करप्ट पावर ब्रोकर तथा टेंडर माफिया रिशु श्री को बचाने के लिए हैवी वेट पॉलिटिकल तथा ब्यूरोक्रेटिक प्रेशर,संजीव हंस-गुलाब यादव को बेल के बाद अब रिशु श्री भी जल्द ‘फ्री’
>>2000 करोड़ के कथित टेंडर घोटाले के आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने वाली टीम पर भारी दबाव,नौ महीने में तीन कदम भी नहीं

>>जुलाई 2024 में ईडी के रेड के बाद उछला था रिशु श्री का नाम,अप्रैल 2025 में स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने दर्ज किया था एफआईआर
पटना।(बन बिहारी)। मनी लॉन्ड्रिंग तथा ठेकों में अनियमितता के आरोप में 2024 में बिहार के सीनियर आईएएस अधिकारी संजीव हंस को गिरफ्तार किया गया था।लेकिन इस वर्ष अक्टूबर में उन्हें जमानत मिल गई तथा तीन दिन पूर्व उनका निलंबन भी समाप्त कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि संजीव हंस तथा पूर्व विधायक गुलाब यादव के खिलाफ ईडी के द्वारा किए गए छापेमारी के दौरान एक बड़ा हैरत अंगेज नाम उभर कर सामने आया था रिशु श्री उर्फ रिशु रंजन सिन्हा। इसी वर्ष 2025 के अप्रैल माह में स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने रिशु श्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था।लेकिन दिसंबर बीतने को है मगर अभी तक रिशु श्री की गिरफ्तारी नहीं हो सकी।ना ही उसके सिंडिकेट के खिलाफ कोई बड़ा एक्शन लिया जा सका। संजीव हंस, गुलाब यादव समिति कई आरोपी जमानत पर बाहर आ गए हैं। चार्ज शीट के अनुसार आरोप गठन नहीं किए जाने को लेकर न्यायालय के द्वारा इन्हें जमानत दिया गया।ऐसे में रिशु श्री का अब तक एसभीयू के द्वारा नहीं पकड़ा जाना चर्चा का विषय बन चुका है। चर्चा इस बात की हो रही है कि राजनीतिक तथा ब्यूरोक्रेट्स सरपरस्तों के बदौलत रिशु श्री जांच एजेंसियों पर भारी पड़ रहा है। सियासत की गलियारों में इस बात के कयास लग रहे हैं कि है बहुत जल्द ही रिशु श्री पर लगाए गए आरोप भी हाथी के सिर से सिंग की तरह गायब हो जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि बिहार के कई करप्ट आईएएस अधिकारियों से गोपनीय सांठगांठ के बदौलत बिहार में विभिन्न विभागों के सैकड़ो करोड़ के निविदाओं को बाहरी कंपनियों के लिए मैनेज करके रिशु श्री उर्फ रिशु रंजन सिन्हा ने बिहार के नीतीश सरकार में तकरीबन 2 हजार करोड़ से अधिक के बिग टेंडर स्कैम को अंजाम दिया है। इस बिग टेंडर स्कैन को लेकर रिशु रंजन सिन्हा उर्फ रिशु श्री के खिलाफ बिहार की स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने एफआईआर दर्ज करने के उपरांत जांच कर रही है।आठ महीना बीतने के उपरांत भी अभी तक जांच कर रही स्पेशल विजिलेंस यूनिट की टीम को कुछ खास उपलब्धि हासिल नहीं हुई है।जबकि चर्चा इस बात की है कि एफआईआर तथा जांच से बेपरवाह रिशु श्री पटना से लेकर दिल्ली-मुंबई तक अपने करप्शन की काली कमाई के बदौलत अपने खिलाफ सबूतों को साफ करने का प्रयास कर रहा है।हैरत की बात है की स्पेशल विजिलेंस यूनिट की टीम अभी तक रिशु श्री से ठीक तरीके से पूछताछ भी नहीं कर सकी है। जबकि पिछले वर्ष जुलाई माह में राज्य के बड़े आईएएस अधिकारी संजीव हंस के यहां छापेमारी के दौरान प्राप्त दस्तावेजी प्रमाणों के तहत ईडी के द्वारा पावर ब्रोकर रिशु रंजन सिन्हा उर्फ रिशु श्री के खिलाफ ठोस सबूत के आधार पर छापामारी की कार्रवाई की गई थी।प्रदेश की स्पेशल विजिलेंस यूनिट को भी ईडी ने रिशु श्री के खिलाफ कई सबूत दिए थे।लेकिन इसके बावजूद अभी तक रिशु श्री को गिरफ्तार नहीं किया जा सका।बताया जाता है कि रिशु श्री के ‘सिर’ पर वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों का ‘हाथ’ है।जिस कारण उसके खिलाफ कार्रवाई करने में जांच टीम को भारी दबाव का सामना करना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि रिशु श्री के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान 100 से अधिक प्रॉपर्टी के दस्तावेज बरामद किए गए थे।जिनकी गहनता से छानबीन हो रही है।माना जा रहा है कि रिशु श्री के नाम पर जो संपत्तियों के दस्तावेज बरामद हुए हैं।वह उसकी निजी संपत्ति नहीं बल्कि राज्य के ही कई करप्ट अधिकारियों की बेनामी संपत्ति साबित हो सकती है।बताया जाता है की करप्ट अफसरों की काली कमाई को रिशु श्री ने विदेशों में इनवेस्ट कर रखा है।ईडी को जांच के दौरान बेहद हैरान करने वाले दस्तावेज हाथ लगे हैं।
उल्लेखनीय है कि ईडी की टीम ने जुलाई 2024 में रिशु श्री की कंपनियों पर छापा मारा और दिल्ली-एनसीआर में लगभग 59 करोड़ रुपये के रियल एस्टेट निवेश से जुड़े 61 दस्तावेज बरामद किए।ईडी सूत्रों का कहना है कि ये संपत्तियां केवल निजी निवेश नहीं थीं – हो सकता है कि जांच से बचने के लिए करप्ट अधिकारियों की ओर से इन्हें अपने पास रखा गया हो।

