December 17, 2025

बिहार में दिव्यांगों के लिए शुरू होगी स्पेशल बस सेवा, परिवहन विभाग ने शुरू की तैयारी, यात्रा होगी आसान

पटना। बिहार सरकार दिव्यांगजनों की सुविधा और सम्मानजनक यात्रा को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। राज्य के लगभग 23 लाख दिव्यांग नागरिकों को ध्यान में रखते हुए परिवहन विभाग विशेष बस सेवा शुरू करने की तैयारी कर रहा है। इस पहल का उद्देश्य दिव्यांगजनों की दैनिक आवाजाही को आसान, सुरक्षित और सुलभ बनाना है। समाज कल्याण विभाग के अनुरोध पर यह प्रक्रिया दोबारा शुरू की गई है, जिसे पहले विभिन्न कारणों से आगे नहीं बढ़ाया जा सका था।
पटना से होगी शुरुआत, बाद में होगा विस्तार
इस विशेष बस सेवा की शुरुआत राजधानी पटना से की जाएगी। शुरुआती चरण में शहर के प्रमुख मार्गों पर इन बसों का संचालन किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक दिव्यांगजन और बुजुर्ग इसका लाभ उठा सकें। योजना के सफल होने के बाद इसे धीरे-धीरे अन्य जिलों में भी विस्तारित किया जाएगा। सरकार का मानना है कि राजधानी में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की गई यह सेवा आगे चलकर पूरे राज्य के लिए एक मॉडल बन सकती है।
समाज कल्याण और परिवहन विभाग की संयुक्त पहल
इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए समाज कल्याण और परिवहन विभाग के बीच हाल ही में बैठक हुई है। बैठक में समाज कल्याण विभाग ने यह तर्क रखा कि राज्य में दिव्यांगों की संख्या काफी अधिक है और उनकी जरूरतों को देखते हुए विशेष परिवहन सुविधा बेहद जरूरी है। हालांकि वर्तमान में सामान्य बसों में दिव्यांगों के लिए कुछ सीटें आरक्षित रहती हैं, लेकिन बसों की बनावट और भीड़भाड़ के कारण उन्हें यात्रा में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
पिंक बस की तर्ज पर नई योजना
नीतीश सरकार पहले ही महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए पिंक बस सेवा शुरू कर चुकी है, जो राज्य के कई जिलों में सफलतापूर्वक संचालित हो रही है। इसी अनुभव को आधार बनाते हुए अब दिव्यांगजनों के लिए अलग से बस सेवा शुरू करने की योजना बनाई गई है। अधिकारियों का मानना है कि विशेष जरूरतों वाले यात्रियों के लिए अलग बसें होने से उनकी यात्रा अधिक सहज और सम्मानजनक होगी।
पहले क्यों अटकी थी योजना
परिवहन विभाग ने इससे पहले भी दिव्यांगजनों के लिए विशेष बसों के संचालन को लेकर टेंडर आमंत्रित किया था, लेकिन उस समय कोई भी निविदाकार सामने नहीं आया। तकनीकी और आर्थिक कारणों से यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी। अब एक बार फिर विभाग स्तर पर निविदा प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी की जा रही है। इस बार सरकार निजी ऑपरेटरों को अधिक आकर्षक शर्तें देने पर भी विचार कर रही है, ताकि परियोजना को सफल बनाया जा सके।
बसों में होंगी आधुनिक और सुलभ सुविधाएं
दिव्यांगजनों के लिए प्रस्तावित बसों को विशेष रूप से डिजाइन किया जाएगा। इनमें व्हीलचेयर के लिए पर्याप्त जगह, मजबूत हैंडरेल, कम ऊंचाई वाली सीटें और सीढ़ी रहित प्रवेश जैसी सुविधाएं होंगी। इसके अलावा दृष्टिबाधित यात्रियों के लिए ऑडियो अलर्ट सिस्टम और श्रवण बाधित यात्रियों के लिए विजुअल संकेतों की व्यवस्था भी की जा सकती है। इन सुविधाओं का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि दिव्यांगजन बिना किसी सहारे के भी सुरक्षित यात्रा कर सकें।
किराये में छूट और पहचान पत्र की व्यवस्था
सरकार इस बात पर भी विचार कर रही है कि इन विशेष बसों में दिव्यांगजनों को किराये में छूट दी जाए या उन्हें मुफ्त यात्रा की सुविधा मिले। इसके लिए यूडीआईडी कार्ड और अन्य वैध पहचान पत्रों का उपयोग किया जाएगा, ताकि वास्तविक लाभार्थियों को ही इसका फायदा मिल सके। इससे न केवल दिव्यांगजनों का आर्थिक बोझ कम होगा, बल्कि उन्हें सार्वजनिक परिवहन के अधिक उपयोग के लिए भी प्रोत्साहन मिलेगा।
बुजुर्गों को भी मिलेगा लाभ
यह विशेष बस सेवा केवल दिव्यांगजनों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि बुजुर्गों को भी ध्यान में रखकर तैयार की जा रही है। उम्र के साथ चलने-फिरने में कठिनाई झेल रहे वरिष्ठ नागरिकों के लिए कम ऊंचाई वाली बसें और आसान चढ़ने-उतरने की व्यवस्था बेहद सहायक साबित हो सकती है। इस तरह यह योजना समाज के दो संवेदनशील वर्गों को एक साथ लाभ पहुंचाएगी।
बस स्टॉप और बुनियादी ढांचे में बदलाव
विशेष बस सेवा शुरू होने के बाद बस स्टॉप के ढांचे में भी बदलाव किया जाएगा। दिव्यांगजनों को बस में चढ़ने और उतरने में किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए समतल प्लेटफॉर्म, रैंप और पर्याप्त जगह की व्यवस्था की जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बस और पड़ाव के बीच ऊंचाई का अंतर न्यूनतम हो, जिससे व्हीलचेयर उपयोग करने वालों को भी सुविधा मिले।
सामाजिक समावेशन की दिशा में कदम
दिव्यांगजनों के लिए विशेष बस सेवा केवल एक परिवहन योजना नहीं है, बल्कि यह सामाजिक समावेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे दिव्यांगजन शिक्षा, रोजगार, इलाज और सामाजिक गतिविधियों में अधिक सक्रिय रूप से भाग ले सकेंगे। यदि यह योजना सफलतापूर्वक लागू होती है, तो यह बिहार को दिव्यांग-अनुकूल राज्य बनाने की दिशा में एक मजबूत आधार तैयार करेगी और लाखों लोगों के जीवन को आसान बना सकेगी।

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