समस्तीपुर में दर्दनाक हादसा, पोखर में डूबकर 8 साल के मासूम की मौत

समस्तीपुर। बिहार के समस्तीपुर जिले से एक अत्यंत दुखद और हृदयविदारक घटना सामने आई है। ताजपुर थाना क्षेत्र के रजका रामपुर मोरवा गांव में बुधवार को एक आठ वर्षीय मासूम की पोखर में डूबकर मौत हो गई। यह हादसा न केवल परिवार के लिए बल्कि पूरे गांव के लिए सदमे जैसा है।
खेलते-खेलते पहुंचा पोखर, हो गया हादसा
मृतक बच्चे की पहचान राकेश राम के पुत्र सिद्धार्थ कुमार के रूप में हुई है। बुधवार को सिद्धार्थ अपने दोस्त अंकुश कुमार, जो गांव के ही अरुण राम का बेटा है, के साथ खेलने के लिए निकला था। दोनों बच्चे घर के पास स्थित प्राइमरी स्कूल के पीछे पोखर के किनारे खेल रहे थे। इसी दौरान सिद्धार्थ ने नहाने की कोशिश की, लेकिन पोखर की गहराई का अंदाजा न होने के कारण वह डूब गया।
सहमे गांव वाले, लाश देखकर फूट-फूटकर रोए परिजन
सिद्धार्थ जब काफी देर तक पानी से बाहर नहीं आया, तो अंकुश घबराकर गांव भागा और लोगों को जानकारी दी। तत्काल ग्रामीण पोखर की ओर दौड़े और खोजबीन के बाद बच्चे के शव को बाहर निकाला। इस दृश्य को देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं। गांव में मातमी सन्नाटा छा गया और सिद्धार्थ की बड़ी बहन जो उसका पालन-पोषण कर रही थी, वह बेसुध हो गई।
मां की पहले ही हो चुकी थी मौत, पिता रहते हैं बाहर
इस मासूम की पारिवारिक स्थिति भी बेहद दुखद रही। बताया जाता है कि सिद्धार्थ की मां की मृत्यु पिछले वर्ष ही हो गई थी। उसके पिता वर्षों से प्रदेश में रहते हैं और गाँव नहीं आते। ऐसे में उसकी बड़ी बहन ही घर-घर काम कर उसे पाल रही थी। इस हादसे ने न केवल एक मासूम की जान ली, बल्कि एक बहन की उम्मीदें और संघर्षों को भी तोड़ दिया।
पुलिस ने शव को जब्त कर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा
घटना की सूचना मिलते ही ताजपुर थाने की पुलिस मौके पर पहुंची। थाना अध्यक्ष सन्नी कुमार मौसम ने बताया कि बच्चे की मौत पोखर में नहाते समय डूबने से हुई है। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया है। रिपोर्ट आने के बाद आगे की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
गाँव में नहीं है सुरक्षा उपाय, बच्चों की जान पर बन आती है
यह कोई पहली घटना नहीं है जब किसी बच्चे की जान पोखर में डूबने से गई हो। गाँवों में तालाब और पोखर खुले पड़े होते हैं, जिन पर न तो कोई सुरक्षा घेरा होता है और न ही चेतावनी बोर्ड। गर्मी या बरसात के दिनों में बच्चे खेलते-खेलते इन जलस्रोतों तक पहुंच जाते हैं और कई बार यह खेल मौत में बदल जाता है। प्रशासन और ग्रामीणों को मिलकर इस दिशा में जागरूकता और सुरक्षा के उपाय करने होंगे। सिद्धार्थ की मौत ने पूरे गांव को झकझोर दिया है। यह हादसा केवल एक मासूम की जिंदगी खत्म नहीं करता, बल्कि एक पूरे सामाजिक तंत्र की असंवेदनशीलता को भी उजागर करता है। अब समय आ गया है जब गांवों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीरता से सोचना होगा। पोखरों के किनारे सुरक्षा इंतज़ाम, चेतावनी बोर्ड और बच्चों को जागरूक करना अनिवार्य हो गया है, ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाएं दोबारा न हो सकें।
