बिहार में 11 हजार से अधिक महिला शिक्षिकाओं का हुआ ट्रांसफर, शिक्षा विभाग का आदेश जारी
पटना। बिहार में शिक्षा विभाग ने एक अहम निर्णय लेते हुए 11 हजार से अधिक महिला शिक्षिकाओं का तबादला कर दिया है। यह स्थानांतरण बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित टीआरई-1 और टीआरई-2 परीक्षा के तहत चयनित शिक्षिकाओं का है। विभाग ने इस प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और डिजिटल रूप में संपन्न किया है, जिसका उद्देश्य शिक्षकों को उनके गृह जिले या नजदीकी क्षेत्रों में नियुक्त कर उनकी कार्यक्षमता और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है।
देर रात जारी हुआ आदेश
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने 19 मई 2025 की देर रात यह आदेश जारी किया। इस आदेश के तहत कुल 11,801 महिला शिक्षकों का अंतर-जिला और आंतरिक तबादला किया गया है। विभाग ने इस पूरी जानकारी को ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अपलोड किया है और साथ ही शिक्षकों को उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एसएमएस के जरिए भी सूचित किया गया है।
टीआरई-1 और टीआरई-2 के तहत तबादला
इस प्रक्रिया में टीआरई-1 के 5,630 और टीआरई-2 के 6,167 महिला शिक्षकों को शामिल किया गया। कुल 11,802 आवेदन मिले थे, जिनमें से 4 को निष्क्रिय कर दिया गया और 11,801 शिक्षिकाओं का तबादला अंतिम रूप से स्वीकृत किया गया।
सूचना का सार्वजनिक रूप से नहीं होगा प्रकाशन
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि तबादले की विस्तृत सूची सार्वजनिक रूप से जारी नहीं की जाएगी। शिक्षकों को व्यक्तिगत रूप से जानकारी दी जाएगी। इस फैसले का उद्देश्य गोपनीयता और प्रक्रिया की पारदर्शिता बनाए रखना है। विभाग द्वारा 20 मई को योगदान के आदेश और दिशा-निर्देश भी जारी किए जाने की संभावना है।
तबादले के पीछे की सोच
इस तबादले की प्रक्रिया में शिक्षकों की वर्तमान पोस्टिंग और उनके गृह जिले या पसंदीदा स्थान की दूरी को प्राथमिकता दी गई है। इसका मकसद शिक्षकों को उनके नजदीकी क्षेत्रों में तैनात कर शिक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना और कामकाजी संतुलन को बेहतर करना है।
तकनीकी सॉफ्टवेयर और प्रशिक्षण का इस्तेमाल
शिक्षा विभाग ने इस तबादले की प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल और सुव्यवस्थित बनाए रखने के लिए एक विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है। इसके संचालन के लिए सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को पहले से प्रशिक्षण दिया गया था, ताकि तकनीकी अड़चनों से बचा जा सके और प्रक्रिया समय पर पूरी हो सके।
मिली-जुली प्रतिक्रिया और शिक्षक संगठनों की मांग
हालांकि इस तबादले को लेकर शिक्षकों की प्रतिक्रियाएं मिली-जुली रही हैं। कई शिक्षकों ने गृह जिले में स्थानांतरण के निर्णय का स्वागत किया है, जबकि कुछ ने प्रक्रिया में देरी और सूची को सार्वजनिक नहीं करने पर सवाल उठाए हैं। वहीं, कुछ शिक्षकों ने विभाग से मांग की है कि इस प्रक्रिया को और तेज किया जाए ताकि बार-बार की प्रतीक्षा समाप्त हो सके।
पुरुष शिक्षकों के तबादले की मांग
इस फैसले के बाद शिक्षक संगठनों ने सरकार से मांग की है कि पुरुष शिक्षकों के स्थानांतरण की प्रक्रिया भी जल्द से जल्द शुरू की जाए, ताकि पूरे शिक्षण तंत्र में संतुलन और पारदर्शिता बनी रहे। यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा प्रशासनिक निर्णय माना जा रहा है, जिसका असर आने वाले समय में स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा।


