PATNA : लालू परिवार में मचे घमासान के बीच तेजप्रताप का नया पैतरा, ट्वीट कर लालू को कहा धन्यवाद

पटना। राष्ट्रीय जनता दल की राज्य कार्यकारिणी की बैठक गुरुवार को होटल मौर्या में हुई। इसमें लालू परिवार से खुद लालू प्रसाद, छोटे बेटे तेजस्वी यादव, बड़े बेटे तेज प्रताप यादव और बड़ी बेटी मीसा भारती मंच पर मौजूद रहीं, लेकिन बोलने का मौका सिर्फ लालू और तेजस्वी को ही मिला। वहीं, मंच पर लगे बैनर में लालू, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव इन्हीं तीनों की फोटो ही लगी थी। तेज प्रताप यादव और मीसा भारती नहीं दिखीं। जब तेजस्वी यादव का भाषण हो रहा था तब बीच में ही किसी कारण से तेजप्रताप उठ कर निकल गए थे। बाद में उन्होंने ट्वीट कर लिखा है, ‘ जब बंद हो जाएं सारे दरवाजे तब नया रास्ता दिखाते हैं, आप, सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं, जीवन जीना भी सिखाते हैं आप यह लिखते हुए उन्होंने अपने पिता के साथ वाली फोटो भी लगाई है।

माना जाता है कि तेजप्रताप को जब अपनी बात पहुंचानी रहती है तो वो किसी न किसी तरह बोल ही देते हैं। राजद के पिछले कई आयोजनों में वे नहीं दिखे। बहुत दिनों बाद ऐसा हुआ जब वे और उनके हिटलर मंच पर थे। RJD के अंदर यह क्रिस्टल क्लीयर हो गया है कि तेजस्वी यादव ही लालू प्रसाद के असली वारिस हैं। अब तो सड़क किनारे लगे झंडे पर भी लालू और तेजस्वी की ही फोटो रहती है। वे विधानसभा चुनाव के समय मुख्यमंत्री पर के चेहरा रहे और अभी नेता प्रतिपक्ष हैं। राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी जिस तरह से राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद ने कई बार तेजस्वी यादव की तारीफ की उससे साफ है कि तेजस्वी ही पार्टी की बागडोर संभालने योग्य हैं।

RJD में गुस्सा दिखाकर, चेतावनी देकर भी देख चुके हैं तेज

तेजप्रताप RJD में छात्र राजद को संचालित करते थे, लेकिन छात्र राजद के कार्यक्रम में जब लगे पोस्टर पर तेजस्वी यादव का फोटो नहीं लगाया तो मामला गरमा गया था। इसी कार्यक्रम में उन्होंने RJD के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को हिटलर कह दिया था। इसके बाद तत्कालीन छात्र राजद के अध्यक्ष आकाश को पद से हटाकर उनकी जगह गगन कुमार को अध्यक्ष बनाया गया था। तब तेज प्रताप ने पार्टी संविधान के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कोर्ट जाने की धमकी दी थी। उन्होंने कहा था, ‘पार्टी के संविधान का उल्लंघन किया गया है।’ बाद में गुस्साए तेज प्रताप ने अपना अलग संगठन छात्र जनशक्ति परिषद का गठन कर लिया। छात्र जनशक्ति परिषद का चिह्न हाथ में लालटेन रखा गया, लेकिन लालू प्रसाद के सुझाव के बाद उन्हें निशान बदलकर बांसुरी रखना पड़ा।

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