इंडिगो संकट मामले में सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप से इनकार, सीजेआई बोले- सरकार ही संभाले यह मामला
नई दिल्ली। इंडिगो एयरलाइन के लगातार बढ़ते परिचालन संकट ने पूरे देश में हवाई यात्रा को अस्त-व्यस्त कर दिया है। हजारों उड़ानों के रद्द होने और लाखों यात्रियों के फंसने की स्थिति में इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता ने तत्काल सुनवाई की मांग की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फिलहाल हस्तक्षेप करने से साफ इनकार कर दिया। अदालत का कहना है कि यह मामला प्रशासनिक और नीति से जुड़ा हुआ है तथा सरकार पहले से इसका संज्ञान लेकर कार्रवाई कर रही है।
तत्काल सुनवाई की मांग पर सुप्रीम कोर्ट का जवाब
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह मांग की गई थी कि इंडिगो के परिचालन संकट के कारण प्रभावित हो रहे यात्रियों को राहत दिलाने के लिए अदालत तुरंत दखल दे। लेकिन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, जस्टिस सूर्यकांत ने याचिका को सूचीबद्ध करने से इनकार करते हुए कहा कि यदि समस्या स्थायी या नियंत्रण से बाहर होती, तो अदालत जरूर सुनवाई कर सकती थी। सीजेआई ने कहा कि उन्हें पता है कि लाखों लोग इस स्थिति से परेशान हैं, लेकिन चूंकि केंद्र सरकार और संबंधित एजेंसियां मामले को संभाल रही हैं, इसलिए फिलहाल न्यायालय के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। अदालत ने यह संकेत दिया कि प्रशासनिक निर्णयों में न्यायपालिका तभी दखल देती है जब स्थिति असाधारण हो या सरकार समाधान की दिशा में कोई कदम न उठा रही हो।
याचिकाकर्ता की चिंता: उड़ानें रद्द, यात्रियों को भारी परेशानी
याचिका दायर करने वाले वकील ने कहा कि इस संकट ने देश के लगभग 95 हवाई अड्डों को प्रभावित कर दिया है। 2500 से अधिक उड़ानें विलंबित या रद्द हो चुकी हैं और स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। उन्होंने बताया कि पिछले सात दिनों से इंडिगो की अधिकांश उड़ानें सामान्य रूप से संचालित नहीं हो रही हैं, जिससे लाखों यात्री फंसे हुए हैं। याचिका में मांग की गई थी कि सरकार प्रभावित यात्रियों को वैकल्पिक यात्रा व्यवस्था उपलब्ध कराए और उन्हें उपयुक्त मुआवजा भी दिया जाए।
छह दिसंबर को सीजेआई के आवास पर पहुंचा वकील
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए याचिकाकर्ता के वकील 6 दिसंबर को चीफ जस्टिस सूर्यकांत के आवास तक पहुंचे और उनसे व्यक्तिगत रूप से इस मामले की त्वरित सुनवाई करने की अपील की। वकील का कहना था कि यह राष्ट्रीय स्तर का संकट है और तत्काल समाधान आवश्यक है। हालांकि, अदालत का रुख वही रहा—मामला सरकार के अधीन है और वही इसे बेहतर ढंग से संभाल सकती है।
सातवें दिन भी उड़ानें रद्द: दिल्ली और बेंगलुरु सबसे प्रभावित
इंडिगो का परिचालन संकट सातवें दिन भी जारी रहा। सोमवार को एयरलाइन ने केवल दिल्ली और बेंगलुरु से ही 250 से अधिक उड़ानें रद्द कर दीं। दिल्ली हवाई अड्डे से 134 उड़ानें रद्द हुईं—75 प्रस्थान और 59 आगमन की। बेंगलुरु से 127 उड़ानें रद्द होने की सूचना है। इन रद्द हुई उड़ानों के कारण हजारों यात्री एयरपोर्ट पर फंसे रहे। कई लोग घंटों कतार में खड़े रहे, जबकि कई यात्रियों ने सोशल मीडिया पर एयरलाइन के खिलाफ नाराज़गी जताई।
डीजीसीए की सख्ती: सीईओ को नोटिस
नागर विमानन महानिदेशालय ने संकट को गंभीरता से लेते हुए इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स और जवाबदेही प्रबंधक इस्द्रो पोर्क्वेरास को नोटिस जारी किया है। दोनों को आज शाम 6 बजे तक जवाब देना होगा कि उड़ानें रद्द क्यों की जा रही हैं और स्थिति को सामान्य बनाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। डीजीसीए ने स्पष्ट किया है कि यदि समय पर संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो नियमानुसार कठोर कार्रवाई की जाएगी।
एयरलाइन की दलील: पायलट ड्यूटी नियमों में बदलाव
इंडिगो ने उड़ानों के रद्द होने के पीछे कारण बताते हुए कहा है कि पायलटों की फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन की नई गाइडलाइंस लागू हुई हैं। इन नियमों में पायलटों को अधिक आराम के समय की आवश्यकता होती है, जिसके कारण स्टाफ की कमी पैदा हो रही है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह तैयारी पहले से होनी चाहिए थी, क्योंकि नियमों की घोषणा काफी पहले कर दी गई थी। इंडिगो संकट ने देशभर में हवाई यात्रा को गहरी समस्या में डाल दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने भले ही इस मुद्दे में तत्काल हस्तक्षेप से इनकार कर दिया हो, लेकिन केंद्र सरकार, डीजीसीए और एयरलाइन प्रशासन इस मामले के समाधान में जुटे हुए हैं।


