November 18, 2025

तेजस्वी का नीतीश पर हमला, कहा- राज्य बेसुध सीएम के नेतृत्व में, लगातार बढ़ रही अपराधिक घटनाएं

पटना। बिहार की राजनीति इस समय चुनावी सरगर्मी और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से गरमाई हुई है। राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक दल एक-दूसरे पर लगातार हमलावर हो रहे हैं। इसी क्रम में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोला है और राज्य की कानून-व्यवस्था को विफल बताते हुए गंभीर सवाल खड़े किए हैं। तेजस्वी यादव ने अपने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट जारी कर नीतीश सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने लिखा कि बिहार आज एक “बेसुध और थके हारे मुख्यमंत्री” के नेतृत्व में चल रहा है। तेजस्वी के अनुसार, सत्ता में बैठे नेताओं की छत्रछाया में अपराधी लगातार बेखौफ होकर अपराध की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी के संरक्षण में पनप रहे अपराधी आज “विजय होकर सम्राट बने गुंडों” की तरह पूरे प्रदेश में खून-खराबा कर रहे हैं। तेजस्वी यादव ने यह भी कहा कि स्थिति इतनी खराब हो गई है कि अपराधी अब खुलेआम घरों में घुसकर लोगों की हत्या करने से भी नहीं हिचकिचा रहे। उनका मानना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब मानसिक और शारीरिक रूप से इतने दुर्बल हो चुके हैं कि वे राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर ध्यान ही नहीं दे पा रहे। तेजस्वी ने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री की निष्क्रियता और अस्वस्थ नेतृत्व ने बिहार की जनता को अपराधियों के रहमोकरम पर छोड़ दिया है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य में लगातार हत्या, लूट, अपहरण और राजनीतिक हिंसा की घटनाएँ सामने आ रही हैं। विपक्ष इन घटनाओं को मुद्दा बनाकर सरकार की नाकामी का सबूत बता रहा है, वहीं सरकार बार-बार यह दावा करती रही है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार की राजनीति में “कानून-व्यवस्था” हमेशा से एक अहम चुनावी मुद्दा रहा है। जनता का बड़ा वर्ग इस बात को लेकर चिंतित रहता है कि राज्य में शांति और सुरक्षा कितनी मजबूत है। ऐसे में विपक्ष का यह आक्रमक रुख निश्चित रूप से चुनावी माहौल को प्रभावित कर सकता है। तेजस्वी यादव का यह हमला न केवल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वास्थ्य और नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाता है, बल्कि राज्य में भाजपा की भूमिका पर भी निशाना साधता है। उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की है कि मौजूदा सरकार जनता की सुरक्षा करने में असफल रही है और अब बदलाव की ज़रूरत है। कुल मिलाकर, यह विवाद दर्शाता है कि बिहार की राजनीति में चुनाव से पहले की जंग केवल विकास और योजनाओं पर नहीं, बल्कि अपराध और सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी तेज होती जा रही है। जनता की नज़र अब इस बात पर टिकी है कि चुनावी प्रचार में यह बहस किस रूप में आगे बढ़ती है और इसका असर वोटरों के मन पर कितना पड़ता है।

You may have missed