तांती समाज को बिहार में नहीं मिलेगा एससी का आरक्षण, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने जारी की अधिसूचना
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा फैसला लिया है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जारी किया गया है। इससे अब राज्य के अंदर एक ख़ास समाज वर्ग को पहले की तरह अधिक आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। अब उन्हें आरक्षण से मिलने वाले लाभ में थोड़ी कमी महसूस होगी। लेकिन, अभी भी यह आरक्षण के दायरे में रहेंगे। तांती समाज को बिहार में अनुसूचित जाति (एससी) का आरक्षण न मिलने का मामला एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दा है, जो राज्य और देश में राजनीतिक, सामाजिक और कानूनी परिप्रेक्ष्य में गहराई से जुड़ा हुआ है। इस परिप्रेक्ष्य में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिहार सरकार ने एक अधिसूचना जारी की है, जिसमें तांती समाज को एससी श्रेणी में शामिल न करने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय तांती समुदाय और राज्य के अन्य सामाजिक समूहों के बीच एक बड़ा विवाद पैदा कर सकता है, और इसके प्रभाव राजनीतिक और सामाजिक जीवन पर भी हो सकते हैं। बिहार सरकार ने तांती, तंतवा जाति को अनुसूचित जाति (एससी) से बाहर करके इसे फिर से अति पिछड़ा वर्ग यानी ईबीसी में शामिल कर दिया है। इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों इस जाति को अनुसूचित वर्ग (एससी) से बाहर करने का आदेश दिया था। इसके बाद बिहार की नीतीश सरकार ने अधिसूचना जारी कर तांती समाज को फिर से अति पिछड़ा वर्ग यानी ईबीसी में शामिल कर दिया है। तांती समाज, बिहार के विभिन्न जिलों में निवास करने वाला एक प्रमुख समुदाय है, जो मुख्यतः पारंपरिक रूप से वस्त्र निर्माण और बुनाई से जुड़ा हुआ है। इस समुदाय की मांग लंबे समय से रही है कि उन्हें एससी की श्रेणी में शामिल किया जाए, ताकि उन्हें सरकारी योजनाओं और आरक्षण का लाभ मिल सके। तांती समुदाय के कई सदस्यों का मानना है कि वे सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं, और उन्हें एससी का दर्जा मिलने से उनके हालात में सुधार हो सकता है।हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने तांती समाज को एससी श्रेणी में शामिल करने के मामले में एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया। कोर्ट ने इस मामले की कानूनी और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की गहन जांच-पड़ताल के बाद फैसला दिया कि तांती समुदाय को एससी की श्रेणी में शामिल नहीं किया जा सकता। इस फैसले का आधार यह था कि तांती समाज, जो मुख्यतः ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की श्रेणी में आता है, उसके लिए एससी के समान आरक्षण के लाभ उपलब्ध नहीं कराए जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि तांती समाज को एससी श्रेणी में शामिल करने के लिए आवश्यक शर्तें और मानदंड पूरे नहीं होते। कोर्ट का कहना था कि एससी श्रेणी के तहत उन समुदायों को शामिल किया जाता है, जो ऐतिहासिक रूप से अत्यधिक उत्पीड़न और सामाजिक भेदभाव का सामना कर चुके हैं। कोर्ट ने यह भी तर्क दिया कि तांती समाज का सामाजिक और आर्थिक स्तर अन्य पिछड़ा वर्गों के समान है, और उन्हें एससी का दर्जा देने से असमानता और बढ़ेगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, बिहार सरकार ने तांती समाज को एससी की श्रेणी में शामिल न करने के संबंध में एक अधिसूचना जारी की। इस अधिसूचना में सरकार ने कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए तांती समाज को ओबीसी श्रेणी में बनाए रखने का फैसला किया है। सरकार का कहना है कि कोर्ट के आदेश के बाद उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है और वे इस फैसले का सम्मान करते हैं। तांती समाज को एससी श्रेणी में शामिल न करने का निर्णय बिहार में सामाजिक और राजनीतिक रूप से बड़े प्रभाव पैदा कर सकता है। तांती समाज के कई लोग इस निर्णय से असंतुष्ट हो सकते हैं और वे सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर सकते हैं। इसके अलावा, अन्य राजनीतिक दल इस मुद्दे को लेकर बिहार सरकार पर दबाव डाल सकते हैं, जिससे राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ आ सकता है।


