कोटा में फिर बिहार के छात्र ने की आत्महत्या, कमरे में लगाई फांसी, नीट परीक्षा की करता था तैयारी

पटना। राजस्थान के कोटा शहर से एक बार फिर दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। बिहार के कटिहार जिले के रहने वाले छात्र तमीम इकबाल ने सोमवार देर रात अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। तमीम कोटा में रहकर नीट परीक्षा की तैयारी कर रहा था और साथ ही 11वीं कक्षा की पढ़ाई भी कर रहा था।
मौके पर पहुंची पुलिस, जांच जारी
घटना की जानकारी मिलते ही जवाहर नगर थाना क्षेत्र की पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने छात्र के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। साथ ही मृतक के परिजनों को भी घटना की सूचना दे दी गई है। पुलिस के अनुसार, तमीम के कमरे से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। फिलहाल पुलिस उसके दोस्तों और परिवार के सदस्यों से पूछताछ कर रही है ताकि आत्महत्या के पीछे की वजह को समझा जा सके।
कोटा में छात्रों के आत्महत्या की बढ़ती घटनाएं
कोटा देश का सबसे बड़ा कोचिंग हब माना जाता है, जहां हर साल हजारों छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं। लेकिन यहां पिछले कुछ वर्षों से छात्रों के मानसिक तनाव और आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। वर्ष 2025 की शुरुआत से अब तक 14 छात्रों ने आत्महत्या कर ली है। खासकर अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह में तीन छात्रों ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया है, जो बेहद चिंता का विषय है।
तनाव प्रबंधन के प्रयास, लेकिन हालात जस के तस
जिला प्रशासन ने छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य सुधार और तनाव प्रबंधन के लिए कई सकारात्मक कदम उठाए हैं। समय-समय पर काउंसलिंग सत्र, हेल्पलाइन नंबर और मोटिवेशनल कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसके बावजूद आत्महत्या की घटनाओं में कमी नहीं आ रही है, जो प्रशासन, कोचिंग संस्थानों और समाज के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।
गंभीर कदम उठाने की जरूरत
छात्रों में बढ़ते तनाव और आत्महत्या की प्रवृत्ति को देखते हुए अब कोटा प्रशासन और कोचिंग संस्थानों पर और अधिक गंभीर तथा ठोस कदम उठाने का दबाव बढ़ गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि केवल पढ़ाई का दबाव कम करने से ही नहीं, बल्कि छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर लगातार ध्यान देने, संवाद बढ़ाने और पारिवारिक सहयोग सुनिश्चित करने से ही इस स्थिति में सुधार लाया जा सकता है। तमीम इकबाल की आत्महत्या ने एक बार फिर कोटा के शिक्षा मॉडल पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह सिर्फ एक मौत नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए तो हालात और भी भयावह हो सकते हैं। अब समय आ गया है कि शिक्षा के साथ-साथ छात्रों की भावनात्मक और मानसिक स्थिति को भी प्राथमिकता दी जाए।