टीआरई-4 बहाली पर संकट: 15 जिलों से ही मिली रिक्त शिक्षकों की रिपोर्ट, विभाग ने अधिकारियों से मांगी जानकारी
पटना। बिहार में विद्यालयों में खाली पड़े शिक्षकों के पदों पर बहाली की प्रक्रिया एक बार फिर संकट में पड़ती दिख रही है। विद्यालय अध्यापक नियुक्ति परीक्षा टीआरई 4 को दिसंबर में आयोजित करने का सरकारी दावा अब अधर में लटक गया है, क्योंकि जिलों से रिक्त पदों की जानकारी समय पर शिक्षा विभाग तक नहीं पहुंच पाई है। राज्य के कुल 38 जिलों में से अब तक केवल 15 जिलों ने ही कक्षा 1 से 12 तक के शिक्षकों के खाली पदों की रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी है। शेष 23 जिलों से कोई अपडेट नहीं आने के कारण रिक्ति निर्धारण और रोस्टर क्लियरेंस का काम अटक गया है।
अधूरी रिपोर्ट से अटकी बहाली प्रक्रिया
शिक्षा विभाग कई बार पत्र और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जिलों से रिक्त पदों का विवरण भेजने को कह चुका है। इसके बावजूद बड़ी संख्या में जिलों ने अभी तक प्रतिक्रिया नहीं दी। रोहतास, भोजपुर, औरंगाबाद, पश्चिम चंपारण, शिवहर, पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, बांका और गया सहित कुल 15 जिलों से ही रिपोर्ट प्राप्त हुई है। जब तक सभी जिलों से पदों की संख्या नहीं आएगी, तब तक बीपीएससी को रिक्तियां भेजना संभव नहीं है। सरकार ने सितंबर में ही संकेत दे दिया था कि टीआरई 4 के लिए लगभग 26 हजार पद निकलेंगे और परीक्षा दिसंबर महीने में होगी। लेकिन अब वर्ष खत्म होने को है और रिक्त पदों की अंतिम संख्या भी उपलब्ध नहीं है। हालात यह बताते हैं कि परीक्षा आयोजित होने में और देरी तय है।
शिक्षा विभाग की सख्ती भी बेअसर
बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. बी. राजेन्दर ने कुछ दिन पहले ही उन जिलों के अधिकारियों को फटकार लगाई थी, जिन्होंने अभी तक रिक्तियों की सूची नहीं भेजी। उन्होंने दोबारा निर्देश दिया कि जल्द से जल्द यह जानकारी उपलब्ध कराई जाए, क्योंकि पूरे राज्य में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया बाधित हो रही है। इसके बावजूद रिपोर्ट भेजने की रफ्तार बेहद धीमी है। पिछले दो वर्षों में बीपीएससी की अनुशंसा पर तीन चरणों में कुल 2 लाख 68 हजार 548 शिक्षकों की बहाली हो चुकी है—पहले चरण में 1,02,871 और दूसरे में 69,500 नियुक्तियां हुईं। अब टीआरई 4 और टीआरई 5 के माध्यम से खाली पड़े पदों को भरने की योजना है। विभाग का अनुमान है कि कक्षा 1 से 12 तक लगभग 1 लाख पद खाली निकल सकते हैं।
एसटीईटी का आयोजन भी जारी, प्रक्रिया और लंबी
टीआरई 4 की बहाली के लिए आवश्यक शर्तों में से एक है कि अभ्यर्थियों ने एसटीईटी उत्तीर्ण किया हो। विभाग ने दावा किया था कि 16 नवंबर तक सभी विषयों की एसटीईटी परीक्षा कराकर परिणाम जारी कर दिया जाएगा। लेकिन वर्तमान में एसटीईटी की परीक्षाएं ही चल रही हैं। ऐसे में टीआरई 4 की तारीख तय होने की स्थिति और पीछे खिसक गई है।
नई नियमावली और डोमिसाइल का प्रभाव
टीआरई 4 की एक प्रमुख विशेषता यह है कि पहली बार शिक्षकों की भर्ती में लगभग 85 प्रतिशत सीटें बिहार के स्थानीय युवाओं के लिए आरक्षित रहेंगी। केवल 15 प्रतिशत सीटें ही अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों और बिहार के ऐसे छात्रों के लिए होंगी, जिन्होंने मैट्रिक और इंटर बिहार के बाहर से किया है। इस व्यवस्था के लागू होने से बिहार के अभ्यर्थियों में उत्साह है, क्योंकि पिछले चरणों में उत्तर प्रदेश, झारखंड और कई अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में महिला अभ्यर्थियों की नियुक्ति हुई थी। अब महिला आरक्षण भी केवल बिहार की महिला उम्मीदवारों को मिलेगा—कक्षा 5 तक 50 प्रतिशत और अन्य श्रेणियों में 35 प्रतिशत।
रिक्तियों में देरी के दूरगामी परिणाम
जिलों द्वारा रिक्तियों की रिपोर्ट देर से भेजने के कारण बहाली की गति गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है। स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी पहले से ही बच्चों की पढ़ाई और शैक्षणिक गुणवत्ता पर असर डाल रही है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक और मध्य विद्यालय लंबे समय से शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। यदि रिक्तियां समय पर निर्धारित नहीं हुईं तो न केवल टीआरई 4 में देरी होगी, बल्कि अगले वर्ष प्रस्तावित टीआरई 5 भी प्रभावित हो सकता है। इससे राज्य सरकार का युवाओं को रोजगार देने का लक्ष्य भी खतरे में पड़ सकता है। टीआरई 4 की प्रक्रिया फिलहाल अधूरी सूचनाओं और धीमी प्रशासनिक कार्यवाही के कारण रुकी हुई है। शिक्षा विभाग लगातार जिलों को निर्देश दे रहा है, लेकिन तय समयसीमा में रिक्तियां नहीं आने से पूरे राज्य की शिक्षक भर्ती प्रभावित हो रही है। अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि जिलों से जानकारी कब तक पहुंचती है ताकि बहाली प्रक्रिया आगे बढ़ सके।


