नरेंद्र-सुमित प्रकरण पर राजधानी पटना में महाधरना: फर्जी मुकदमे की जांच सीबीआई से हो

मोर्चा ने मुंगेर एसपी की निलंबन की मांग की
पटना। पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह एवं उनके पूर्व विधायक पुत्र सुमित सिंह को मुंगेर एसपी लिपि सिंह द्वारा झूठे मुकदमे में फंसाने के विरोध में रविवार को गर्दनीबाग में अखिल भारतीय अपराध विरोधी मोर्चा के तत्वावधान में विशाल महाधरना दिया गया। धरना का नेतृत्व मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धनवंत सिंह राठौर ने किया। धरना पर विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित होकर एक स्वर में नरेंद्र सिंह व सुमित सिंह को झूठे मुकदमे में फंसाने की कार्रवाई की तीव्र भर्त्सना करते हुए तुरंत फर्जी मुकदमा वापस लेने की मांग की गई।
महाधरना को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री नवल किशोर शाही ने कहा कि 74 आंदोलन के सिपाही नरेंद्र बाबू को झूठे मुकदमे में फंसाने की कार्रवाई की जितनी भी निंदा का जाये, वह कम होगी। जेपी के शार्गिद रहे नीतीश जी सत्ता के मदहोश में इतने डूब गए हैं कि सत्ता की गलती को उजागर करने वाले को पुलिस से फर्जी मुकदमे कराकर डराने की कारवाई पर उतर चुके हैं।
वहीं श्री राठौर ने कहा कि किसी राजनेता के इशारे पर राजनीतिक दल के कार्यकर्ता की तरह एसपी लिपि सिंह ने कार्य करते हुए फर्जी मुकदमे में फंसा कर जो घृणित कार्य किया, वह सबसे बड़ा अपराध है। बिहार की जनता ऐसे कार्य करने वालों को कभी माफ नहीं करेगी। 74 आंदोलन के सूत्रधार रहे नरेंद्र सिंह के ऊपर राजनीतिक साजिश के तहत फर्जी मुकदमा करना लोकतंत्र का अपमान है। आज सत्ता में बैठे लोग अपने राजनीतिक दुश्मनों के खिलाफ कानून का दुरुपयोग जिस तरह कर रहे हंै, ये भविष्य के लिये खतरे का संकेत है। अगर जदयू नेता की पुत्री को एसपी पद से निलंबित कर बिहार से बाहर नहीं भेजा गया तो मोर्चा आंदोलन को तेज करेगा। न्याय के साथ विकास की बात करने बाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुप्पी साबित करती है उनके खिलाफ आवाज उठाने वाले राजनेताओं व आम लोगों को फर्जी मुकदमे में फंसाने की कार्रवाई उनके संज्ञान में हो रहा है। कानून के नाम पर सत्ता के इशारे पर सत्ता के विरोध करने वाले राजनेताओं को झूठे मुकदमे में फंसाने की कार्रवाई करना बंद करे अन्यथा उन्हें जनता के कोपभाजन का शिकार बनने से कोई रोक नहीं सकता है। उन्होंने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की।
महाधरना में विज्ञानं स्वरूप सिंह, डॉ. कैप्टन विजय शंकर सिंह, प्रो. बिहारी भैया, रविंद्र सिंह, दिवाकर सिंह, डॉ. विजय राज सिंह, दिनेश्वर सिंह ददन, नितेश कछवाहा, धनंजय कुमार सिंह, संजय सिंह सिसोदिया, साजन सिंह, राम लखन स्वर्णकार, बी के सिंह, विक्रम कुमार, ललन सिंह आदि प्रमुख थे।

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