पारस अस्पताल हत्याकांड में शेरू गैंग के शूटर्स बंगाल से गिरफ्तार, आधिकारिक पुष्टि नहीं, एसटीएफ ने की करवाई

पटना। पटना के प्रतिष्ठित पारस अस्पताल में 17 जुलाई को हुए गैंगस्टर चंदन मिश्रा की हत्या ने पूरे राज्य को हिला दिया है। मामले की जांच में यह खुलासा हुआ है कि इस हत्या की साजिश पहले से रची गई थी। शेरू गैंग के सरगना शेरू, जो वर्तमान में पश्चिम बंगाल की पुरुलिया जेल में बंद है, ने 10 लाख रुपये की सुपारी देकर चंदन की हत्या का आदेश दिया था। वही मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, एसटीएफ ने पश्चिम बंगाल में कार्रवाई करते हुए शेरू गैंग के कुछ शूटर्स को गिरफ्तार किया है। हालांकि, अभी तक इस गिरफ्तारी की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। जल्द ही पुलिस की एक टीम पुरुलिया जेल जाकर शेरू से पूछताछ करेगी, ताकि हत्या की पूरी साजिश और नेटवर्क को समझा जा सके। बताया जा रहा है कि यह सुपारी तौसीफ नामक अपराधी को दी गई थी, जो पहले बेउर जेल में बंद था और वहीं पर उसकी मुलाकात शेरू से हुई थी।
तैयारी और योजना
शूटर्स घटना से तीन दिन पहले ही पटना के समनपुरा इलाके में पहुंच गए थे। उन्हें ठहराने की व्यवस्था समनपुरा के ही एक अन्य अपराधी ने की थी, जिसने उन्हें अस्पताल के पीछे एक अपार्टमेंट में पनाह दिलाई। शूटर्स ने लगातार पारस अस्पताल की रेकी की और हर गतिविधि पर नजर रखी। बताया जा रहा है कि तौसीफ पहले से अस्पताल के कुछ कर्मियों को जानता था, क्योंकि कुछ महीने पहले उसका एक मित्र अस्पताल में भर्ती था, जिससे मिलने वह आता-जाता रहता था। इस पुराने संपर्क ने अपराधियों को अस्पताल में प्रवेश आसान बना दिया।
पुलिस की जांच और गिरफ्तारियां
पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त टीम ने इस मामले में कई इलाकों में छापेमारी की। समनपुरा से जिशान सहित पांच युवकों को पूछताछ के लिए उठाया गया। साथ ही, फुलवारी, बक्सर, आरा, गया और झारखंड के कुछ हिस्सों में भी छापेमारी की गई। अब तक कुल आठ संदिग्धों को पकड़ा गया है, जिनमें से दो को पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया है, जबकि छह पर संलिप्तता के पुख्ता प्रमाण मिले हैं। पुलिस इनसे लगातार पूछताछ कर रही है।
हत्या की घटना और जांच के दायरे
गौरतलब है कि चंदन मिश्रा, जो बक्सर का कुख्यात अपराधी था, 3 जुलाई को पेरोल पर बाहर आया था और उसे 18 जुलाई को जेल वापस जाना था। पेरोल उसे अपने पिता के इलाज के लिए मिला था। हत्या की शाम वह पारस अस्पताल के 209 नंबर कमरे में मौजूद था, तभी पांच हथियारबंद अपराधी भीतर घुसे और उस पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं। इस घटना में उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
अस्पताल स्टाफ और स्थानीय सहयोगी जांच के घेरे में
पुलिस को शक है कि इस हमले में अस्पताल के कुछ कर्मियों की भी भूमिका हो सकती है। पुलिस ने शुक्रवार को अस्पताल के कई स्टाफ से पूछताछ की और सिक्योरिटी गार्ड्स की सूची भी मांगी है। साथ ही, समनपुरा में निशु खान नामक व्यक्ति के घर पर भी छापेमारी की गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अपराधियों को स्थानीय सहयोग भी मिला था।
तौसीफ का फरार होना और परिवार की भूमिका
हत्या के बाद तौसीफ गया अपने घर पहुंचा और बहन से कहा कि वह उसे ससुराल छोड़ देगा। उसने बहन को ससुराल पहुंचाकर वहीं से किसी से फोन पर बात की और फिर फरार हो गया। पुलिस अब तौसीफ के पिता, बहन और दो दोस्तों से पूछताछ कर रही है ताकि उसके भागने की योजना और मददगारों का पता चल सके। यह हत्याकांड न केवल अपराध की भयावहता को दर्शाता है, बल्कि यह भी उजागर करता है कि अपराधी जेल के भीतर से भी संगठित नेटवर्क के माध्यम से कैसे वारदात को अंजाम देते हैं। पुलिस की कार्रवाई और जांच अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच रही है।

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