BIHAR : 16 एवं 17 दिसंबर को बैंकों में राष्ट्रव्यापी हड़ताल, 9.5 लाख बैंक कर्मी व अधिकारी होंगे शामिल, बैंकिंग-एटीएम सेवाएं होगी प्रभावित

  • सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों के निजीकरण एवं बैंकिंग संशोधन बिल 2021 का विरोध

पटना (संतोष कुमार)। सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों के निजीकरण एवं बैंकिंग संशोधन बिल 2021 के विरोध में आल इंडिया बैंक आफिसर्स कनफेडरेशन ने आगामी 16 एवं 17 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी सांकेतिक हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है। हस हड़ताल में देश भर के 9.5 लाख बैंक कर्मी व अधिकारी शामिल होंगे। जिससे दोनों दिन सरकारी-गैर सरकारी स्तर की बैंकिंग सेवाएं पूरी तरह से प्रभावित रहने की संभावना है। बता दें बिहार में सभी बैंकों की कुल 6400 शाखाएं कार्यरत हैं।
बुधवार को आल इंडिया बैंक आफिसर्स कनफेडरेशन (एआईबीओसी) के राष्ट्रीय सलाहकार व फेडरेशन आफ बैंक आफ इंडिया आफिसर्स एसोसियशन्स के राष्ट्रीय महासचिव सुनील कुमार ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर बैंक अधिकारियों का एआईबीओसी एक मात्र संगठन है। वर्तमान केंद्र सरकार बैंक कर्मियों की जायज मांगों को अनदेखा कर रही है। उन्होंने कहा कि बैंक अधिकारियों की हितों की रक्षा के लिए एआईबीओसी बैंकों के निजीकरण व बैंकिंग संशोधन बिल 2021 का हर स्तर पर विरोध करते हुए सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंको को निजी हाथों मे सौंपने के केंद्र सरकार की नीतियों का पूरजोर विरोध करेगा।
उन्होंने कहा कि बैंक अधिकारी कल काली पट्टी बांध कर विरोध प्रदर्शन करेंगे, 10 दिसंबर को ट्विटर कैंपेन, 14 को प्रधानमंत्री को आॅनलाइन प्रार्थना पत्र तथा अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से सरकार की नीतियों का विरोध करते हुए 16 एवं 17 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी सांकेतिक हड़ताल में शामिल होंगे। इस हड़ताल में देश भर के लगभग 9.5 लाख बैंक अधिकारी व कर्मचारी शामिल होकर आवाज बुलंद करेंगे। अगर इसके बावजूद केंद्र सरकार फैसला वापस नहीं लेती है तो अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लेंगे। इस हड़ताल में सरकारी व निजी बैंक शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि दोनों दिन बैंकिंग सेवाएं पूरी तरह से प्रभावित रहेगी। एटीएम सेवा के भी प्रभावित होने की संभावना है।
उन्होंने यह भी कहा कि जिस समय सरकारी बैंकों का आपस में विलय किया जा रहा था, उस दौरान सरकार की मंशा को भांपने में हमने देर कर दी। अगर आज हमने फिर से वही गलती दोहरायी तो बैंक विलुप्त हो जाएंगे।
श्री कुमार ने आगे कहा कि सरकारी संपत्ति को जल्द बेचने के लिए यह सरकार रोज नई योजनाएं बना रही है। देश का भविष्य आज खतरे में आ चुका है। देश की आर्थिक व्यवस्था पूंजीपतियों के हाथ में जा रही है। अगर केंद्र सरकार को संपत्तियों को निजी हाथों मे सौंपने से रोका नहीं गया तो राष्ट्र की आर्थिक स्थिति चरमरा जायगी। आज केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण देश में बेरोजगारों की बड़ी फौज खड़ी हो गयी है।
इस अवसर पर फेडरेशन आफ बैंक आफ इंडिया आफिसर्स एसोसिएशन्स के कॉ. राजेश कुमार सिंह, कॉ. गणेश कुमार पांडे, कॉ. संजीव कुमार सिंह, कॉ. जलज सुब्रत आदि अधिकारी मौजूद थे।

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