गोपाल खेमका हत्याकांड पर तेजस्वी का हमला, सरकार से पूछा- हत्याओं के बाद क्या इसे जंगलराज नहीं कहेंगे

पटना। गांधी मैदान थाना क्षेत्र में शुक्रवार की देर रात एक बड़ी आपराधिक घटना ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया। जाने-माने कारोबारी गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह वारदात राजधानी के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले इलाके में हुई, जहां से थाना महज कुछ कदम की दूरी पर है। अपराधी वारदात को अंजाम देकर आराम से फरार हो गए और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी।
घटना ने उठाए कानून-व्यवस्था पर सवाल
इस हत्याकांड ने बिहार में कानून-व्यवस्था पर एक बार फिर से गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राज्य की राजधानी में पुलिस की नाक के नीचे हुई इस हत्या ने यह स्पष्ट कर दिया कि अपराधी कितने बेखौफ हो चुके हैं। खासकर यह घटना तब और भी चिंताजनक हो जाती है जब यह शहर के अत्यंत सुरक्षित माने जाने वाले इलाके में हो।
विपक्ष का सरकार पर तीखा हमला
राज्य में लगातार हो रही हत्याओं को लेकर विपक्ष पहले से ही हमलावर है। गोपाल खेमका की हत्या के बाद यह हमला और तेज हो गया है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सरकार पर तीखा हमला करते हुए इसे जंगलराज की संज्ञा दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि जब राजधानी के थाने से चंद कदम की दूरी पर एक बड़े व्यापारी की हत्या हो जाए, तो इसे क्या कहा जाएगा?
मीडिया प्रबंधन और ‘परसेप्शन’ का मुद्दा उठाया
तेजस्वी यादव ने इस घटना के बहाने सरकार के मीडिया प्रबंधन और छवि निर्माण के तौर-तरीकों पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि हर महीने बिहार में सैकड़ों व्यापारियों की हत्या हो रही है लेकिन कोई इसे जंगलराज नहीं कहता, क्योंकि सरकार अपने मीडिया मैनेजमेंट और परसेप्शन निर्माण के जरिए जनता की नजरों से सच्चाई छिपाने में लगी हुई है।
पुलिस महकमे में फेरबदल का भी नहीं दिख रहा असर
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने हाल के दिनों में लगातार हो रहे अपराधों को देखते हुए पुलिस महकमे में बड़े पैमाने पर फेरबदल किया था। पूर्णिया के एसपी को पटना की कमान सौंपी गई, वहीं थानेदारों के भी तबादले किए गए। लेकिन इन सब बदलावों के बावजूद अपराध की घटनाओं में कमी नहीं आई है, जिससे सरकार की मंशा और नीतियों पर सवाल उठने लगे हैं।
सरकार के लिए बनी बड़ी चुनौती
राजधानी पटना जैसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण शहर में ऐसी घटनाएं राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गई हैं। न केवल आम लोग भयभीत हैं, बल्कि व्यवसायियों और मध्यमवर्गीय लोगों में भी असुरक्षा की भावना बढ़ती जा रही है।
विपक्ष को मिला नया मुद्दा
इस हत्याकांड ने विपक्ष को बैठे-बिठाए एक बड़ा मुद्दा दे दिया है। आगामी विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में विपक्ष इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाकर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। ऐसे में राज्य सरकार के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वह कानून-व्यवस्था की स्थिति को मजबूत करे और अपराधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए।
जनता में असुरक्षा की भावना
राज्य में लगातार बढ़ते अपराधों ने आम नागरिकों में असुरक्षा की भावना को जन्म दिया है। विशेषकर व्यापारी वर्ग जो अब खुद को असहाय महसूस करने लगा है। ऐसे में सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि अपराधियों पर शिकंजा कसा जाए और आम लोगों का भरोसा बहाल किया जा सके।
