SLBC की बैठक : BIHAR के बैंक NPA से जूझ रहे, 1.51 लाख करोड़ लोन बांटे, 17.26 हजार करोड़ फंसे

पटना। पटना के सिंचाई भवन के अधिवेशन भवन में आयोजित राज्यस्तरीय बैंकर्स कमिटी (एसएलबीसी) की बैठक में जो आंकड़े सामने आये, उससे यही पता चलता है कि आखिर क्यों योजना दर योजना आने के बावजूद बिहार की अर्थव्यस्था पटरी पर नहीं आ रही है। बिहार के वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद की अध्यक्षता में सोमवार को हुई एसएलबीसी की बैठक में बैंकों ने अपनी लाचारी बयां की है। बिहार के बैंकों का कर्ज फंसा हुआ है। बैंक नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) से जूझ रहे हैं।
बैंकों की तरफ से इस बैठक में स्टेट बैंक के मुख्य महाप्रबंधक ने कहा कि बिहार में एनपीए का प्रतिशत 11.38 हो गया है, जो काफी ज्यादा है। राज्य में सभी निजी और सरकारी बैंकों ने कुल 1 लाख 51 हजार 933 करोड़ के कर्ज सितंबर 2020 तक बांटे हैं, जिसमें 17 हजार 258 करोड़ के लोन एनपीए में फंसे हुए हैं। कर्ज के तौर पर बांटी गई इस रकम की न तो रिकवरी हो पा रही है, न ही प्रति महीने किस्त ही मिल रही है। बैंकों के अनुसार, इसमें 104 करोड़ रुपये ऐसे हैं, जिनसे वसूली की आस छोड़ दी है। इसमें साल दर साल बढ़ोत्तरी हो रही है। सबसे ज्यादा कृषि सेक्टर के ऋण में कुल एनपीए 22% फंसा हुआ है। मध्यम एवं लघु उद्योग और बड़े उद्योगों को दिये गये कर्ज को मिला दिया जाये तो यह 10% के आसपास है। प्राथमिक सेक्टर में एनपीए 15.98 प्रतिशत और गैर-प्राथमिक सेक्टर में 1.89 प्रतिशत है। राज्य में सबसे ज्यादा एनपीए दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक का है, जो करीब 25% का है। दूसरे नंबर पर पंजाब नेशनल बैंक का 23.41% है।
केसीसी लोन का भी हाल बुरा
इस बैठक में बैंकों की तरफ से साल की तीसरी तिमाही की रिपोर्ट में केसीसी लोन का भी बुरा हाल सामने आया है। डेयरी क्षेत्र में केसीसी का लक्ष्य 4500 करोड़ था, जबकि केवल 44 करोड़ केसीसी लोन हुए हैं। मछली पालन के क्षेत्र में 2500 करोड़ का केसीसी लोन का लक्ष्य रखा गया था, जबकि केवल 2 करोड़ केसीसी लोन हुए हैं। मुर्गीपालन के क्षेत्र में 2211 करोड़ केसीसी लोन देना था, लेकिन इसमें 41 करोड़ का ही केसीसी लोन हो सका है। साल 2020-21 में कुल 51,658 एजुकेशनल लोन देने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन लक्ष्य का 41.90 फीसदी ही एजुकेशन लोन हो सका।

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