअसल इस बार नीतीश कुमार के पलटी मार प्रक्रिया को लेकर उनकी ही पार्टी के लोग हैरान-परेशान है।

एक तरफ तो सीएम नीतीश कुमार के करीबी लोगों का दावा है कि सीएम नीतीश कुमार सिर्फ पांच लोगों से घिरे रहते हैं तथा वहीं पांच लोग मिलकर पूरे बिहार सरकार को चलाते हैं। नीतीश कुमार के सत्ता में बने रहने का लाभ सिर्फ उन्हें हीं मिलता है। ऐसे में सीएम नीतीश कुमार को महागठबंधन छोड़कर पुनः एनडीए में ले जाने के लिए जिम्मेदार मंत्रियों को लेकर पार्टी के कुछ विधायकों ने सबक सिखाने का मन बना लिया है। फ्लोर टेस्ट के पूरे प्रकरण में सबसे बड़ी बात है की महागठबंधन छोड़कर सीएम नीतीश कुमार के एनडीए में जाने के बावजूद भी राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव या उनके पुत्र तेजस्वी यादव के द्वारा नीतीश कुमार के इस कृत्य की खुलकर निंदा नहीं की गई।कहीं ना कहीं लालू यादव की चुप्पी तूफान के पहले की खामोशी बताई जा रही है। वहीं अगर एनडीए विधायक दल में कहीं दाल में काला नहीं होता।तो कांग्रेस भी अपने विधायकों को हैदराबाद नहीं ले जाती। बहरहाल कल 12 फरवरी को बिहार में सीएम नीतीश कुमार की सरकार रहेगी या जाएगी।यह स्पष्ट हो जाएगा। लेकिन सूत्रों का दावा है कि कल फ्लोर टेस्ट में कुछ ना कुछ अप्रत्याशित जरूर होगा।

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