पटना में स्कूटी सवार युवक को अज्ञात वाहन ने मारी टक्कर, हालत गंभीर, मामला दर्ज

पटना। राजधानी पटना में एक बार फिर लापरवाही और तेज रफ्तार का खतरनाक रूप देखने को मिला। सोमवार देर रात गांधी मैदान थाना क्षेत्र में एक स्कूटी सवार युवक को अज्ञात चारपहिया वाहन ने जबरदस्त टक्कर मार दी। हादसे की भयावहता इस बात से समझी जा सकती है कि टक्कर के बाद युवक को वाहन ने करीब 50 मीटर तक घसीटा, जिससे उसकी हालत गंभीर हो गई।
फ्लाईओवर पर हुआ हादसा
घटना गांधी मैदान स्थित एग्जीबिशन रोड फ्लाईओवर पर हुई। स्कूटी पर सवार अशोक कुमार, जो चांदमारी रोड कबाड़ी गली के निवासी हैं, अपने एक परिजन के साथ किसी जरूरी काम से घर लौट रहे थे। जब वे फ्लाईओवर पार कर रहे थे, तभी अचानक एक तेज रफ्तार और अनियंत्रित चारपहिया वाहन ने सामने से आकर टक्कर मार दी।
गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती
इस टक्कर में अशोक वाहन में फंस गए और उन्हें 50 मीटर तक घसीटते हुए ले जाया गया। इससे उनके शरीर के कई हिस्सों, विशेष रूप से पैरों में गंभीर चोटें आईं। घटना के तुरंत बाद स्थानीय लोगों की मदद से उन्हें नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत अब भी गंभीर बताई जा रही है।
पुलिस ने दर्ज किया मामला
हादसे की जानकारी मिलते ही गांधी मैदान थाना पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने अज्ञात वाहन चालक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली है और घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, सीसीटीवी फुटेज की मदद से आरोपी वाहन की पहचान करने का प्रयास किया जा रहा है।
लापरवाही और सड़कों पर बढ़ते खतरे
यह घटना पटना जैसे बड़े शहर में सड़कों पर बढ़ती लापरवाही और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी को उजागर करती है। ऐसे हादसे यह साबित करते हैं कि शहर में रात्रिकालीन निगरानी और गति सीमा पर पर्याप्त नियंत्रण नहीं है।
सख्त कार्रवाई की जरूरत
सड़क हादसों की बढ़ती घटनाएं राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन के लिए गंभीर चुनौती बनती जा रही हैं। विशेष रूप से फ्लाईओवर और मुख्य सड़कों पर गति सीमा का पालन, कैमरा निगरानी और नियमित गश्त जरूरी है। सरकार को चाहिए कि ऐसे क्षेत्रों में अतिरिक्त संसाधन और प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सख्ती से निगरानी सुनिश्चित करे ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हम सड़क सुरक्षा को लेकर वाकई गंभीर हैं, या फिर जब तक कोई जान न चली जाए तब तक कोई कदम नहीं उठाया जाता।

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