अगर आप हैं डायबिटीज के मरीज तो बाजार में है शूगर फ्री तिलकुट, जानिए क्या है खास

पटना/ फुलवारीशरीफ। ऐसे तो मकर संक्रांति 14 और 15 जनवरी को मनाई जाती है और इसमें काफी दिन हैं। लेकिन लोग अभी से ही तिलकुट की खरीदारी कर रहे हैं। तिलकुट की वेराइटी के अनुसार उसकी कीमत तय की गई है। कई दुकानदार बाहर के कारीगरों को बुलाकर तिलकुट बनवा रहे हैं। जबकि लोग ऑर्डर देकर भी स्पेशल और गुणवत्तापूर्ण तिलकुट बनवा रहे हैं। बाजारों में तिलकुट की सोंधी खुशबू अभी से ही फैलने लगी है। मधुमेह रोगियों का भी पूरा पूरा ख्याल जा रहा है ताकि वे भी तिलकुट का मजा लेे सकें। मधुमेह रोगियों के लिए शूगर फ्री तिलकुट बाजार में उपलब्ध है। शहर के प्रमुख बाजारों में तिल, तिलकुट और गुड़ की खुशबू बिखरने लगी है। मकर संक्रांति की तिथि ज्यों-ज्यों नजदीक आ रही है, आधुनिक युग में भी लोग सौगात के रूप में तिलकुट जिला से बाहर व दूसरे राज्यों में बाहर रह रहे परदेशी को भेजने में जुट गए हैं। हालांकि, इस बार बाज़ार में बिक्री थोङी कम है। गया से आए कारीगर कहते हैं कि 21 सालों से ज्यादा समय से वे खगौल में तिलकुट बेच रहे हैं। फुलवारी शरीफ और खगौल की बाजार की रौनक भी बढ़ती जा रही है। चूड़ा, गुड़, तिलकूट, तिल आदि की बिक्री जोर पकड़ ली है। इससे जहां लोगों को ताजा तिलकुट खाने को मिल रहा है, वहीं इससे जुड़कर अपनी जीविका चला रहे लोगों की भी अच्छी कमाई भी हो रही है। पिछले कुछ सालों से बिहार के गया जिले से कारीगर आकर तिलकुट बना रहे हैं, जिसकी खरीदारी करने के लिए लोगों की अच्छी खासी भीड़ उमड़ती है। ठंड में तिलकुट की मांग बढ़ने से जगह-जगह इसकी दुकानें सजने लगी हैं। तिलदान का महत्व धर्मग्रंथों में है। यह शरीर को गरमाहट देता है, इसलिए जाड़े में इसका सेवन लाभदायक होता है। शहर के बाजारों और चौक-चौराहों पर तिलकुट की दुकान सज गये हैं। अस्थायी स्थायी तौर पर तिलकुट की दर्जनों दुकानें सजाई गयी है जिनमे कारीगर दिन रात तिलकुट निर्माण में लगे हैं। संक्रांति को लेकर अभी से ही तिलकुट का बाजार सजना शुरू हो गया है। गया के ग्रामीण क्षेत्रों के चावल और चूड़ा की पहचान आज भी कायम है। घिरनी पर स्थित अपनी दुकान जयराम बाजार साहेब तिलकुट भंडार में 2 सालों से गया से कारीगरों को बुलाकर स्थानीय स्तर पर ही तिलकुट खुद ही बनाते हैं जिसमें लोगों की प्रतिक्रया अच्छी आई। उसके बाद कई किस्म के तिलकुट लोगों को उपलब्ध करवा रहे हैं। लास्ट इयर के मुकाबले इस साल दाम में कोई खास अंतर नहीं है। दुकानदारों का कहना है कि गया और जहानाबाद के कारीगर से बने तिलकुट की मांग बाजार में अच्छी है। मकर संक्रांति पर्व पर यहां खासी बिक्री होती है। लोग खाने के अलावा रिश्तेदारों के लिए भी तिलकुट खरीदते हैं।

स्वाद सीक्रेट : इस बार तिलकुट में कई प्रयोग किए हैं। बच्चों को लुभाने के लिए तिलकुट बिस्किट पेश किया गया है। बच्चे बिस्कुट जैसा शेप देखकर इसे खाना खूब पसंद कर रहे हैं। तिल पट्टी, खोआ तिलकुट और तिल के लड्डू भी लोकप्रिय हैं। सबसे खास है खोवा तिलकुट, जिसका स्वाद सभी को लुभा रहा है। इनकी कीमत 180 सेलेकर 340 रुपए केजी है। कारीगर कहते हैं कि वे सुबह पांच बजे से तिलकुट बनाने में लग जाते हैं। लोगों को तिलकुट का स्वाद पसंद आता है, तो मेहनत सफल लगती है। प्रो. शहनवाज उर्फ रिंकू ने बताया कि  पिछले 21 वर्षों से गया के कुशल कारीगरों द्वारा तिलकुट, तिलवा, मस्का, खोआ तिलकुट, बादाम पट्टी आदि का निर्माण किया जाता है।

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