अध्ययन : बिहार में होलिका दहन के दिन से ज्यादा प्रदूषक तत्वों की मात्रा 27-28 मार्च की रात्रि सामान्यत: ज्यादा पाई गई

पटना। राज्य प्रदूषण नियंत्राण पर्षद् द्वारा होलिका दहन के पूर्व, होलिका दहन के दिन तथा इसके पश्चात परिवेशीय वायु गुणवत्ता का अध्ययन कराया गया। यह अध्ययन अनवरत परिवेशीय वायु गुणवत्ता प्रबोधन केन्द्र एवं मैनुअल केन्द्रों के माध्यम से किया गया। पटना में कुल 05, गया में 01, मुजफ्फरपुर में 01 एवं हाजीपुर में 01 केन्द्रों तथा पटना में 2 मैनुअल केन्द्रों पर जांच किया गया। प्रबोधन केन्द्रों से जनित होने वाले आंकड़ों में से संध्या 07:30 बजे से रात्रि 03 बजे तक के बीच के पीएम10, पीएम2.5, एसओ2, एनओ2 एवं सीओ प्रदूषकों का अध्ययन किया गया। मैनुअल केन्द्रों पर रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे तक के आंकड़ों को शामिल किया गया है। इसमें पीएम10 (ध्ूाल कण) एसओ2 (सलफर डाईआक्साइड) एवं नाइट्रोजन के आॅक्साइड प्रदूषकों का अध्ययन किया गया।
इन आंकड़ों के अनुसार होलिका दहन के पूर्व की तिथि (27-28 मार्च की रात्रि) में प्रदूषक तत्वों की मात्रा होलिका दहन की तिथि (28-29 मार्च की रात्रि) से सामान्यत: ज्यादा पाई गई है। यह मात्रा वाहनों के आवागमन के कारण हो सकती है। 28 एवं 29 मार्च को होली अवकाश के कारण वाहनों का परिचालन सामान्य के अपेक्षा काफी कम पायी गई। इन दोनों दिनों के रात्रि के आंकड़े दर्शाते हंै कि 28-29 मार्च की रात्रि में प्रदूषकों की मात्रा 29-30 मार्च के रात्रि से ज्यादा पायी गई है, जो इस ओर ध्यान आकृष्ट करती है कि होलिका दहन के कारण प्रदूषक तत्वों की मात्रा वायु-मंडल में बढ़ी है, यह मात्रा होलिका दहन स्थल से केन्द्रों की दूरी, होलिका में जलाए जाने वाले पदार्थों एवं अन्य मैट्रोलाजिकल कंडिशन के अनुसार विभिन्न स्थलों पर भिन्न-भिन्न पाए गए हैं।
पटना में संचालित दो मैनुअल स्टेशनों यथा- बेल्ट्रॉन भवन, शास्त्रीनगर, पटना एवं परिवेश भवन, पाटलिपुत्रा औद्योगिक क्षेत्र, पटना से प्राप्त आकड़ों के अनुसार रात्रि समय (10 बजे से सुबह 06 बजे तक) में होलिका दहन के दिन 28-29 मार्च, 29-30 मार्च से इसमें पीएम10 (ध्ूाल कण) एसओ2 (सलफर डाईआक्साइड) की मात्रा अधिक पाई गई है, जो होलिका दहन के कारण होने की संभावना है।
औद्योगिक क्षेत्रा, हाजीपुर, वैशाली एवं जिला स्कूल, मुजफ्फरपुर केन्द्रों पर होलिका दहन का प्रभाव कम पाया गया है। इन स्थलों पर प्रदूषकों के अंतर का स्तर अपेक्षाकृत कम होने के संभावित कारणों में होलिका दहन स्थल का इन केन्दों से दूर होना हो सकता है।

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