कलश स्थापना के साथ चैती नवरात्र कल से शुरू

पटना। आज चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से आरंभ होने वाले वासंतिक नवरात्र का समापन रामनवमी के दिन होगा। चैत्र नवरात्रि में मां भगवती के सभी नौ रूपों की उपासना की जाएगी और आध्यात्मिक ऊर्जा ग्रहण करने के लिए श्रद्धालु विशिष्ट अनुष्ठान भी करेंगे। इस अनुष्ठान में देवी के नौ रूपों की आराधना की जाएगी। रामायण के अनुसार भगवान श्री राम ने चैत्र नवरात्र में देवी दुर्गा की उपासना करने के बाद रावण का वध करके विजय हासिल किए।

माता के आगमन से सिद्धि व विदाई से अति वृष्टि के योग

भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पं. राकेश झा ने बताया कि कल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिन बुधवार को चैती नवरात्र रेवती नक्षत्र एवं ब्रह्म योग में शुरू होकर 03 अप्रैल दिन शुक्रवार को विजया दशमी के साथ संपन्न होगा। इस नवरात्र में माता अपनों भक्तो को दर्शन देने के लिए नाव पर आ रही हैं। माता के इस आगमन से श्रद्धालुओं को मनचाहा वरदान और सिद्धि की प्राप्ति होगी। इसके साथ ही माता की विदाई गज यानि हाथी पर होगी। हाथी पर माता के गमन से अतिवृष्टि के योग बनते हैं। इससे ये प्रतीत हो रहा है कि सूबे में आगामी साल में खूब बारिश होगी। भक्त इस पूरे नवरात्र माता की कृपा पाने के लिए दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा, बीज मंत्र का जाप, भगवती पुराण आदि का पाठ करेंगे।

चैत्र नवरात्र पर बना दुर्लभ संयोग

ज्योतिष झा के अनुसार कल से शुरू होकर 02 अप्रैल तक पूरे 9 दिनों की चैत्र नवरात्रि रहेगी। इस बार चैत्र नवरात्रि पर कई शुभ योग भी बन रहा है। इस बार चैत्र नवरात्रि में चार सर्वार्थ सिद्धि योग, पांच रवियोग, एक द्विपुष्कर योग, एक गुरु-पुष्य योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। ऐसे शुभ संयोग में नवरात्रि पर देवी उपासना करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी। यह नवरात्रि धन और धर्म की वृद्धि के लिए खास होगी।

कलश पूजा से मिलेगी सुख-समृद्धि का वरदान

पंडित झा ने शास्त्रों का हवाला देते हुए बताया कि चैत्र नवरात्र व्रत-पूजा में कलश स्थापन का महत्व अति शुभ फलदायक है। क्योंकि कलश में ही ब्रह्मा, विष्णु, रूद्र, नवग्रहों, सभी नदियों, सागरों-सरोवरों, सातों द्वीपों, षोडश मातृकाओं, चौसठ योगिनियों सहित सभी तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है, इसीलिए विधिपूर्वक कलश पूजन से सभी देवी-देवताओं का पूजन हो जाता है। नवरात्रि में कलश स्थापना का खास महत्व होता है। इसलिए इसकी स्थापना सही और उचित मुहूर्त में ही करनी चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख और समृद्धि आती है और परिवार में खुशियां बनी रहती हैं।

महामारी से बचने के लिए करें भगवती की स्तुति

पंडित झा में धार्मिक पुस्तक दुर्गा सप्तशती के आधार पर बताया कि महामारी से बचने के लिए भगवती के विशेष मंत्र एवं स्तुति करें। सर्वा बाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वितः। मनुष्यो मत्प्रसादेन, भविष्यति न संशयः॥ अर्थात देवी के आराधना व प्रसाद से सभी बाधाओं से मुक्त होगा तथा धन, धान्य एवं संतान से संपन्न होगा इसमें तनिक भी संदेह नहीं है। इसके अलावे कवच, अर्गला और कील का पाठ करे I

कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त

तिथि व सूर्योदय के अनुसार:- प्रातः काल 05:57 बजे से दोपहर 04:02 बजे तक
गुली काल मुहूर्त:- सुबह 10:24 बजे से 11:56 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त:- दोपहर 11 :31 बजे से 12 :20 बजे तक

अपनी राशि के अनुसार करें मां की आराधना

मेष : रक्त चंदन, लाल पुष्प और सफेद मिष्ठान्न अर्पण करें।
वृष : पंचमेवा, सुपारी, सफेद चंदन, पुष्प चढ़ाएं।
मिथुन : केला, पुष्प, धूप से पूजा करें।
कर्क : बताशा, चावल, दही का अर्पण करें।
सिंह : तांबे के पात्र में रोली, चंदन, केसर, कर्पूर के साथ आरती करें।
कन्या : फल, पान पत्ता, गंगाजल मां को अर्पित करें।
तुला : दूध, चावल, चुनरी चढ़ाएं और घी के दीपक से आरती करें।
वृश्चिक : लाल फूल, गुड़, चावल और चंदन के साथ पूजा करें।
धनु : हल्दी, केसर, तिल का तेल, पीत पुष्प अर्पित करें।
मकर : सरसों तेल का दीया, पुष्प, चावल, कुमकुम और हलवा मां को अर्पण करें।
कुंभ : पुष्प, कुमकुम, तेल का दीपक और फल अर्पित करें।
मीन : हल्दी, चावल, पीले फूल और केले के साथ पूजन करें।

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