खेसारीलाल यादव का बड़ा बयान, कहा- इंसानों से चुनाव जीत सकते हैं, मशीन से नहीं, तभी मेरी हार हुई
पटना। भोजपुरी फिल्म और संगीत जगत के चर्चित अभिनेता खेसारीलाल यादव एक बार फिर अपने बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में छपरा सीट से हार के बाद दिया गया उनका एक बयान इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस बयान में खेसारीलाल यादव ने अपनी चुनावी हार को लेकर ईवीएम मशीनों पर सवाल उठाए हैं, जिससे राजनीतिक बहस को एक बार फिर हवा मिल गई है।
छपरा सीट क्यों बनी चर्चा का केंद्र
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान छपरा सीट पूरे राज्य ही नहीं, बल्कि देशभर में चर्चा का विषय बनी रही। इसकी मुख्य वजह थी इस सीट से खेसारीलाल यादव का चुनाव मैदान में उतरना। राष्ट्रीय जनता दल ने जब उन्हें छपरा से उम्मीदवार घोषित किया, तब यह फैसला काफी चौंकाने वाला माना गया। एक लोकप्रिय फिल्म अभिनेता और गायक के राजनीति में उतरने से इस सीट पर मुकाबला बेहद रोचक हो गया।
चुनावी माहौल और प्रचार अभियान
छपरा सीट पर चुनावी माहौल काफी गर्म रहा। खेसारीलाल यादव ने अपने स्टारडम का पूरा इस्तेमाल करते हुए जोरदार प्रचार किया। उनके चुनावी कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में लोग जुटते थे। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के साथ-साथ समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी उनके समर्थन में प्रचार किया। इससे यह माना जाने लगा था कि खेसारीलाल यादव मुकाबले में मजबूत स्थिति में हैं।
चुनाव परिणाम और हार की निराशा
हालांकि मतदान के बाद जब चुनाव परिणाम आए, तो तस्वीर कुछ और ही निकली। एनडीए की उम्मीदवार छोटी कुमारी ने खेसारीलाल यादव को करीब 8000 वोटों के अंतर से हरा दिया। इस हार ने न केवल उनके समर्थकों को, बल्कि खुद खेसारीलाल यादव को भी निराश कर दिया। छपरा सीट को पहले से ही हॉट सीट माना जा रहा था, और यहां कांटे की टक्कर की उम्मीद की जा रही थी।
जनता को धन्यवाद और राजनीति से दूरी का संकेत
चुनाव परिणाम आने के बाद खेसारीलाल यादव ने छपरा की जनता का धन्यवाद किया। उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि उन्होंने राजनीति में बहुत कुछ सीखा, लेकिन यह भी महसूस किया कि राजनीति उनके स्वभाव के अनुरूप नहीं है। उन्होंने यह स्वीकार किया कि वह मूल रूप से राजनीति के लिए बने ही नहीं हैं और उनका मन इस क्षेत्र में पूरी तरह नहीं लगता।
वायरल वीडियो और विवादित बयान
अब चुनाव हारने के कुछ समय बाद खेसारीलाल यादव का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वह कहते नजर आ रहे हैं कि उन्हें राजनीति करनी नहीं आती थी और वह खुद भी राजनीति में आना नहीं चाहते थे। उनके मुताबिक परिस्थितियां ऐसी बनीं कि उन्हें चुनाव लड़ना पड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि इस चुनाव के दौरान उन्हें यह समझ में आ गया कि असली अपना कौन है और कौन सिर्फ दिखावे का साथ दे रहा था।
ईवीएम पर उठाए सवाल
इस वायरल बयान में सबसे ज्यादा चर्चा उस टिप्पणी की हो रही है, जिसमें खेसारीलाल यादव कहते हैं कि इंसानों से चुनाव जीता जा सकता है, लेकिन मशीन से नहीं। इस बयान को सीधे तौर पर ईवीएम पर सवाल उठाने के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने संकेत दिया कि उनकी हार की एक वजह मशीन भी हो सकती है। इसी कारण अब सोशल मीडिया पर यह बयान तेजी से फैल रहा है और लोग इसे अलग-अलग नजरिए से देख रहे हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और आलोचना
खेसारीलाल यादव के इस बयान के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं। विरोधी दलों के नेता इसे हार के बाद का बहाना बता रहे हैं। उनका कहना है कि जब चुनाव प्रचार के दौरान माहौल अनुकूल लग रहा था, तब ईवीएम पर कोई सवाल नहीं उठाया गया, लेकिन हार के बाद मशीन को दोष देना उचित नहीं है। वहीं, उनके समर्थक इस बयान को भावनात्मक प्रतिक्रिया मान रहे हैं।
खेसारीलाल यादव की राजनीतिक छवि पर असर
खेसारीलाल यादव का यह बयान उनकी राजनीतिक छवि पर भी असर डाल सकता है। एक तरफ वह खुद को राजनीति के लिए अनुपयुक्त बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ईवीएम पर सवाल उठाकर विवाद को जन्म दे रहे हैं। इससे यह सवाल भी खड़ा हो रहा है कि क्या वह भविष्य में राजनीति से पूरी तरह दूरी बना लेंगे या फिर किसी और भूमिका में नजर आएंगे।
सोशल मीडिया पर बहस का दौर
इस बयान के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई है। कुछ लोग खेसारीलाल यादव के पक्ष में बोल रहे हैं और उनके साथ हुई हार को सिस्टम से जोड़कर देख रहे हैं। वहीं, कई लोग इसे हार की निराशा में दिया गया बयान मान रहे हैं। वीडियो पर हजारों की संख्या में प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, जिससे यह साफ है कि खेसारीलाल यादव का प्रभाव अब भी जनता के बीच बना हुआ है। छपरा सीट से मिली हार के बाद खेसारीलाल यादव का यह बयान बिहार की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे रहा है। उनकी टिप्पणी न केवल ईवीएम को लेकर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि राजनीति में कदम रखने के बाद उन्हें किन मानसिक दबावों का सामना करना पड़ा। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि खेसारीलाल यादव राजनीति से पूरी तरह दूरी बनाते हैं या फिर किसी नए रूप में दोबारा सक्रिय होते हैं। फिलहाल उनका यह बयान बिहार की सियासत में चर्चा का बड़ा विषय बना हुआ है।


