PATNA : भारत मे सांतवां स्थान रखनेवालें जीएन पुस्तकालय सह संग्रहालय को पर्यटन स्थल से जोड़ने की उठी मांग

पटना। दुल्हीन बाजार के प्रखण्ड क्षेत्र के भरतपुरा गांव स्थित 12 दिसम्बर 1912 में स्थापित देश मे सांतवां स्थान रखनेवाला राष्ट्रीय धरोहरों में एक गोपाल नारायण सार्वजनिक पुस्तकालय सह संग्रहालय को पर्यटन स्थल से जोड़ने की मांग एक सुर में उठने लगी है। जानकारी के अनुसार इसकी स्थापना सन 12 दिसम्बर 1912 में स्थानीय जमींदार गोपाल नारायण सिंह ने किया था। जहां आज 8426 सचित्र पाण्डुलिपियाँ, एक हजार दुर्लभ मुगलकालीन चित्रक, दो सौ प्राचीन पालकालीन मूर्तियों सहित एक हजार प्राचीन पंचमार्क सिक्के व दस हजार मुद्रित पुस्तकें है। इस पुस्तकालय सह संग्रहालय में 780 A.D.में ताड़ के पत्ते पर लिखी गयी महाभारत ब्रह्मिलिपि का उदाहरण है। वहीं हजारो वर्ष पूर्व अरबी भाषा में लिखी गयी स्वर्णचित्रित शाहनामा का मूलप्रति यहां मौजूद है। इसके अलावे यहां स्वर्णचित्रित सिकन्दरनामा में सोने व नीलम का समायोजन दिखाई पड़ता है। वही अकबर के समकालीन नवरत्नों में से एक बसावन के द्वारा चित्रित साधु का पेंटिंग के अलावे 1200 A.D. में कौवे के पंख पर निर्मित मानव युगल का चित्र व 800 A.D. का पीपल के पत्ते पर आलिंगन के स्थिति में स्त्री- पुरुष का चित्र है। जबकि स्वर्णचित्रित गीतगोविंद, गुलचिराग, त्रिपुटसुन्दरी पट्टलम् के साथ प्राचीन मुगलकालीन शाहजहाँ से लेकर फरुखशाह तक का दस्तावेज यहाँ सुरक्षित है गांधीजी के द्वारा सव्हस्तलिखित 30 पत्रक भी यहां है जो स्वतन्त्रता संग्राम की याद दिलाती है। इस पुस्तकालय सह संग्रहालय में सूर्य, विष्णु, उमा महेश्वर,तथा गणेश की पाषाण प्रतिमाएँ, सिक्के, मृदभांड, कास्य प्रतिमाएँ मृण्मुर्तियाँ तथा अभिलेख मौजूद है। जिनमे अधिकांश मूर्तियाँ 8वीं से 12वीं सदी की अर्थात पालकालीन है। वही सूर्य की प्रतिमा से बोध होता है की समस्त देव प्रतिमाओं में सूर्य ही एक मात्र देवता है जिन्हें पैरो में जूता पहने हुए दिखाया गया है। शंख, चक्र,गदा एवं पदम् से अलंकृत विष्णु के प्रतिमा में पैरों के दोनों ओर एक पुरुष व एक महिला का अंकन है जिसे चक्र पुरुष व गदा देवी के रूप में जाना जाता है।

वही पंचमार्क सिक्के के अलावे गुप्तकालीन स्वर्ण सिक्के संग्रहालय की शोभा बढ़ाती है जो बिड़ले ही संग्रहालयों में देखने को मिलते है। जबकि यहां मौजूद मध्यकालीन पांडुलिपियों व सिक्के इतिहासकारों व पुरातत्वविदों को हमेशा आकर्षित करती रही है। इन दुर्लभ वस्तुओं की शुरक्षा के लिए सरकार की ओर से सुरक्षा प्रहरियों की नियुक्ति कर दी गयी है। लेकिन उनको रहने की व्यवस्था अभी तक नही हो पाई है। वही आसपास के लोगो सहित पुस्तकालय सह संग्रहालय के सचिव ध्रुपद नारायण सिंह, कार्यकारिणी सदस्य डॉ. श्यामनन्दन शर्मा, शिवेन्द्रधारी सिंह, गाइड के रूप में कार्यरत आर्चना सिन्हा व कम्प्यूटर संचालिका सौम्या कुमारी ने बताई की प्रतिदिन यहां पांच सौ से अधिक पर्यटक राज्य व देश के बिभिन्न इलाके से आते है। जबकि दिन प्रतिदिन पर्यटकों की संख्या में बृद्धि हो रही है। वही उनका मानना है कि यदि इसे पर्यटन स्थल से जोड़ा जाए तो यहां काफी संख्या में बिदेशी पर्यटक आएंगे व यहां का बाजार काफी विकसित होगा। सभी ने एक सुर में इसे पर्यटन स्थल से जोड़ने की मांग सरकार से किया है। वही लाइब्रेरी सह पुस्तकालय के कार्यकारणी अध्यक्ष सह पालीगंज एसडीओ मुकेश कुमार ने बतलाया कि प्रत्येक माह में एक बार यहां कार्यकारणी की बैठक होती है। इस दौरान महत्वपूर्ण बातो पर चर्चा होती है व बैठक में इसके विकास हेतु लिए गए निर्णयों के अनुसार कार्य भी कराई जाती है। वही उन्होंने बताया कि इसे विकसित करने के लिए हर सम्भव प्रयास किया जा रहा है।