रुद्राभिषेक व सत्यनारायण प्रभु की पूजा कर मनाया गया योगिनी एकादशी

  • भरणी नक्षत्र में मना योगिनी एकादशी व्रत, पूजा-उपासना से आरोग्यता

पटना। आषाढ़ कृष्ण एकादशी का व्रत, जिसे योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, सोमवार को भरणी नक्षत्र धृति योग में मनाया गया। गृहस्थ एवं साधु-सन्यासियों दोनों के लिए एकादशी मान एक ही दिन होने से इसकी महत्ता और बढ़ गयी थी। धार्मिक मान्यता के मुताबिक इस एकादशी का व्रत तथा श्रीहरि विष्णु की पूजा करने से 88 हजार ब्राह्मण को भोजन करने का फल मिलता है, इसीलिए हिन्दू धर्म में इस एकादशी का बहुत अधिक महत्व दिया गया है। एकादशी व्रत करने से भगवान नारायण की विशेष अनुकंपा प्राप्त होती है एवं मृत्यु के पश्चात मोक्षधाम में वास मिलता है। कोरोना महामारी के कारण गंगा स्नान संभव नहीं हो सका, इसीलिए स्नान जल में गंगाजल मिलाकर गंगे-गंगे का स्मरण करते हुए श्रद्धालुओं ने स्नान किया। एकादशी पर कही सत्यनारायण प्रभु की कथा पूजा तो कही सोमवार दिन होने से शिव का अभिषेक तथा श्रृंगार पूजा कर सनातन धर्मावलंबियों ने योगिनी एकादशी का व्रत मनाया।
योगिनी एकादशी मुक्ति तुल्य
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य आचार्य राकेश झा ने कहा कि योगिनी एकादशी का व्रत तथा इस दिन जगत पालनहार प्रभु श्रीहरि की पूजा, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ, रामचरितमानस आदि के पाठ करने से श्रद्धालु के लिए मुक्ति का द्वार खुल जाता है। भगवान विष्णु की कृपा से भक्त के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। सभी सांसारिक सुखों को भोगकर अंत में मनुष्य मुक्ति पा जाता है। भक्त की मनोकामना पूर्ण, घर में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
आरोग्यता दिलाता योगिनी एकादशी
ज्योतिषी झा ने मार्कण्डेय ऋषि द्वारा कथित हेममाली-कुबेर की कथा के आधार पर बताया कि आषाढ़ कृष्ण एकादशी के व्रत से कुष्ठ जैसे असाध्य रोगो से छुटकारा मिल जाता है। श्रद्धालु को आरोग्यता का वरदान मिलता है। निरोग काया, नकारात्मक ऊर्जा का ह्रास, नजर दृष्टि दोष से मुक्ति, उदर पीड़ा, चर्म रोग से लाभ मिलता है।
एकादशी पारण मुहूर्त
06 जुलाई मंगलवार : प्रात: 05 :14 के बाद
पारण वस्तु : यव (जौ) चूर्ण

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