2 अप्रैल को नववर्ष व विक्रम संवत 2079 का होगा आरंभ, नए साल में लगेंगे कुल चार ग्रहण, दो सूर्य तो दो चंद्र ग्रहण

पटना। विक्रम संवत 2079 के साथ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 2 अप्रैल को रेवती नक्षत्र व रवियोग में नववर्ष का आरंभ हो रहा है। नवसंवत्सर के राजा शनि व मंत्री गुरु होंगे। 100 वर्षों में पंद्रहवीं बार तथा 10 साल में दूसरी बार नए साल की आगाज शनिवार से हो रहा है। शनि अभी मकर राशि में है तथा 29 अप्रैल को कुंभ राशि में गोचर करेंगे। दोनों राशियां शनि की अपनी राशि है। इससे आने वाले साल में शनि का दबदबा रहेगा।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सृष्टि की रचना
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने ब्रह्म पुराण के आधार पर बताया कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना किये थे। इसी कारण इस दिन की महत्ता और बढ़ जाती है। हिन्दू धर्मावलंबी इस दिन अपने घरों में पूजा-पाठ कर मुख्य दरवाजे पर तोरणद्वार, स्वास्तिक का शुभ चिन्ह, मंगल ध्वज लगाते हैं। शक्ति व भक्ति का प्रतीक चैत्र नवरात्र भी इसी दिन से शुरू होता है। श्रद्धालु कलश स्थापना से लेकर विजयादशमी तक भगवती की उपासना करते हैं। लंका में राक्षसों का संहार कर अयोध्या लौटे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का राज्याभिषेक इसी दिन किया गया था।
नववर्ष में होंगे कुल चार ग्रहण
आचार्य राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से कहा कि नए साल में कुल चार ग्रहण होंगे। जिसमें दो सूर्य ग्रहण तथा दो चंद्रग्रहण होंगे। जिसमें वैशाख मास के पड़ने वाले पहला खंड सूर्यग्रहण तथा खग्रास चंद्रग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। वहीं कार्तिक मास में लगने वाले दूसरा खंड सूर्यग्रहण व खग्रास चंद्रग्रहण को देखा जा सकेगा। भारत वर्ष में दिखने वाला दूसरा सूर्यग्रहण स्वाति नक्षत्र व तुला राशि में लगेगा, इसीलिए इस नक्षत्र या इस राशि के जातक इस ग्रहण को नहीं देखेंगे। खग्रास चंद्रग्रहण जो कि भारत में देखा जा सकेगा, भरणी नक्षत्र एवं मेष राशि में लगेगा। ग्रहण जिस नक्षत्र या जिस राशि में लगता में है उस नक्षत्र या उस राशि में जन्म लेने वाले लोगों को नहीं देखना चाहिए। सूर्य ग्रहण का सूतक 12 घंटे तो चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले ही लग जाता है।
नव वर्ष के ग्रहण का विवरण
पहला खंड सूर्यग्रहण – वैशाख कृष्ण अमावस्या 30 अप्रैल को नए साल का पहला खंड सूर्यग्रहण लगेगा। इसे दक्षिण पश्चिम अमेरिका, पैसफिक, अटलांटिक एवं अंटार्कटिका में देखा जाएगा। यह ग्रहण दोपहर 12:15 से शुरू होकर शाम 04:07 बजे खत्म होगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा तथा इसका धर्मशास्त्रीय प्रभाव भी नहीं पड़ेगा।
पहला खग्रास चंद्रग्रहण – वैशाख शुक्ल पूर्णिमा 16 मई सोमवार को प्रथम खग्रास चंद्रग्रहण लग रहा है क यह ग्रहण प्रात: 07:02 बजे से दोपहर 12:20 बजे तक लगेगा। इस चंद्रग्रहण को भी भारतवर्ष में न तो देखा जाएगा और न ही इसका कोई असर होगा। इसको सिर्फ यूरोप, दक्षिणी-पश्चिमी एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, पैसिफिक, अटलांटिक, अंटार्कटिका, हिन्द महासागर में देखा जाएगा।
दूसरा खंड सूर्यग्रहण – कार्तिक कृष्ण अमावस्या 25 अक्टूबर मंगलवार को स्वाति नक्षत्र तथा तुला राशि में लगने वाले वाले भारत में ग्रस्तास्त खण्ड सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई देगा। इस ग्रहण का आरंभ दिन में 04:42 बजे से होगा तथा इसका मोक्ष यानि समापन शाम 05:13 बजे होगा। इसे भारत के अलावे यूरोप, दक्षिण-पश्चिम एशिया, अफ्रीका और अटलांटिका मंल देखा जा सकेगा।
दूसरा खग्रास चंद्रग्रहण – कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा 8 नवंबर मंगलवार को भरणी नक्षत्र व मेष राशि में लगने वाले इस साल का दूसरा व अंतिम चंद्रग्रहण लगेगा। इस ग्रहण को एशिया, आस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, उत्तर-पूर्व यूरोप के कुछ भाग, दक्षिणी अमेरिका के अधिकांश भाग में देखा जाएगा। यह ग्रहण शाम 05 :09 बजे से आरंभ होकर 06 :19 पर मोक्ष होगा।
