पटना में मजदूरी मांगने पर युवक को पेट्रोल से जलाया, गंभीर हालत में पीएमसीएच रेफर
पटना। जिले के बाढ़ अनुमंडल से एक बेहद अमानवीय और झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। सालिमपुर थाना क्षेत्र में मजदूरी मांगने गए एक युवक को पेट्रोल डालकर जला दिया गया। यह घटना शुक्रवार देर शाम रूपस मरूआही पंचायत में हुई, जिसने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी। मजदूरी जैसे बुनियादी अधिकार की मांग पर इस तरह की हिंसा ने समाज और कानून-व्यवस्था दोनों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घायल युवक की पहचान
इस दर्दनाक घटना में गंभीर रूप से झुलसे युवक की पहचान रूपस महाजी गांव निवासी सुरेंद्र ठाकुर के बेटे चिंकू कुमार के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि चिंकू स्थानीय स्तर पर मजदूरी का काम करता था और अजय सिंह के यहां काम कर रहा था। मजदूरी पर निर्भर चिंकू ने जब अपने मेहनताने के पैसे मांगे, तो यह विवाद हिंसा में बदल गया।
मजदूरी मांगने पर भड़के लोग
घायल युवक के अनुसार, शुक्रवार को वह अपनी बकाया मजदूरी लेने के लिए अजय सिंह के पास गया था। इसी दौरान वहां मौजूद कुछ लोग उग्र हो गए। पहले बहस हुई और फिर बात इतनी बढ़ गई कि आरोपियों ने उस पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी। यह पूरी घटना अचानक और बेहद क्रूर तरीके से अंजाम दी गई, जिससे चिंकू को संभलने तक का मौका नहीं मिला।
आग की लपटों में झुलसता युवक
पेट्रोल डालकर आग लगाए जाने के बाद चिंकू बुरी तरह झुलस गया। शरीर में आग लगते ही वह चीखते-चिल्लाते हुए इधर-उधर भागने लगा। आसपास मौजूद लोगों में अफरा-तफरी मच गई। किसी तरह आग को बुझाया गया, जिसके बाद वह दर्द से कराहता हुआ अपने घर की ओर भागा। इस दौरान उसकी हालत बेहद गंभीर हो चुकी थी।
भावुक कर देने वाला वीडियो आया सामने
इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसने लोगों को भावुक कर दिया है। वीडियो में देखा जा सकता है कि आग से झुलसने के बाद चिंकू रोता हुआ अपनी मां के पास पहुंचता है। वह दर्द और बेबसी में अपनी मां के पैरों पर गिरकर रोता नजर आता है। यह दृश्य न केवल एक मां-बेटे के दर्द को दिखाता है, बल्कि मजदूर वर्ग की असुरक्षा को भी उजागर करता है।
रास्ते में मिला प्राथमिक उपचार
घर की ओर भागते समय रास्ते में एक ग्रामीण डॉक्टर ने चिंकू को देखा और उसकी हालत को समझते हुए प्राथमिक उपचार दिया। डॉक्टर ने तत्काल जलने पर लगाए जाने वाले मरहम और अन्य जरूरी सहायता उपलब्ध कराई। इसके बाद परिजन और स्थानीय लोग उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बख्तियारपुर लेकर पहुंचे, जहां उसे भर्ती कराया गया।
हालत गंभीर होने पर पीएमसीएच रेफर
सीएचसी बख्तियारपुर में डॉक्टरों ने चिंकू का प्राथमिक इलाज किया, लेकिन जलने की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने उसे बेहतर इलाज के लिए पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया। डॉक्टरों के अनुसार, चिंकू का शरीर काफी हद तक झुलस चुका है और उसे विशेष चिकित्सा देखरेख की जरूरत है। फिलहाल वह पीएमसीएच में इलाजरत है और उसकी हालत चिंताजनक बताई जा रही है।
परिजनों में आक्रोश और डर
इस घटना के बाद चिंकू के परिजनों में गहरा आक्रोश और भय का माहौल है। परिवार का कहना है कि मजदूरी मांगना कोई अपराध नहीं है और इसके बदले इस तरह की सजा मिलना बेहद अन्यायपूर्ण है। परिजनों ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है, ताकि भविष्य में किसी और मजदूर के साथ ऐसी घटना न हो।
पुलिस को दी गई सूचना
घायल के परिजनों ने इस पूरे मामले की सूचना सालिमपुर थाना पुलिस को दी है। सूचना मिलते ही पुलिस हरकत में आई और मामले की जांच शुरू कर दी गई। पुलिस का कहना है कि प्रारंभिक जांच में यह मामला आपसी विवाद से जुड़ा प्रतीत होता है, लेकिन सभी पहलुओं की गंभीरता से जांच की जा रही है।
जांच में जुटी सालिमपुर थाना पुलिस
सालिमपुर थाना पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया है और पीड़ित के बयान के आधार पर आगे की कार्रवाई की जा रही है। पुलिस वीडियो फुटेज और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान भी जुटा रही है, ताकि आरोपियों की पहचान कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके। पुलिस का कहना है कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।
मजदूरों की सुरक्षा पर सवाल
यह घटना एक बार फिर मजदूरों की सुरक्षा और उनके अधिकारों को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है। मेहनताना मांगना मजदूर का कानूनी हक है, लेकिन इसके बदले हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूर अक्सर ऐसे शोषण और अत्याचार के शिकार होते हैं, जिनकी आवाज दबा दी जाती है।
समाज और प्रशासन की जिम्मेदारी
इस तरह की घटनाएं केवल कानून-व्यवस्था की समस्या नहीं हैं, बल्कि सामाजिक संवेदनशीलता की भी परीक्षा हैं। जरूरत है कि प्रशासन सख्त कार्रवाई के साथ-साथ मजदूरों की सुरक्षा और उनके अधिकारों को लेकर जागरूकता बढ़ाए। साथ ही समाज को भी यह समझना होगा कि मेहनत की मजदूरी मांगना गलत नहीं, बल्कि न्याय का सवाल है।
इंसाफ की उम्मीद
फिलहाल चिंकू कुमार जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है। उसका परिवार न्याय की उम्मीद लगाए बैठा है। अब यह देखना अहम होगा कि पुलिस जांच कितनी तेजी और निष्पक्षता से आगे बढ़ती है और क्या दोषियों को उनके किए की सजा मिल पाती है। यह मामला न सिर्फ एक व्यक्ति के साथ हुए अत्याचार का है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी भी है कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना जरूरी है।


