रीढ़ में दर्द के साथ बुखार, भूख की कमी और वजन गिरना रीढ़ की टीबी के लक्षण : डॉ. सुशील

पटना। अनूप इंस्टीट्यूट आफ आर्थोपेडिक एंड रिहेबलिटेशन में रीढ़ और घुटना के कंसल्टेंट सर्जन डॉ. सुशील कुमार सिंह के अनुसार भारत में रीढ़ की हड्डी का टीबी काफी आम है। टीबी का बैक्टिरिया शरीर में पहले से मौजूद होता है। रीढ़ के जिस हिस्से में ज्यादा मूवमेंट होता है, वहीं पर इसका ज्यादा संक्रमण होता है। अत्यधिक मूवमेंट से रीढ़ की हड्डी का वह हिस्सा डैमेज होता है। वहां रक्तस्त्राव होने लगता है। यदि व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होगी तो यह बैक्टीरिया उस हिस्से पर अटैक करता है और संक्रमण हो जाता है।
डॉ. सुशील के अनुसार, रीढ़ की हड्डी में संक्रमण या टीबी का मुख्य लक्षण रीढ़ की हड्डी में दर्द, रात में तकलीफ बढ़ जाना, वजन गिरना, भूख नहीं लगना, रात में बुखार, शरीर को हिलाने-ढुलाने में दिक्कत होना आदि हैं। इस रोग को पकड़ने के लिए खून की जांच की जाती है। एमआरआई और एक्स-रे भी किया जाता है। संक्रमण से मवाद बनता है और यह नीचे की ओर आता है। इलाज के दौरान टीबी की दवा दी जाती है। छोटा सा छेद कर मवाद भी निकालते हैं। यदि मवाद बार-बार बनता है और मरीज की स्थिति नहीं सुधर रही है तो रीढ़ का आॅपरेशन करते हैं। वहीं कई बार मरीज इलाज कराने में देर कर देता है। ऐसी स्थिति में टीबी दवा से तो ठीक हो जाती है, लेकिन वह कुछ और समस्या पैदा कर देता है। मरीज का स्पाइनल कॉर्ड दबने लगता है तो पैर काम करना बंद कर देता है। ऐसी स्थिति में आॅपरेशन कर फाइब्रोसिस खत्म करते हैं। स्पाइनल कॉर्ड का दबाव से मुक्त करते हैं। रीढ़ भी फिक्स करते हैं।

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