प्रदेश में फर्जी राशन कार्ड रद्द करने की तैयारी, जल्द चलेगा विशेष अभियान, कई के कार्ड होंगे रद्द
पटना। बिहार सरकार की मुफ्त राशन योजना पर बड़े पैमाने पर हो रही गड़बड़ियों का पर्दाफाश होने के बाद पूरे प्रदेश में फर्जी और अपात्र राशन कार्ड रद्द करने की तैयारी तेज हो गई है। विभाग की आधार-संयुक्त जांच में सामने आया कि वर्षों से ऐसे लोग भी इस योजना का लाभ उठाते रहे जो किसी भी मानक के अनुसार गरीब या पात्र श्रेणी में नहीं आते। यह खुलासा सामाजिक न्याय की उस विडंबना को उजागर करता है, जिसमें वास्तविक जरूरतमंदों का हक ऐसे लोग मार लेते हैं, जिन्हें इसकी कोई आवश्यकता नहीं होती।
जांच में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य
विभाग की जांच में यह पाया गया कि जिन लोगों के नाम पर मुफ्त राशन जारी किया जा रहा था, उनमें कई ऐसे थे जिनके पास लग्जरी गाड़ियां थीं, करोड़ों की संपत्तियां थीं और वे नियमित रूप से इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते थे। कुछ लोगों का कारोबार करोड़ों रुपये का था, फिर भी वे सामान्य गरीब परिवार की तरह सरकारी राशन दुकान से मुफ्त अनाज लेते रहे। यह व्यवहार न केवल योजना के उद्देश्य के विपरीत है बल्कि गरीबों के अधिकारों का सीधा उल्लंघन भी है।
अपात्र राशन कार्ड धारकों की पहचान
जांच में लगभग 11,000 से अधिक अपात्र राशन कार्ड धारक चिन्हित किए गए हैं। विभाग ने इनकी सूची संबंधित एसडीओ के लॉगिन पर भेज दी है और अब प्रशासन इन कार्डों को रद्द करने की प्रक्रिया में जुट गया है। जिन लोगों को अपात्र पाया गया है, उन्हें नोटिस भेजी जा रही है, ताकि उन्हें सुनवाई का अवसर भी मिल सके। इसके बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
स्वैच्छिक सरेंडर का परिणाम
विभाग ने पहले ही एमओ और डीलरों के माध्यम से यह घोषणा कर रखी थी कि जो भी लोग स्वयं को अपात्र मानते हैं, वे बिना किसी दंड के स्वयं अपना राशन कार्ड सरेंडर कर दें। यदि वे ऐसा करते हैं तो पहले से उठाए गए राशन की रिकवरी नहीं की जाएगी। इसके बावजूद चार प्रखंडों में केवल 300 लोगों ने ही अपना कार्ड वापस किया, जबकि 11,000 से अधिक ऐसे लोग थे जो बिना पात्रता के सरकारी लाभ ले रहे थे। यह आंकड़ा बताता है कि कैसे लोग सरकारी सुविधाओं का दुरुपयोग करने में पीछे नहीं हटते।
बीते वर्ष का बड़ा खुलासा
पिछले साल भी प्रशासन ने फर्जी तरीके से बनाए गए राशन कार्डों के एक बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ किया था। कई लोग नकली दस्तावेजों का उपयोग करके राशन कार्ड बनवा लेते थे और फिर इन कार्डों का उपयोग वर्षों तक मुफ्त अनाज पाने में करते थे। यह पूरा तंत्र न केवल सरकारी व्यवस्था को कमजोर करता है बल्कि गरीबों के अधिकार को भी छीन लेता है। बावजूद इसके, ऐसे लोग लगातार योजना का लाभ उठाते रहे, जिसका असर सही मायने में पात्र परिवारों पर पड़ा।
कार्ड रद्द होने के बाद की प्रक्रिया
सरकार का लक्ष्य यह है कि अपात्र लोगों को हटाकर वास्तविक जरूरतमंद और गरीब परिवारों को इस योजना का लाभ दिया जा सके। जैसे ही फर्जी या अपात्र कार्ड रद्द किए जाएंगे, नए पात्र परिवारों को राशन कार्ड उपलब्ध कराए जाएंगे। इससे उन परिवारों को भी राहत मिलेगी जो वर्षों से पात्र होने के बावजूद कार्ड नहीं प्राप्त कर पाए थे।
गरीबों की योजनाओं पर हमला
यह पूरा मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि किसी भी सरकारी योजना को सबसे बड़ा खतरा उन लोगों से होता है जो सुविधा के पात्र नहीं होते, फिर भी अपने लाभ के लिए व्यवस्था का दुरुपयोग करते हैं। इससे जहां सरकारी बजट पर दबाव बढ़ता है, वहीं वास्तविक गरीब तक सुविधा पहुंचने में बाधा आती है। यह स्थिति न केवल संवेदनहीनता को दर्शाती है बल्कि सामाजिक असमानता को और गहरा करती है।
भविष्य की दिशा
सरकार अब इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए विशेष अभियान चलाने जा रही है। इसका उद्देश्य है कि किसी भी प्रकार की फर्जीवाड़ा न चल सके और योजनाओं का लाभ केवल उन्हीं तक पहुंचे जिनके लिए वे बनाई गई हैं। अगर यह अभियान प्रभावी रूप से लागू होता है, तो यह न केवल सरकारी संसाधनों के सही उपयोग को सुनिश्चित करेगा बल्कि समाज में भरोसे और पारदर्शिता को भी मजबूत करेगा। इस प्रकार बिहार में राशन कार्ड से जुड़ी यह कार्रवाई केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं बल्कि सामाजिक न्याय और पारदर्शिता की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है, जो आने वाले समय में एक आदर्श उदाहरण भी बन सकता है।


