जलपाईगुड़ी में बीजेपी प्रतिनिधिमंडल पर पथराव, सांसद खागेन मुर्मू ज़ख़्मी, पार्टी ने टीएमसी पर लगाया आरोप
जलपाईगुड़ी। पश्चिम बंगाल में लगातार हो रही भारी बारिश और भूस्खलन से जनजीवन अस्त-व्यस्त है। इसी बीच जलपाईगुड़ी जिले में भाजपा के प्रतिनिधिमंडल पर हमला होने की खबर ने राजनीतिक माहौल को और गर्मा दिया है। भाजपा सांसद खागेन मुर्मू इस पथराव में घायल हो गए हैं। यह घटना उस समय हुई जब भाजपा का एक दल बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित इलाकों में राहत कार्यों का जायजा लेने पहुंचा था। घटना के बाद भाजपा ने राज्य की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
राहत कार्य के दौरान हुआ हमला
घटना जलपाईगुड़ी जिले के दुआर्स क्षेत्र के नगरकाटा इलाके में हुई। जानकारी के अनुसार, उत्तर मालदा से सांसद खागेन मुर्मू पार्टी प्रतिनिधिमंडल के साथ यहां पहुंचे थे ताकि बाढ़ प्रभावित लोगों की स्थिति का निरीक्षण किया जा सके। उसी दौरान उन पर पत्थरबाजी की गई, जिसमें वे घायल हो गए। भाजपा नेताओं का कहना है कि यह हमला सुनियोजित था और इसके पीछे तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के स्थानीय कार्यकर्ताओं का हाथ है।
भाजपा का आरोप : ‘टीएमसी का जंगलराज’
भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने इस घटना की तीखी निंदा करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में ‘टीएमसी का जंगलराज’ चल रहा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि खागेन मुर्मू एक सम्मानित आदिवासी नेता हैं, जो उत्तर मालदा से दो बार सांसद रह चुके हैं। जब वे दुआर्स क्षेत्र में लोगों की मदद करने गए थे, तो टीएमसी के गुंडों ने उन पर हमला कर दिया। अमित मालवीय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि जब एक ओर राज्य के कई जिले बाढ़ और भूस्खलन की त्रासदी झेल रहे हैं, तब ममता बनर्जी कोलकाता कार्निवल में नृत्य कार्यक्रमों में व्यस्त हैं।
भाजपा की प्रतिक्रिया और राजनीतिक विवाद
घटना के बाद भाजपा नेताओं ने कहा कि टीएमसी सरकार राहत कार्यों में सक्रिय रूप से सहयोग करने के बजाय विपक्षी दलों के प्रयासों को बाधित कर रही है। पार्टी ने आरोप लगाया कि राज्य प्रशासन पूरी तरह निष्क्रिय है और भाजपा कार्यकर्ताओं को लोगों की मदद करने से रोका जा रहा है। भाजपा ने यह भी कहा कि इस तरह की घटनाएं ममता सरकार की संवेदनहीनता को दर्शाती हैं। दूसरी ओर, टीएमसी की ओर से इस मामले में अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
उत्तर बंगाल में प्राकृतिक आपदा की भयावह स्थिति
राजनीतिक विवाद के बीच उत्तर बंगाल में स्थिति लगातार गंभीर बनी हुई है। दार्जिलिंग जिले में भूस्खलन की वजह से अब तक 24 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, कई लोग अब भी लापता हैं और हजारों पर्यटक दार्जिलिंग व जलपाईगुड़ी के कटे हुए पहाड़ी इलाकों में फंसे हुए हैं। उत्तर बंगाल विकास मंत्री उदयन गुहा ने बताया कि रविवार देर रात एक और शव बरामद हुआ, जिससे मृतकों की संख्या बढ़ गई। उन्होंने कहा कि राहत और बचाव कार्य जारी हैं, लेकिन लगातार हो रही बारिश के कारण काम में भारी मुश्किलें आ रही हैं।
बारिश और भूस्खलन से तबाही
अधिकारियों के अनुसार, मात्र 12 घंटे में 300 मिमी से अधिक वर्षा दर्ज की गई है। इसके कारण दार्जिलिंग की पहाड़ियों और डुआर्स क्षेत्र में भूस्खलन की कई घटनाएं हुईं। सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में दार्जिलिंग के मिरिक, सुखियापोखरी और जोरेबंगलो शामिल हैं, जबकि जलपाईगुड़ी जिले का नागराकाटा क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है। सड़कों के टूटने से कई इलाकों का संपर्क पूरी तरह कट गया है।
प्रशासन की चुनौतियां और राहत कार्य
राज्य प्रशासन ने सेना और एनडीआरएफ की टीमें राहत कार्यों में लगा दी हैं। बचावकर्मी लगातार मलबे में दबे लोगों की तलाश कर रहे हैं। पहाड़ी इलाकों में सड़कें और पुल बह जाने से राहत सामग्री पहुंचाने में भारी दिक्कतें आ रही हैं। कई जगह बिजली और संचार सेवाएं बाधित हैं। जलपाईगुड़ी की यह घटना केवल एक राजनीतिक विवाद नहीं, बल्कि यह दिखाती है कि किस तरह प्राकृतिक आपदा के बीच राजनीतिक टकराव राहत कार्यों में रुकावट पैदा कर सकते हैं। एक ओर हजारों लोग बाढ़ और भूस्खलन से जूझ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सत्ताधारी दल और विपक्ष एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप में उलझे हुए हैं। फिलहाल सबसे बड़ी जरूरत इस बात की है कि राजनीतिक मतभेदों को भुलाकर राज्य की सभी पार्टियां मिलकर प्रभावित इलाकों में राहत पहुंचाने पर ध्यान दें ताकि जनहानि और संकट को कम किया जा सके।


