2 घंटे तक चली इंडिया गठबंधन की वर्चुअल बैठक: 9 दलों ने लिया हिस्सा, सीट शेयरिंग पर हुई चर्चा

वीडियो कॉल के माध्यम से वर्चुअल बैठक में शामिल हुए विपक्ष के बड़े नेता

  • ममता बनर्जी और उद्धव ठाकरे नहीं हुए शामिल, संयोजक बनने को लेकर नहीं बनी आम सहमति
  • इंडिया का संयोजक बनने से नीतीश कुमार का इंकार

नई दिल्ली। विपक्षी गठबंधन इंडिया की 13 जनवरी को वर्चुअल बैठक हुई। मीटिंग करीब दो घंटे चली। इसमें सीटों के बंटवारे और गठबंधन का संयोजक बनाने पर चर्चा हुई। बैठक का मकसद गठबंधन में संवादहीनता की कमी नहीं होने देना था। मीटिंग में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, लालू यादव और तेजस्वी यादव (आरजेडी), बिहार के सीएम नीतीश कुमार (जेडीयू), दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (आप), उमर अब्दुल्ला (नेशनल कॉन्फ्रेंस), सीताराम येचुरी (सीपीआई-एम), डी राजा (सीपीआई), शरद पवार (एनसीपी-शरद पवार) और डीएमके की तरफ से तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन शामिल हुए। तृणमूल प्रमुख और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, शिवसेना के उद्धव ठाकरे शामिल नहीं हुए। सीट शेयरिंग के मुद्दे पर ममता ने पहले से ही कांग्रेस से दूरी बना रखी है। वह कांग्रेस को बंगाल में 2 सीटें देने पर अड़ी हैं। तृणमूल ने कहा कि उन्हें बैठक की जानकारी काफी देर से मिली और ममता के कार्यक्रम पहले से तय थे। इसलिए वह बैठक में शामिल नहीं हो रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, ये बैठक कुछ दिन पहले होनी थी, लेकिन किसी वजह से ऐन मौके पर रद्द हो गई थी। ये पहला मौका नहीं है, जब ममता बनर्जी ने बैठक में आने से इनकार किया है। दिसंबर 2023 में भी ममता गठबंधन की बैठक में शामिल नहीं हुई थीं। तब उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ने बैठक की जानकारी दो दिन पहले दी। ऐसे में मैं पहले से तय अपने कार्यक्रम रद्द नहीं कर सकतीं। स्थिति को देखकर लग रहा है कि बीजेपी से टक्कर लेने के लिए बने इंडिया के 28 दलों के बीच सीट शेयरिंग बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
इंडिया का संयोजक बनने से नीतीश कुमार का इंकार
नीतीश कुमार को गठबंधन का संयोजक बनाने की मांग को लेकर भी ममता खुश नहीं हैं। बैठक को लेकर बिहार के मंत्री संजय झा ने बताया कि नीतीश कुमार को संयोजक बनने का प्रस्ताव आया। इसकी नीतीश ने सहमति नहीं दी। नीतीश का शुरू से कहना रहा है कि कांग्रेस को ही चेयरपर्सन बनना चाहिए। गठबंधन में शामिल कई पार्टियों के नेता ऐसे बयान दे चुके हैं, जिससे साफ है कि वे पार्टी के प्रभाव वाले राज्यों में सीटों के मुद्दे पर समझौता नहीं करेंगे। ममता बनर्जी ने 28 दिसंबर को राज्य में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की। उत्तर 24 परगना में एक रैली के दौरान ममता ने कहा कि हमें बीजेपी को सबक सिखाना है, किसी अन्य पार्टी को नहीं। बंगाल में टीएमसी की सीधी टक्कर बीजेपी से है। सीट शेयरिंग के मुद्दे पर सभी पार्टियों से खुले मन से बात की जाएगी।
संजय राउत ने कहा शिवसेना यूटीबी महाराष्ट्र की बड़ी पार्टी
उधर, शिवसेना यूटीबी नेता संजय राउत ने 29 दिसंबर को महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग पर कोई समझौता न करने के संकेत दिए थे। उन्होंने दावा किया कि शिवसेना महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी है। लोकसभा चुनाव में दादरा और नगर हवेली सहित 23 सीटों पर शिवसेना लड़ती रही है और वह मजबूती से लड़ेगी।
केजरीवाल ने पंजाब की सभी 13 सीटें मांगीं
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल 17 दिसंबर को बठिंडा में आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे। पंजाब के सीएम भगवंत मान भी वहां मौजूद थे। जनसभा के दौरान केजरीवाल ने लोगों से पंजाब की सभी 13 लोकसभा सीटें मांग लीं। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है और आप चीफ के इस बयान से साफ है कि पंजाब में सीट शेयरिंग को लेकर आप और कांग्रेस में टकराव देखने को मिल सकता है।
दिल्ली में कांग्रेस और आप के बीच फंसेगा पेंच
अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव के लिए पंजाब की सभी 13 सीटें मांगी हैं। वहां आम आदमी पार्टी की सरकार है और दिल्ली में भी पार्टी सत्ता में है। ऐसे में राजधानी में भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सीट शेयरिंग को लेकर पेंच फंस सकता है। दिल्ली में लोकसभा की 7 सीटें हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर BJP ने कब्जा जमाया था। राजधानी में आप और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग आसान नहीं रहने वाली है। आप चाहेगी कि सत्ता में होने के चलते उसे ज्यादा सीटें मिलें, वहीं कांग्रेस अपने पाले में ज्यादा से ज्यादा सीटें रखना चाहेगी।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में आमने-सामने आई थी सपा और कांग्रेस
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव ने कांग्रेस से 6 सीटें मांगी थीं, लेकिन कांग्रेस 4 सीटें छोड़ने को राजी थी। अखिलेश का कहना था कि यदि मुझे यह पहले पता होता कि गठबंधन विधानसभा स्तर पर नहीं है तो कांग्रेस से कभी बात ही नहीं करता। अखिलेश ने कांग्रेस को चेतावनी भी दी थी कि यूपी में कांग्रेस के साथ वैसा ही व्यवहार किया जाएगा, जैसा हमारे साथ कांग्रेस मध्य प्रदेश में कर रही है।
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें, कैसे होगा सीट बंटवारा
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। इंडिया में राजद, जदयू कांग्रेस के साथ ही लेफ्ट पार्टियां शामिल हैं। यानी 40 लोकसभा सीटों के लिए छह पार्टियां दावेदार हैं। कांग्रेस नौ सीटें मांग रही है तो वहीं लेफ्ट पार्टियां भी आधा दर्जन से ज्यादा सीटें चाहती हैं। बिहार के सीएम नीतीश कुमार की कोशिश है कि कम से कम उन सभी सांसदों का टिकट सुनिश्चित हो जो 2019 में जीते थे। राजद विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने को आधार बनाकर ज्यादा सीटों पर दावेदारी कर रही है।
कांग्रेस पर ज्यादा सीटें छोड़ने का दबाव
इंडिया में शामिल पार्टियों के बीच सबसे बड़ा मुद्दा सीट बंटवारे का है। गठबंधन में शामिल ज्यादातर दल कांग्रेस पर ज्यादा सीटें छोड़ने का दबाव बना रहे हैं। राजनीतिक परिस्थितियों के चलते कांग्रेस करीब 310 सीटों पर लड़ सकती है और करीब 230 सीटें सहयोगियों के लिए छोड़ सकती है। कांग्रेस और बीजेपी के बीच गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, हरियाणा, असम, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हिमाचल, अरुणाचल, चंडीगढ़ और गोवा में सीधी टक्कर है। यहां पर कांग्रेस को छोड़कर इंडियाके 25 दलों में से किसी का बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं है। इन राज्यों में 131 सीटें ऐसी हैं, जहां पर BJP 50% से ज्यादा वोटों से जीती है। यानी इन सीटों पर भी इंडिया के बजाय कांग्रेस को जोर लगाना होगा।
इंडिया के पीएम फेस पर एक राय नहीं पार्टियां
19 दिसंबर को दिल्ली में इंडिया की चौथी बैठक हुई थी। मीटिंग से एक दिन पहले ही जदयू के विधायक धीरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा था कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित कर देना चाहिए। ऐसा किया जाता है तब ही फायदा होगा। इंडियामें सिर्फ नीतीश कुमार ही स्वच्छ छवि वाले नेता हैं। उनकी ही छवि ईमानदार वाली है। इस मीटिंग में ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को गठबंधन का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव रखा था। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। बाद में जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई, जिसमें नीतीश की गैरमौजूदगी को लेकर कयासबाजी तेज हो गई। कहा गया कि नीतीश नाराज होकर समय से पहले बैठक छोड़कर चले गए। इंडिया की चौथी बैठक 19 दिसंबर को दिल्ली के अशोका होटल में हुई। इसमें पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने पीएम चेहरे के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम का सुझाव रखा। अरविंद केजरीवाल ने इसका समर्थन किया। यह जानकारी बैठक के बाद के सांसद वाइको ने दी। हालांकि पीएम फेस के सवाल पर यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने चुप्पी साध ली। विपक्षी गठबंधन की पहली बैठक पटना में हुई थी। इस बैठक की अगुआई बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने की थी। बैठक में विपक्ष के 15 दल शामिल हुए थे। ये बैठक अगले लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार का सामना करने के लिए विपक्ष को एक साथ लाने के लिए थी।

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