नरक द्वार से मुक्ति दिलाता है नरक निवारण व्रत, भगवान शिव को बेलपत्र और बेर जरूर करें भेंट

सिद्धि योग में 10 को नरक निवारण चतुर्दशी व्रत


पटना। स्वर्ग में अपना स्थान बनाने के लिए नरक-निवारण चतुर्दशी से अच्छा दिन कोई और हो नहीं सकता है। इस दिन बेर और बेलपत्र के माध्यम से स्वर्ग में अपने लिए स्थान बनाने की चेष्टा की जाती है। जिससे नर्क जाने का रास्ता बंद हो जाता है। वर्ष में सामान्यत: कुल 24 चतुर्दशी होते हैं, जिसमें 12 कृष्ण पक्ष और 12 शुक्ल पक्ष के होते हैं। जिसमें नरक निवारण चतुर्दशी का अपना विशिष्ट स्थान है। यह चतुर्दशी मिथिलांचल का अति महत्त्वपूर्ण पर्व है। नर्क की यातना और पाप कर्मों के बुरे प्रभाव से बचने तथा स्वर्ग में अपने लिए सुख और वैभव की कामना की चाह रखने वाले श्रद्धालु इस दिन भगवान भोलेनाथ की आराधना कर पूरे दिन का व्रत रखते हंै और संध्या में इसका पारण बेर खाकर करते हैं। यह व्रत यूपी और बिहार में खासकर मिथिला में खूब प्रचलित है।
भोलेनाथ को अतिप्रिय है यह व्रत
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि आगामी 10 फरवरी माघ कृष्ण चतुर्दशी दिन बुधवार को उत्तराषाढ़ नक्षत्र व सिद्धि योग में भगवान शिव को अत्यंत प्रिय पर्व नरक निवारण चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाएगा। यह चतुर्दशी देवाधिदेव महादेव को अत्यन्त प्रिय है। शिवपुराण के अनुसार, इसी दिन पर्वतराज हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती की शादी का प्रस्ताव भगवान शिव के पास भेजा था, यानी इसी दिन भगवान शिव का विवाह तय हुआ और महाशिवरात्रि को इनका विवाह संपन्न हुआ था।
व्रत से दुर्लभ पुण्य की प्राप्ति
पंडित झा के अनुसार, इस दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा व व्रत करने से सहस्त्र अश्वमेध यज्ञ और सैकड़ों वाजपेयी यज्ञ जैसे दुर्लभ पुण्य फल की प्राप्ति होती है, क्योंकि मान्यता है कि शिवलिंग का पादुर्भाव इसी दिन हुआ था। उन्होंने कहा कि इस दिन संध्या में इस व्रत का पारण मिथिला पंचांग के अनुसार शाम 05:30 बजे के बाद होगा। वहीं बनारसी पंचांग के तहत संध्या 05:32 बजे के बाद किया जाएगा।
नरक द्वार से मुक्ति दिलाता है नरक निवारण व्रत
राकेश झा शास्त्री के मुताबिक, नरक निवारण चतुर्दशी के दिन व्रत रखकर जो श्रद्धालु भगवान शिव सहित माता पार्वती और गणेश जी की पूजा-अर्चना करते हैं, उन पर भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। नर्क जाने से बचने के लिए नरक-निवारण चतुर्दशी के दिन भगवान शिव को बेलपत्र और बेर जरूर भेंट करे। इस व्रत में पूरे दिन निराहार रहकर शाम में व्रत का पारण किया जाता है।
उपवास से दूर होते कष्ट
पंडित झा ने कहा कि मोक्ष प्राप्ति का महान शिव उपासना पर्व नरक निवारण चतर्दशी गुरुवार को पड़ने से इस दिन भगवान नारायण तथा प्रत्यक्ष देव सूर्य की आराधना करने से नाना प्रकार के पीड़ाओं से भी छुटकारा मिलेगा। उन्होंने कहा, शास्त्रों के मुताबिक संसार के प्राणियों पर भीषण संकट का कोई विकल्प नहीं बचने की स्थिति में नरक चतुर्दशी व्रत और पूजा रामबाण है। दांपत्य जीवन में असंतोष और वैवाहिक बाधा दोष निवारण के लिए यह व्रत वरदान सिद्ध होते हैं।
पाप क्षय व मोक्ष प्राप्ति के लिए रुद्राभिषेक
ज्योतिषी झा ने बताया कि सिद्धि योग में भगवान शंकर की पूजा करने वालों श्रद्धालु के जीवन के कष्ट दूर होते हैं। कष्टों से मुक्ति के साथ साथ जन्म जन्मांतर के पापों का नाश भी हो जाता है। इसके साथ ही जातक को शिवलोक और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। इस चतुर्दशी में महाशिवरात्रि की तर्ज पर नरक निवारण चतुर्दशी व्रत और पूजा की जाती है।

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