November 17, 2025

पटना में उर्दू और बांग्ला टीईटी अभ्यर्थियों का विरोध प्रदर्शन, रिजल्ट को लेकर हंगामा, सरकार के खिलाफ जमकर की नारेबाजी

पटना। राजधानी पटना की सड़कों पर बुधवार को एक बार फिर उर्दू और बांग्ला टीईटी अभ्यर्थियों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। पिछले दस वर्षों से अपने परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे इन उम्मीदवारों का गुस्सा अब सड़कों पर साफ झलकने लगा है। उनका कहना है कि 2013 में आयोजित परीक्षा के परिणाम को लेकर उन्हें सिर्फ आश्वासन दिया गया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
दस साल से लंबित रिजल्ट
साल 2013 में उर्दू-बांग्ला टीईटी की परीक्षा हुई थी। शुरुआत में 12 हजार उम्मीदवारों को पास घोषित किया गया, लेकिन कुछ समय बाद अचानक उन्हें फेल कर दिया गया। अभ्यर्थियों के अनुसार, यह निर्णय पूरी तरह अन्यायपूर्ण था। वे लगातार सरकार से रिजल्ट बहाल करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ वादे मिले।
सुप्रीम कोर्ट से मिली हरी झंडी
अभ्यर्थियों ने बताया कि तीन साल पहले बिहार सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के सरकारी वकील से राय मांगी थी। उस राय में साफ तौर पर उम्मीदवारों के पक्ष में निर्णय आया था। शिक्षा विभाग ने इस आधार पर 5 फीसदी कट-ऑफ कम कर रिजल्ट जारी करने का आदेश भी दिया था। इसके बावजूद बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने अब तक परिणाम घोषित नहीं किया।
विरोध और आत्महत्या की चेतावनी
लंबे इंतजार और अनदेखी से परेशान अभ्यर्थियों ने कई बार सड़क पर उतरकर विरोध किया। हाल ही में वे जेडीयू दफ्तर के बाहर हाथों में जहर की शीशी लेकर पहुंचे और चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे आत्महत्या कर लेंगे। इस घटना ने प्रशासन और सरकार दोनों को सोचने पर मजबूर किया, लेकिन अब तक समाधान नहीं निकला।
जेडीयू एमएलसी के घर की घेराबंदी की कोशिश
बुधवार को प्रदर्शनकारियों ने जेडीयू एमएलसी गुलाम गौस के आवास की ओर मार्च किया। लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक लिया और कई अभ्यर्थियों को हटाकर प्रदर्शन स्थल से दूर ले जाया गया। दो घंटे तक चले इस प्रदर्शन के दौरान अभ्यर्थियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। यह मामला केवल शिक्षा तक सीमित नहीं रहा। बीते दिनों जब जेडीयू कार्यालय का घेराव हुआ था, तब अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने और उनसे लिखित आश्वासन देने की मांग की थी। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इसके चलते गुस्सा और अधिक बढ़ गया।
मदरसा शिक्षकों का असंतोष
उर्दू-बांग्ला टीईटी विवाद के समानांतर मदरसा शिक्षकों का असंतोष भी सामने आ रहा है। पिछले महीने बापू सभागार में बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने जमकर हंगामा हुआ। शिक्षकों का कहना था कि 2011 में नीतीश कुमार ने 2459 मदरसों के शिक्षकों को वेतन देने का वादा किया था, लेकिन आज तक उनमें से केवल 1659 मदरसों के शिक्षक ही लाभान्वित हो पाए। शेष अब भी आर्थिक तंगी और भुखमरी से जूझ रहे हैं। पटना में हुए विरोध ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर क्यों 2013 से लंबित टीईटी रिजल्ट अब तक जारी नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट की राय और शिक्षा विभाग के आदेश के बावजूद अभ्यर्थियों को न्याय न मिलना गंभीर चिंता का विषय है। दूसरी ओर मदरसा शिक्षक भी अपने पुराने वादों के पूरे होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इन दोनों ही मामलों ने सरकार की नीतियों और वादों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि जल्द समाधान नहीं निकला तो यह असंतोष और व्यापक रूप ले सकता है।

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